रिलायंस इंडस्ट्रीज नॉन-डिजिटल बिजनेस के लिए भी जुटाएगी पैसा, विदेशी बैंकों से लेगी 11,300 करोड़ रुपए का लोन https://ift.tt/2xOLUfM - SAARTHI BUSINESS NEWS

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Monday, May 11, 2020

रिलायंस इंडस्ट्रीज नॉन-डिजिटल बिजनेस के लिए भी जुटाएगी पैसा, विदेशी बैंकों से लेगी 11,300 करोड़ रुपए का लोन https://ift.tt/2xOLUfM

मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) विदेशी लोन से 1.5 अरब डॉलर (11,300 करोड़ रुपए) जुटा रही है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि इस राशि का उपयोग पूंजीगत खर्च में किया जाएगा। कुछ ही दिनों पहले फेसबुक और कुछ अन्य संस्थानों ने कंपनी के जियो प्लेटफॉर्म्स में 61,000 करोड़ रुपए का निवेश करने का वादा किया है।


लोन का भुगतान कंपनी 5 साल में करेगी
सूत्रों ने कहा कि आरआईएल 10-15 विदेशी कर्जदाताओं से बात कर रही है। सिंडिकेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस लोन का भुगतान कंपनी 5 साल में करेगी। लोन से मिली राशि का उपयोग कंपनी की नॉन डिजिटल इकाइयों के रुटीन पूंजीगत खर्चों में किया जाएगा। इन नॉन डिजिटल इकाइयों में रिटेल, पेट्र्रोकेमिकल्स और ऑयल व गैस कारोबार आते हैं।


कुछ सप्ताह पहले शुरू हुई है लोन की बातचीत
एक सूत्र ने कहा कि लोन की बातचीत कुछ सप्ताह पहले शुरू हुई थी। तब से अब तक लक्षित लोन का आकार करीब 30 करोड़ डॉलर बढ़ चुका है। इस लोन की ब्याज दर छह महीने के डॉलर आधारित लिबर में 2.25-2.50 फीसदी जोड़ने के बाद तय की जाएगी। हालांकि लोन की किस्तों के आधार पर ब्याज के कई स्तर हो सकते हैं। अभी किस्त तय नहीं हुआ है। इस विषय पर आरआईएल ने कोई टिप्पणी नहीं की है। सूत्रों के मुताबिक कंपनी लोन के लिए जिन बैंकों से बात कर रही है, उनमें एचएसबीसी, बार्कलेज, बैंक ऑफ अमेरिका, क्रेडिट सुइस, एएनजेड, क्रेडिट एग्रीकोल, एमयूएफजी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड आौर सिटिग्रुप भी शामिल हैं। इन बैंकों से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं किया जा सका है।


53,124 करोड़ रुपए का राइट्स इश्यू ला रही है कंपनी
गौरतलब है कि कंपनी 7 अरब डॉलर (53,124 करोड़ रुपए) का राइट्स इश्यू ला रही है। यह राइट्स इश्यू देश में अब तक का सबसे बड़ा इश्यू होगा। अप्रैल के तीसरे सप्ताह में फेसबुक ने कहा कि वह करीब 5.7 अरब डॉलर में जियो प्लेटफॉर्म्स में 9.9 फीसदी हिस्सेदारी लेगी। इससे जियो का वैल्यूएशन 65.95 अरब डॉलर पर पहुंच गया। पिछले सप्ताह अमेरिका के टेक्नोलॉजी निवेशक सिल्वरलेक पार्टनर्स ने कहा कि वह इस यूनिट में 74.7 करोड़ डॉलर में 1.15 फीसदी खरीदेगी। इसके अलावा अमेरिका की ही एक अन्य निजी इक्विटी कंपपनी विस्टा इक्विटी पार्टनर्स भी जियो प्लेटफॉर्म्स में 11,367 करोड़ रुपए का निवेश कर रही है।


आरआईएल पर 1.61 लाख करोड़ रुपए का शुद्ध कर्ज है
इस साल 31 मार्च को आरआईएल का शुद्ध कर्ज 1.61 लाख करोड़ रुपए था। 31 मार्च 2019 को यह 1.54 लाख करोड़ रुपए था। कंपनी ने मार्च 2021 तक कर्ज को पूरी तरह से खत्म कर देने का लक्ष्य रखा है। कंपनी ने पहले कहा था कि वैल्यू बढ़ाने वाले कदमों और राइट्स इश्यू से कंपनी का बैलेंसशीट काफी मजबूत हो जाएगा। इनवेस्टर प्रेजेंटेशन में कंपनी ने कहा था कि चालू कैलेंडर वर्ष में कंपनी को 1.04 लाख करोड़ रुपए (13.6 अरब डॉलर) की आय होने का अनुमान है। शॉर्ट-टर्म कमर्शियल पेपर्स के अलावा कंपनी घरेलू बाजार से भी पूंजी जुटा रही है। पिछले 3 सप्ताहों में दो किस्तों में इसने 3 और 5 साल के मैच्योरिटी वाले बांड्स बेचकर 11,295 करोड़ रुपए जुटाए हैं।


अनिश्चितता के माहौल में रिलायंस कर्ज घटाने पर जोर दे रही है
रेटिंग एजेंसी क्रसिल ने 7 मई को एक रिपोर्ट में कहा कि तीन बड़े सेगमेंट्स तेल से लेकर रसायन, जियो प्लेटफॉर्म्स और रिटेल में से प्रत्येक में छोटी हिस्सेदारी बेचने के आरआईएल के फैसले से कर्ज घटाने, विकास में तेजी लाने और वित्तीय स्थिति ठीक करने में मदद मिलेगी। इसी महीने नोमुरा के विश्लेषक अनिल शर्मा और आदित्य बंसल ने एक रिपोर्ट में लिखा था कि अनिश्चितता के माहौल में रिलायंस कर्ज घटाने पर जोर दे रही है। कर्ज घटाने और आउटलुक सुधारने वाली कई घोषणाओं से रिलायंस ने हमें और शेयर बाजार को अचंभित कर दिया है। हाल में रिलायंस के शेयरों में भारी उछाल देखा गया है। फिर भी हमें लगता है कि कंपनी का यह प्रदर्शन कायम रहने वाला है। इस साल 23 मार्च से लेकर अब तक कंपनी के शेयर 76.6 फीसदी मजबूत हुए हैं। 23 मार्च को देश के शेयर बाजारों में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई थी। उस दिन से आज तक शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में 21.79 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।



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आरआईएल 10-15 विदेशी कर्जदाताओं से बात कर रही है। सिंडिकेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। लोन का भुगतान कंपनी 5 साल में करेगी। लोन के लिए कंपनी जिन बैंकों से बात कर रही है, उनमें एचएसबीसी, बार्कलेज, बैंक ऑफ अमेरिका, क्रेडिट सुइस, एएनजेड, क्रेडिट एग्रीकोल, एमयूएफजी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड आौर सिटिग्रुप शामिल भी हैं

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