कोरोनावायरस संक्रमण के कारण शुरू हुए मेट्रो शहरों से शुरू हुए रिवर्स माइग्रेशन के कारण देश के टियर-2 और टियर-3 शहरों में प्रारंभिक तौर पर घरों की मांग बढ़ सकती है। प्रॉपर्टी कंसलटेंट फर्म एनरॉक की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा समय में भारत के कुल आवासीय बाजार का 70 फीसदी हिस्सा टॉप-7 शहरों में है जबकि शेष 30 फीसदी हिस्सा टियर-2 और टियर-3 शहरों में है। भविष्य में आवासीय बाजार का यह औसत बदल सकता है।
कोविड-19 के बाद की दुनिया रियल एस्टेट के लिए प्रेरणादायक
एनरॉक की ओर से "इंडिया रियल एस्टेट: कोविड-19 के बाद एक अलग विश्व" नाम से तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया भारत के रियल एस्टेट के लिए अपनेआप में प्रेरणादायक रहेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना का कारण शुरू हुआ रिवर्स माइग्रेशन टियर-2 और टियर-3 शहरों में आवास की मांग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, मेट्रो शहरों में नौकरी खोने वाले लोगों के रिवर्स माइग्रेशन से लखनऊ, इंदौर, चंडीगढ़, कोच्चि, कोयंबटूर, जयपुर और अहमदाबाद जैसे शहर लाभान्वित होंगे। इन लोगों को टियर-2 और टियर-3 शहरों के सुपीरियर इंफ्रास्ट्रक्चर और जीने की कम लागत का लाभ मिलेगा।
प्रवासी कामगारों में ज्यादा रिवर्स माइग्रेशन
एनरॉक प्रॉपर्टी कंसलटेंट के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है कि प्रवासी मजदूरों के बीच रिवर्स माइग्रेशन पहले से ही बहुत दिखाई दे रहा है। यह प्रवृत्ति उन कुशल पेशेवरों में भी दिख सकती है जो अधिकृत रूप नौकरी से बाहर जा चुके हैं या जाने की संभावना है। इस कारण छोटे कस्बों और शहरों में हाउसिंग डिमांड बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक तौर पर रेंटल हाउसिंग की मांग बढ़ेगी। रेंटल हाउसिंग की मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय निवेशकों की ओर से किए जाने वाले निवेश से खरीदारी बढ़ेगी
एनआरआई के भारत लौटने की संभावना
पुरी ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में नौकरी की संभावना कम होने के बाद बड़ी संख्या में एनआरआई के भारत लौटने की संभावना है। इन एनआरआई के लिए टॉप-7 शहर पहली प्राथमिकता रहेंगे। लेकिन इनमें से कई अपने परिवारों के नजदीक छोटे शहरों पर भी विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि रिवर्स माइग्रेटिंग के जरिए छोटे शहरों में लौट रहे भारतीयों को उपयुक्त रोजगार उपलब्ध कराना भी एक चुनौती रहेगी।
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