कोरोना वायरस के इकोनॉमी पर असर को देखते हुए सरकार दूसरे राहत पैकेज की तैयारी कर रही है। इससे पहले 15वें वित्त आयोग की सलाहकार परिषद ने छोटे कारोबारियों के लिए सरकारी सहायता की व्यवस्था बनाने की सिफारिश की है। ताकि, लॉकडाउन से प्रभावित इस सेक्टर की गतिविधियां फिर से शुरू हो सकें और नकदी की उपलब्धता बढ़ सके।
'एनबीएफसी के लिए पर्याप्त नकदी की व्यवस्था हो'
वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में सलाहकार परिषद ने कई और सुझाव दिए। परिषद ने कहा कि नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए पर्याप्त नकदी की व्यवस्था के लिए लोन गारंटी स्कीम लाई जानी चाहिए। साथ ही कहा कि राज्यों के घाटे को देखते हुए फंडिंग के नए विकल्प तलाशने होंगे क्योंकि, कोरोना के समय में राहत के उपायों में खर्च बढ़ गए हैं।
'फाइनेंशियल सेक्टर को एनपीए से बचाना होगा'
परिषद का कहना है कि कोरोनावायरस से पहले भी छोटे कारोबारियों के पास नकदी की कमी थी। एसएमई सेक्टर की गतिविधियां और कैश फ्लो प्रभावित था। ऐसे में उनकी मदद की व्यवस्था करना अहम है। एनबीएफसी को ध्यान में रखते हुए परिषद ने कहा है कि फाइनेंशियल सेक्टर की कंपनियों को दिवालिया होने और बढ़ते एनपीए से बचाना चाहिए।
'पिछले जीडीपी अनुमान पर फिर से विचार करना जरूरी'
सलाहकार परिषद से सदस्यों का कहना है कि अर्थव्यवस्था पर कोरोना और लॉकडाउन का असर होगा। वित्तीय संस्थानों का कैश फ्लो प्रभावित होगा। वैश्विक मंदी की वजह से भारतीय उत्पादों की मांग भी घटेगी। सभी सदस्यों ने सुझाव दिया है कि मार्च 2020 से पहले के जीडीपी अनुमान पर फिर से विचार करने की जरूरत है। मौजूदा हालातों को देखते हुए अनुमान में कमी की जानी चाहिए।
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