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Monday, April 27, 2020

टॉप की रेटिंग वाली सात नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज इस हफ्ते बांड बेचकर जुटाएंगी 10,400 करोड़ रुपए https://ift.tt/2VWZ3eS

टॉप की रेटिंग वाली सात गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनीज (एनबीएफसी) चालू सप्ताह में संयुक्त रूप से 10,400 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रही हैं। इन कंपनियों में एचडीबी फाइनेंशियल, बजाज फाइनेंस, महिंद्रा फाइनेंस, एलएंडटी फाइनेंस और टाटा कैपिटल का समावेश है।

टाटा कैपिटल भी जुटाएगी पैसे

दरअसल म्यूचुअल फंड कंपनी फ्रैंकलिन टेंपल्टन की डेट स्कीम्स के बंद होने के बाद निवेशक अब ऊंचे रिटर्न की मांग कर रहे हैं। सोमवार और मंगलवार को बीएसई और एनएसई पर इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग प्लेटफॉर्म पर इन बांड्स की बिक्री की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक इनकी अधिकतम मैच्योरिटी अवधि तीन वर्ष होगी। टाटा कैपिटल मंगलवार को बांड की बिक्री करेगी। कंपनी के एमडी एवं सीईओ राजीव सभरवाल ने बताया कि बांड द्वारा पैसे जुटाने की यह योजना सिस्टेमेटिक तरीके से कर्ज जुटाने की योजना का हिस्सा है।

डेट बाजार में आएगी स्थिरता

जेएम फाइनेंशियल के फिक्स्ड इनकम हेड और एमडी अजय मंगलुणिया ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष वर्ष में पहली बार एनबीएफसी एक साथ बड़ी संख्या में पैसा जुटा रही हैं। बांड्स इश्यू सफल हुआ तो डेट बाजार में थोड़ी स्थिरता आएगी। अभी तक इस बाजार में प्रीमियम ऊंची दर पर चालू है। बांड्स की बिक्री संपूर्ण या आंशिक तौर पर अगर असफल होती है तो इसकी वजह से समस्या बढ़ जाएगी।

ट्रिपल ए रेटिंग मिली है इन कंपनियों को

बता दें कि इस समय बांड्स की यील्ड 7.3 से 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। तमाम सात बांड्स एएए यानी ट्रिपल ए की रेटिंग वाले हैं। पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड्स के मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) के मुताबिक पिछले कई दिनों से कॉर्पोरेट बांड्स में यील्ड बढ़ी है। इसे देखते हुए पैसा जुटाने वाली कंपनियों को थोड़े समय में निवेशकों को ऊंची ब्याज चुकानी होगी। पिछले कई सप्ताह में इन कंपनियों के बांड और समान मैच्योरिटी वाली सरकारी सिक्योरिटीज के बीच यील्ड का अंतर 0.2 से 0.3 प्रतिशत बढा है।

बैंकों के पास है भरपूर लिक्विडिटी

विश्लेषकों के मुताबिक बांड का स्प्रेड तो बढ़ रहा है, लेकिन कंपनियां अगर बांड बिक्री की योजना में सफल होती हैं तो डेट बाजार में स्थिरता आ सकती है। बैंकों के पास अभी काफी तरलता यानी लिक्विडिटी है, लेकिन एनबीएफसी के लिए काफी दिक्कत रही है। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को विशेष टार्गेटेड लांग टर्म रेपो (टीएलटीआरओ) विंडो द्वारा रिवर्स रेपो रेट पर कर्ज लेने की मंजूरी दी थी। अभी रिवर्स रेपो रेट 3.75 प्रतिशत है। इसके कारण सिस्टम में एक लाख करोड़ रुपए की लिक्विडिटी आ गई है। आरबीआई ने एनबीएफसी के लिए 17 अप्रैल को फिर से 50,000 करोड़ रुपए के टीएलटीआरओ की घोषणा की थी।



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इस पैसे से एनबीएफसी को लिक्विडिटी की समस्या से मिलेगा छुटकारा

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