एक अकाउंटेंट क्या होता है?
अकाउंटेंट एक ऐसा पद है जिस पर संस्था की अर्थव्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी होती है! वह एक विश्वसनीय पद पर होता है वह कंपनी में होने वाली प्रत्येक घटनाओं पर नजर रखता है, वह संस्था में कुछ भी आने-जाने की सभी घटनाओं का लेखा - जोखा रखता है कितना सामान आया है कितना सामान गया है, किसको कितना देना है किसी से कितना लेना है, पैसे की व्यवस्था कहां से होनी है उसके लिए क्या- क्या कदम उठाने चाहिए! वह वर्तमान स्थिति को देखकर, भविष्य में होने वाली आवश्यकताओं का आकलन करता है, कर्मचारियों को कितना वेतन बनता है कितना देना है उसका हिसाब रखता है, सरकार को कितना टैक्स देना है उसका हिसाब-किताब रखता है, संस्था के पास नकद और बैंक में कितना धन उपलब्ध है, कितने धन की आवश्यकता है, की सारी प्लानिंग एक अकाउंटेंट को करनी पड़ती है! वह संस्था को चारों दिशाओं से सुरक्षा प्रदान करता है व यह कह सकते हैं की वह संस्था का एक सुरक्षा कवच है, जिस पर संस्था की पूरी जिम्मेदारी होती है, वह संस्था का मालिक ना होते हुए भी मालिक की तरह काम करता है! पर वास्तव में एक वास्तविक अकाउंटेंट होना बहुत ही tough है, बह हमेशा काँटों के साजों में रहता है, संस्था के मालिक के साथ चोली-दामन का साथ होने के कारण ज्यादातर तर्क-वितर्क चलता ही रहता है, फिर भी ज्यादातर मामले में उपेक्षा का शिकार रहता है, वह सब-कुछ होते हुए भी कुछ भी नहीं है, यही इस पद की विडम्बना है!
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उसको क्या-क्या जानकारी होनी चाहिए
एक अकाउंटेंट का सबसे बड़ा गुण होता है कि उसे अच्छा वक्ता होना चाहिए क्योंकि हर समय उससे कोई ना कोई काम करवाने आता रहता है, उस कार्य को कैसे tackel करना है वह आना चाहिए, जिससे संस्था के मालिक की छवि बनी रहे! वह एक मध्यस्थ का कार्य करता है,, कई बार संस्था के पास पैसे की व्यवस्था नहीं होती है तब उसे लेने वालों को यानि कि जिनसे माल लिया है, जिनसे उधार लिया, कर्मचारियों व अन्य को जवाब देना पड़ता है उस समय उसका विवेक ही काम करता है उसे किस प्रकार tackel किया जाये जिससे कि संस्था व संस्था के मालिक का मान बना रह सके!
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अपने कार्य को प्रदर्शित करने की कला आनी चाहिए यानी कि आपने जो भी कार्य किया है उसे किस प्रकार से प्रस्तूत करना है वह आना चाहिए, नहीं तो आपकी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी और उसका लाभ कोई दूसरा ले जाएगा!
इतना ही कार्य हाथ में लेना चाहिए जितना कर सकें यानी कि हर एक व्यक्ति की कार्य करने की एक सीमा होती है उसे उतना ही कार्य हाथ में लेना चाहिए जितना वह स्वयं कर सके अन्यथा कार्य में निरंतरता व निखार नहीं आएगा जिससे एक अकाउंटेंट की छवि खराव होगी!
उसे कार्य करने के लिए सबसे पहले उसकी कीबोर्ड पर पकड़ मजबूत होनी चाहिए, वर्ड, एक्सल, पावरप्वाइंट की जानकारी होनी चाहिए, जिस सॉफ्टवेयर पर कार्य करना है उस सॉफ्टवेयर यानी कि अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की पूरी जानकारी होनी चाहिए, और उसको जानकारी होनी चाहिए कि कैश-फ्लो कैसे बनाया जाता है, ratio-analysis कैसे किया जाता है, बैंक में क्या-क्या काम होता है, बैंक वालों से कैसा रिलेशन बनाना है, पत्र - व्यवहार की पूरी जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि उसको सभी डिपार्टमेंट से पत्र व्यवहार करना पड़ता है, तो पत्र व्यवहार की जानकारी होना बहुत आवश्यक है, संस्था में जो भी टैक्स का काम है उसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए पूरी का मतलब जितना एक संस्था में एक अकाउंटेंट को आवश्यक है, उसको जीएसटी और इनकम टैक्स काम भी आना चाहिए!
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टैक्स की रेट्स के बारे में : एक अकाउंटेंट को GST की रेट्स के बारे मे, टीडीएस की रेट्स के बारे में, इनकम टैक्स की रेट के बारे में, ESI / PF की रेट्स के बारे में पूर्ण ज्ञान होना चाहिए!
return के सम्बन्ध में : जीएसटी, एडवांस टैक्स, PF / ESI / टीडीएस के बारे में कि कितना जमा कराना और यह जानकारी होंनी चाहिए कि रिटर्न कब due होती है उसकी सारी वर्किंग बनानी आनी चाहिए!
एकाउंट्स- finalization : एक अकाउंटेंट को मंथली बैलेंस शीट बना लेनी चाहिए, जिससे साल के आखिर में उसे परेशानी नहीं हो!
ऑडिट रिपोर्ट की तैयारी : ऑडिट के लिए कौन-कौनसी रिपोर्ट्स की आवश्यकता पड़ती है वह सबसे पहले अपने CA से मीटिंग करके तय करले, जिससे ऑडिट करने में परेशानी नहीं हो!
रिपोर्ट्स : संस्था में जितनी भी कार्य होते हैं वह सभी रिपोर्टिंग के माध्यम से, अपनी हायर अथॉरिटी को बताना होता है, हरेक संस्था का रिपोर्टिग पैटर्न अलग-अलग होता है, यह सब काम करते - करते आ जाता है, रिपोर्टिंग को कैसे पेश करना है और कब पेश करना है, यह भी एक कला है, जैसे-जैसे कार्य का अनुभव होता जाता है, हमारे कार्य करने का तरीका भी परिवर्तित होता जाता है, ज्यादा टेंशन लेने की आवश्यकता नहीं है!
आईटी की जानकारी : एक अकाउंटेंट को इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में भी पारंगत होना चाहिए यानि की उसे डाटा बेस मैनेजमेंट का ज्ञान होना चाहिए!
योग्यता (क्वालिफिकेशन)
इसके लिए मिनिमम क्वालिफिकेशन बीकॉम
होना आवश्यक है और जैसे-जैसे रिस्पांसिबिलिटी बढ़ती जाती है और उसमें जिस प्रकार
की योग्यता की आवश्यकता होती है तो उसके लिए, उसके अनुसार कोर्स होते है वह करता चला जाए अगर
उसने वह कोर्से कर रखा है तो बेस्ट, नहीं
तो अपनी योग्यता बढाने के लिए कोर्स करता चला जाये! आजकल ज्यादातर संस्था CA
मांगती है!
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गुण (Quality of an accountant)
- सीखने की इच्छा : एक अच्छा लेखाकार को नवीनतम लेखांकन नियमों, मानकों और सिद्धांतों में परिवर्तन की जानकारी हासिल करनी चाहिए। उसे उद्योग के आम तौर पर स्वीकृत लेखा सिद्धांतों या वैधानिक लेखा कानूनों या कर कानूनों में किसी भी बदलाव से संबंधित अपने ज्ञान को लगातार अपडेट करना चाहिए।
- संगठित और संरचित होने की क्षमता : एक लेखाकार को व्यक्तिगत रूप से एक बहुत ही संगठित व्यक्ति होना चाहिए जो अत्यधिक कठिन वातावरण के भीतर प्रदर्शन करने में सहज हो। वह संगठन कौशल, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देने में सक्षम होता है!
- सटीक और विस्तार-उन्मुख होने की क्षमता : संख्याओं के साथ काम के लिए व्यक्तिगत लक्षणों की आवश्यकता होती है जैसे सटीकता और विवरण के लिए समझ होना, काम पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करना, जिसके परिणामस्वरूप कोई त्रुटि नहीं हो। परिश्रम करते हुए, एक कंपनी और उसके वित्तीय अभिलेखों की एक विस्तृत परीक्षा लेखाकारों की मूलभूत दक्षताओं में से एक है जिसके लिए उन्हें लेखांकन के अपने उत्कृष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है।
- अनुकूलनशीलता : एक अनुकूलन योग्य व्यक्ति नई चुनौती को अपने कौशल को सीखने और परीक्षण करने के अवसर के रूप में देखते हैं। लेखांकन उद्योग काफी गतिशील और चुनौतीपूर्ण है, यदि आपके पास परिस्थितियों को जल्दी से अनुकूलित करने और उन समाधानों के बारे में सोचने की क्षमता है तो आप जल्दी से फिट हो सकते हो, जिससे आपको अतिरिक्त लाभ की प्राप्ति होगी।
- व्यावसायिक-दिमाग होने की क्षमता: यदि कोई लेखाकार व्यावसायिक मॉडल को समझता है, यदि वह यह सिफारिश कर सकता है कि किसी व्यवसाय के लक्ष्यों के साथ कौन से आर्थिक और लेखांकन तरीके सर्वोत्तम हो सकते हैं, तो इससे महत्वपूर्ण व्यावसायिक निर्णय हो सकते हैं।
- एक टीम खिलाड़ी होने की क्षमता: लेखाकार आमतौर पर टीमों में काम करते हैं और अपने ग्राहकों के साथ बैठकों का सामना करने के लिए भाग लेते हैं और नियमित रूप से वे अन्य निर्णय निर्माताओं के साथ व्यावसायिक मुद्दों पर परामर्श करते हैं। उन्हें ग्राहकों की आवश्यकताओं के अनुरूप अच्छे संचारक होने चाहिए।
- भरोसेमंद : लेखाकार प्रकृति में गोपनीय जानकारी के साथ काम करते हैं। एक अच्छे लेखाकार को आवश्यकता पड़ने पर हर समय गोपनीयता बनाए रखनी होगी। यही उनकी व्यावसायिकता एक महत्वपूर्ण गुण है।
- संचार कौशल : एक लेखाकार को उन जटिल लेखांकन अवधारणाओं की प्रभावी रूप से व्याख्या और संवाद करने में सक्षम होता हैं जो वित्तीय भाषा को नहीं समझते! ग्राहक और नियोक्ता एक ऐसे एकाउंटेंट की खोज करते हैं जो आसानी से बातचीत और अपने विचारों को स्पष्ट रूप से प्रकट करने की योग्यता रखता हो।
- मजबूत नैतिकता और अखंडता : एक अच्छा एकाउंटेंट ईमानदारी की मजबूत भावना के साथ एक ईमानदार पेशेवर होता है। लेखाकार, अखंडता सिद्धांत के प्रति वफादारी यह सुनिश्चित करते हैं कि वे गोपनीय जानकारी को निजी रखें।
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अकाउंटेंट को किन-किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए :
- एक तो सबसे पहले उसे यह स्वीकार करना होगा कि वह एक एंप्लोई है एंपलॉयर नहीं !
- संस्था के हित में जो भी उसके मन में जो भी विचार आते हैं वह संस्था के मालिक को या अपने सीनियर को वह बता दे पर यह जरूरी नहीं कि वह उसको माने! यह उन पर छोड़ देना चाहिए, अकाउंटेंट को तब बुरा नहीं मानना चाहिए जब वे उसके सुझावों को नहीं मानते, After-All वे संस्था के मालिक हैं और आपसे ज्यादा भला – बुरा उनको पता है!
- एक अकाउंटेंट को संस्था के हित के बारे में ही ख्याल रखना चाहिए क्योंकि वह एक tresurur है संस्था के हित का, संस्था के मान, संस्था की आर्थिक हितों का! (A account is treasurer?)
अंत में, मैं यह कहना चाहूंगा कि एक अकाउंटेंट जो संस्था का अभिन्न अंग होता है, संस्था को उसका मान रखना चाहिए, यानी कि संस्था को अकाउंटेंट की respect करनी चाहिए उसे कभी भी कमतर नहीं आंकना चाहिए! आखिरकार वह ही संस्था के आर्थिक स्थिति के आंकलन का केंद्र बिंदु है!
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