अनिल अग्रवाल के मालिकाना हक वाली कंपनी वेदांता रिसोर्सेस भारतीय बाजार में लिस्टेड वेदांता लिमिटेड कीडीलिस्टिंग पर होने वाले खर्च के लिए पैसे जुटाने की तैयारी कर रही है। कंपनी इसके लिए बैंकों से 2.5 अरब डॉलर का शॉर्ट टर्म कर्ज लेगी। यह कर्ज वैश्विक बैंक जैसे जेपी मोर्गन और बार्कलेज बैंकों से लिया जाएगा। डीलिस्टिंग पर अनुमानित रूप से 2.2 अरब डॉलर का खर्च होने का अनुमान है।
वर्तमान निवेशकों से वापस लिए जाने वाले शेयरों पर खर्च होगा पैसा
बता दें कि वेदांता रिसोर्सेस कंपनी भारतीय शेयर बाजार में लिस्टेड अपनी कंपनी वेदांता लिमिटेड को डिलिस्ट करने की प्रक्रिया में है। इस डीलिस्टिंग प्रक्रिया में कंपनी को 2.2 अरब डॉलर रुपए की राशि का भुगतान वर्तमान निवेशकों को करना होगा। वेदांता लिमिटेड का पब्लिक के पास से पूरा शेयर वेदांता रिसोर्सेस खरीदेगी। इसलिए उसे इन पैसों की जरूरत है। इस मामले के जानकारों का मानना है कि लोन फैसिलिटी के अंडरराइटर के रूप में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और सिटी बैंक हैं।
18 मई को वेदांता के बोर्ड ने दी थी डिलिस्टिंग को मंजूरी
वेदांता के बोर्ड ने 18 मई को भारत में लिस्टिंग वाली होल्डिंग कंपनी की डिलिस्टिंग की प्रक्रिया को मंजूरी दिया था। एसबीआई कैपिटल के वैल्यूएशन के आधार पर इसका निर्णय लिया गया था। इस मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक विदेशी बैंक वेदांत को शॉर्ट टर्म लोन देंगे। कर्ज की शर्त के कारण बैंकों को थोड़ी राहत मिलेगी। सूत्रों के मुताबिक लंदन इंटर बैंक ऑफर्ड रेट (लाइबोर) और उसके बाद 250 बेसिस प्वाइंट के अंतर के आधार पर लोन की ब्याज दर तय की जाएगी।
वेदांता रिसोर्स की डिलिस्टिंग के लिए लिया था 1.1 अरब डॉलर का कर्ज
अक्टूबर 2018 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड और क्रेडिट सुइस ने अनिल अग्रवाल के फैमिली ट्रस्ट के लिए 1.1 अरब डॉलर के फाइनेंस की व्यवस्था की थी। उस समय फैमिली ट्रस्ट लंदन स्टॉक एक्सचेंज में से वेदांता रिसोर्सेस की डिलिस्टिंग के लिए इस राशि का उपयोग किया था। वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने एक रिपोर्ट में कहा था कि पिछले 8 से 10 वर्ष में कॉर्पोरेट नियम आसान हुए हैं।
वेदांता लिमिटेड की प्रमोटर कंपनी वेदांता रिसोर्सेस है। एक हफ्ते पहले लंदन स्थित होल्डिंग कंपनी ने बताया था कि वेदांता लिमिटेड की डीलिस्टिंग प्रति शेयर 87.50 रुपए पर तय की गई है और इसी पर इसे बायबैक किया जाएगा।
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