पहले से ही मंदी कीमार झेल रहे भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में पिछले वित्त वर्ष में संस्थागत निवेश भी कम रहा है। अमेरिका की प्रॉपर्टी कंसल्टेंट फर्म वेस्टियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020 में भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में संस्थागत निवेश 12 फीसदी घटकर 4.48 बिलियन डॉलर यानी करीब 33,800 करोड़ रुपए रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, धीमी आर्थिक ग्रोथ और कोरोना महामारी के कारण पैदा हुई अनिश्चितता के कारण निवेश में कमी आई है।
चौथी तिमाही में 44 फीसदी की गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक, बीते वित्त वर्ष की अंतिम और चौथी तिमाही में रियल एस्टेट सेक्टर में संस्थागत निवेश में 44 फीसदी की गिरावट रही है। इस अवधि में केवल 727 मिलियन डॉलर यानी 5490 करोड़ रुपए का निवेश मिला। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 में पिछले पांच सालों के मुकाबले सबसे कम मात्रा में संस्थागत निवेश मिला है। वेस्टियन के मुताबिक, पूरे साल सख्त आर्थिक हालात और चौथी तिमाही में कोरोना संकट सामने आने के कारण यह गिरावट आई है।
कमर्शियल एसेट्स को 81 फीसदी निवेश मिला
वित्त वर्ष 2020 में कुल निवेश में से कमर्शियल सेगमेंट में 81 फीसदी यानी 3636 मिलियन डॉलर का निवेश मिला है। इसी प्रकार से रेजिडेंशियल सेगमेंट को 13 फीसदी यानी 565 मिलियन डॉलर का संस्थागत निवेश मिला है। यदि शहरों के अनुसार बात करें तो पिछले साल मुंबई, बेंगलुरुऔर पुणे को कुल निवेश का 90 फीसदीहिस्सा मिला है। इसमें मुंबई को 42 फीसदी और बेंगलुरु को कुल निवेश का 37 फीसदी हिस्सा मिला है।
अमेरिका से मिला सबसे ज्यादा निवेश
निवेश करने वाले देशों की बात करें तो इसमें अमेरिका सबसे आगे है। इसके बाद सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और जापान का नंबर आता है। कुल संस्थागत निवेश में अमेरिका के निवेशकों की हिस्सेदारी 67 फीसदी है। कंसल्टेंट फर्म वेस्टियन का कहना है कि कोविड-19 के रियल एस्टेट सेक्टर प्रभाव को देखते हुए कमर्शियल सेगमेंट को उबरने में 2-3 तिमाही का समय लग सकता है। वहीं रेजिडेंशियल सेगमेंट को उबरने में लंबा समय लग सकता है।
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