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Wednesday, May 13, 2020

देश भर में 20 लाख कमर्शियल वाहन अटके, कर्ज की ईएमआई न चुका पाने और सामानों की मांग न होने से परेशानी https://ift.tt/2SY5dec

मुंबई- राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण इस समय हाइवे पर हजारों ट्रक अटके पड़े हैं। इन ट्रकों में लाखों रुपए के माल भी हैं। देश में कुल 25 लाख कमर्शियल वाहनों में से मात्र 15 प्रतिशत वाहन ही इस समय चल रहे हैं। इस तरह से देखा जाए तो 20 लाख के करीब ट्रक इस समय खड़े हैं। साथ ही इस समय कर्ज की ईएमआई न चुका पाने से ट्रकों को फाइनेंस कंपनियां कब्जे में ले रही हैं।

सीमेंट, स्टील जैसी सामग्री की मांग नहीं है

दरअसल ऐसा नहीं है कि फ्रेट की मांग नहीं है और यह ट्रक इसलिए खड़े हैं। बल्कि दिक्कत यह है कि इस समय ऑपरेटिंग खर्च बढ गया है। इससे यह बिजनेस टिकना मुश्किल लग रहा है। दिल्ली स्थित फ्लीट ऑपरेटर और 2,400 ट्रकों के मालिक मुकेश चेतक कहते हैं कि सीमेंट, स्टील जैसी सामग्री के लिए कोई मांग नहीं है। इससे ड्राइवर नहीं मिल रहे हैं। इस कारण वाहन हाइवे पर अटके पड़े हैं। इस समय केवल दवाइयों, एफएमसीजी और आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई हो रही है। जबकि बाकी के तमाम गुड्स कैरियर्स को फटका लगा है।

रिटेल में कमर्शियल वेहिकल सबसे बड़ा डिफॉल्ट सेगमेंट हो सकता है

कई बड़े फ्लीट ऑपरेटर्स अपने वाहनों के लिए ईएमआई चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। इससे बैंक और फाइनेंशियल संस्थान वाहनों को जब्त कर रहे हैं। रिटेल लोन पोर्टफोलियो में कमर्शियल वेहिकल लोन डिफॉल्ट का सबसे बड़ा सेगमेंट हो सकता है। देश में सबसे बड़ी कमर्शियल वेहिकल फाइनेंसिंग एनबीएफसी सुंदरम फाइनेंस के एमडी टीटी निवास राघव ने बताया कि आर्थिक गतिविधियोंमें कितनी तेजी से सुधार आएगा, इस पर सब कुछ निर्भर है। इसके बाद ही माल की सप्लाई हो सकती है।

कई अन्य तरह के विकल्प तलाश रही हैं कंपनियां

आमतौर पर ट्रक लोन तीन लाख रुपए से लेकर 30 लाख रुपए तक होता है। लोन की अवधि 5 साल की होती है। टाटा मोटर्स फाइनेंस जैसी कंपनियां बिल डिस्काउंट, टर्म लोन के रिशेड्यूलिंग, प्राइवेट इक्विटी फंडिंग, वर्किंग कैपिटल सोल्यूशन और लीज ऑप्शन जैसे कदम उठा रही हैं। जानकारों का मानना है कि फाइनेंसर के पास से वाहनों को वापस लेने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। इस कारण बड़ी संख्या ड्राइवर व्यवसाय छोड़ रहे हैं।

ज्यादा सैलरी पर भी ड्राइवर नहीं मिल रहे हैं

इस समय ज्यादा सैलरी देने पर भी ड्राइवर नही मिल रहे हैं। यस बैंक में सीवी फाइनेंसिंग के प्रमुख अनिल मेनन ने बताया कि इस समय अगर ट्रक को वापस लिया जाता है तो स्टॉक यार्ड में इनवेंटरी बढ़ जाएगी और इससे आरटीओ पर बोझ बढ़ेगा। इस कारण इस समय अगर हमारी तैयारी ट्रक को फंड देने की होगी तो भी ट्रांजेक्शन क्लोजर में देरी होगी। टोल कलेक्शन में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। इस समय ट्रांसपोर्टर्स के सामने जो प्रमुख दिक्कतें हैं उसमें ड्राइवरों की कमी, पेमेंट साइकल की अनिश्चितता और रिटर्न लोड जैसी समस्याएं हैं।

आरबीआई द्वारा लोन मोराटोरियम तीन महीने तक बढ़ाने से भी बहुत ज्यादा राहत नहीं मिली है। करीबन 90 प्रतिशत कमर्शियल वाहन के ग्राहक एनबीएफसी से लोन लेते हैं।



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फिलहाल आवश्यक वस्तुओं की ही मांग पूरी की जा रही है

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