अत्यधिक अमीरों पर टैक्स बढ़ाने की सिफारिश आने के एक दिन बाद वित्त मंत्रालय ने रविवार को इस विचार को गलत बताया और इस मामले की जांच का आदेश दिया। शनिवार को भारतीय राजस्व सेवा संगठन (आईआरएसए) ने एक रिपोर्ट में अत्यधिक अमीरों पर टैक्स बढ़ाने का सुझाव दिया था। रिपोर्ट रिलीज किए जाने को लापरवाही बताने का संकेत देते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि आईआरएसए या रिपोर्ट में उल्लिखित अधिकारियों के किसी भी समूह को सरकार ने कभी भी यह रिपोर्ट तैयार करने के लिए नहीं कहा था।
आईआरएस अधिकारियों ने अनुमति लिए बिना अपने विचार सार्वजनिक किए
सीबीडीटी ने एक बयान में कहा कि उसने आईआरएस एसोसिएशन या इन अधिकारियों को कभी यह रिपोर्ट बनाने के लिए नहीं कहा था। अधिकारियों ने अपने व्यक्तिगत विचार और सुझावों को सार्वजनिक करने से पहले कोई आदेश नहीं लिया। यह व्यवहार संबंधी नियमों का उल्लंघन है। इस मामले में जरूरी जांच शुरू की जा रही है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को बिना अधिकार के सार्वजनिक तौर पर ऐसे नासमझी भरे विचारों को लिखने के दुर्व्यवहार के लिए सीबीडीटी के चेयरमैन के सामने स्पष्टीकरण देना होगा। आईआरएसए के विचार किसी भी तरह से मंत्रालय या सीबीडीटी के विचार को परिलक्षित नहीं करते हैं।
सरकार अभी ज्यादा से ज्यादा राहत देने की कोशिश कर रही है
एक सूत्र ने कहा कि लोगों को इस विचार को पूरी तरह से दरकिनार कर देना चाहिए। हकीकत तो यह है कि वित्त मंत्रालय मौजूदा संकट की घड़ी में राहत देने, प्रणाली में नकदी बढ़ाने और लोगों के जीवन की सहूलियत बढ़ाने की हर संभव कोशिश कर रहा है। सरकार की आलोचना के बाद आईआरएसए ने एक ट्वीट में कहा कि 50 युवा आईआरएस अधिकारियों द्वारा तैयार फिस्कल ऑप्शंस एंड रिस्पांस टू कोविड-19 एपीडेमिक (फोर्स) रिपोर्ट विचारार्थ सीबीडीटी के पास भेजा गया था और यह अधिकारियों या आयकर विभाग के विचारों को परिलक्षित नहीं करता है।
सर्वोच्च टैक्स स्लैब को बढ़ाकर 40 फीसदी करने का था सुझाव
अन्य बातों के अलावा इस रिपोर्ट में सुझाया गया है कि 5 करोड़ रुपए से ऊपर की संपत्ति वाले सुपर रिच पर संपत्ति कर लगाया जाए और 4 फीसदी का वन टाइम कोविड राहत सेस लगाया जाए। रिपोर्ट में सुपर रिच पर 3 से 6 महीने की सीमित अवधि के लिए दो तरह से टैक्स बढ़ाने के सुझाव दिए गए हैं। एक सुझाव 1 करोड़ रुपए से अधिक कर योग्य आय वालों के लिए सर्वोच्च टैक्स स्लैब को बढ़ाकर 40 फीसदी करने का है। दूसरा सुझाव 5 करोड़ रुपए से ऊपर की संपत्ति वालों पर फिर से संपत्ति कर लगाने का है।
4 फीसदी वन टाइम कोविड रिलीफ सेस लगाने का भी था सुझाव
वन टाइम कोविड राहत सेस लगाने का सुझाव देते हुए आईआरएसए ने कहा कि सरचार्ज के मुकाबले सेस के दायरे में ज्यादा लोग आते हैं। क्योंकि सेस सभी करदाताओं पर लगता है और इससे ज्यादा राजस्व संग्रह होता है। अभी सेस की दर 4 फीसदी है। इसमें 2 फीसदी हेल्थ सेस और 2 फीसदी एजुकेशन सेस शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अतिरिक्त वन टाइम 4 फीसदी सेस और लगाया जा सकता है। इसका नाम कोविड रिलीफ सेस हो सकता है। इससे कोरोनावायरस से संबंधित राहत कार्य के लिए संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
No comments:
Post a Comment