राज्यों और कोविड-19 खर्च के लिए अतिरिक्त राजस्व के लिए सरकार द्वारा किए गए एकाउंटिंग से राज्यों को लगभग 6.4 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा। इसमें से केवल 3.2 लाख करोड़ रुपए उधार लेकर मुआवजा दिया जा सकता है। क्योंकि राज्य इससे जुड़ी शर्तों के कारण 4.28 लाख करोड़ रुपए उधार नहीं ले पाएंगे।
अतिरिक्त उधार के बाद भी राज्यों कोअनकवर्ड लॉस होगा
एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि इस प्रकार कुल 3.2 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त उधार लेने के बाद भी राज्यों का खुला (uncovered) नुकसान है। हम उम्मीद करते हैं कि राज्य वित्त वर्ष 2021 के लिए अपने अनुमानित बजट कैपिटल एक्सपेंडिचर को यदि अधिक नहीं तो 8.8 लाख करोड़ रुपए से घटाकर 50 प्रतिशत कर सकते हैं।रिपोर्ट के मुताबिक हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक exceptional clause का उपयोग करके राज्यों के राजकोषीय घाटे को बढ़ाने की अपील कर सकते हैं। इस प्रकार हमें चालू वित्त वर्ष में वसूली की उम्मीद कम है।
वित्त वर्ष 21 में जीडीपी -4.7 से नीचे नहीं जाएगा
हमारा जीडीपी अब वित्त वर्ष 21 में -4.7 प्रतिशत के वर्तमान अनुमान से ज्यादा नीचे नहीं जा सकता है।ज्यादा आसानी प्रदान करते हुए, सरकार ने दिवालिया कार्यवाई शुरू करने के लिए न्यूनतम सीमा एक लाख रुपए को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए कर दिया है। लॉकडाउन अब 31 मई तक बढ़ा दिया गया है। हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई मोरेटोरियम को 3 महीने और बढ़ा दे।
आरबीआई बढ़ा सकता है मोराटोरियम
आरबीआई के मोराटोरियम बढ़ाने से यह होगा कि कंपनियों को 31 अगस्त तक भुगतान की जरूरत नहीं होगी। इससे कंपनियों को सितंबर में अपनी ब्याज देनदारियों की न्यूनतम संभावना होगी। इसमें फेल होने पर मौजूदा मानदंडों के अनुसार एनपीए में क्लासिफाइड किया जा सकता है। इस प्रकार आरबीआई को मौजूदा लोन के व्यापक रिस्ट्रक्चरिंग और 90 दिन के मानक के reclassification के लिए बैंकों को operational flexibility देने की जरूरत है। अभी 7 जून का सर्कुलर सख्त है और बैंकों को बहुत कम फ्लैक्सिबिलिटी देता है।
आरबीआई को स्पष्ट करना होगा वर्किंग कैपिटल लोन का क्लासीफिकेशन
आरबीआई को यह भी स्पष्ट करने की जरूरत है कि क्या बढ़े हुए वर्किंग कैपिटल लोन को कोविड-19 लोन के रूप में क्लासिफाई किया जाए। नई सार्वजनिक उद्यम नीति (Public Enterprise Policy) के उपाय से विफल पीएसई में लॉक पूंजी को फ्री करने की उम्मीद है। यह स्पष्ट नहीं है कि यह उपाय केवल केंद्र के पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज तक फैला है या इसमें राज्य पीएसई भी शामिल हैं। मार्च 19 तक, भारत के पास 262 ऑपरेटिंग पीएसई हैं जो 1.43 लाख करोड़ रुपए के लाभ का योगदान दे रहे हैं। हालांकि, सर्विसेज सेक्टर में जहां 134 पीएसई हैं, वहां प्रॉफिट की रकम सिर्फ 12,584 करोड़ रुपए (यानी 545.6 करोड़ रुपए प्रति पीएसई) है।
8 राज्य सरकारें ही अतिरिक्त लाभ के लिए पूरा कर रही हैं शर्तें
रिपोर्ट के मुताबिक20 राज्यों में से केवल 8 राज्य सरकार हीसभी शर्तों को पूरा करने स्थिति में हैं और जीएसडीपी के 2 प्रतिशतके अतिरिक्त उधारका लाभ उठा सकते हैं। इसलिए 4.28 लाख करोड़ रुपएमें से हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 21 में राज्य सरकारों द्वारा केवल 3.13 लाख करोड़ रुपए(कुल उपलब्ध राशि का 73 प्रतिशत) ही उधार लिया जा सकता है।पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, बिहार, ओडिशा, असम, झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे कुछ राज्य हैं जो उधारी का लाभ उठाने के लिए सशर्त संबंधों को पूरा कर सकते हैं।
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