कोरोनोवायरस महामारी के कारण दुनिया के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस एविंका (Avianca) ने रविवार को न्यूयॉर्क में चैप्टर 11 दिवालियापन फॉर्म दाखिल किया है। कंपनी ने इन हालातों के लिए कोरोना को जिम्मेदार ठहराया है। कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के कारण पूरी दुनिया की एयरलाइंस समस्या से गुजर रही हैं। एयरलाइन का कहना है कि उसके बेड़े में189 विमान हैं, जो एक दिन में लगभग 700 उड़ानें संचालित करते थे।
दुनिया की दूसरी सबसे पुरानी एयरलाइन है एविंका
एविंका की स्थापना 1919 में हुई थी यह दुनिया की दूसरी सबसे पुरानी लगातार चलने वाली एयरलाइन होने का दावा करती है। यूरोमोनिटर के अनुसार, चिली के लैटम एयरलाइंस (एलटीएम) और ब्राजील के जीओएल लिन्हास एरेस (जीओएल) के बाद पिछले साल के अंत तक यह लैटिन अमेरिका में तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइन थी। एविंका पूरे लैटिन अमेरिका में 21,000 लोगों को सीधे रोजगार देता है, जिसमें कोलंबिया में 14,000 से अधिक शामिल हैं, जहां यह देश के राष्ट्रीय वाहक के रूप में कार्य करता है।
2000 के दशक में भी आई थी दिवालियापन की समस्या
कंपनी के अनुसार पिछले 100 सालों में इतनी विपरीत स्थिति कभी नहीं बनी। इससे पहले एवियनका 2000 के दशक की शुरुआत में दिवालियापन की समस्या से जूझ रहा था। उस समय एक बोलिवियाई मूल के तेल व्यवसायी जर्मन एफ्रोमोविच ने ऐसे बचाया गया था।
भारत में एविएशन सेक्टर को रोजाना 150 करोड़ रुपए का नुकसान
कोरोना वायरस के चलते देश में एविएशन सेक्टर को रोजाना 150 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। देश में प्रतिदिन करीब 4000 घरेलू और 500 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन होता है। अकेले दिल्ली में ही रोजाना 900 से अधिक उड़ानों का संचालन होता है। भारतीय विमानन उद्योग को 75 से 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के नुकसान की आशंका है। इस वजह से रेवन्यू भी 40% गिर सकता है। डीजीसीए के एक अधिकारी का कहना है कि कोरोना संकट से पहले देश में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का एक दिन का रेवन्यृ करीब 350-400 करोड़ रुपए था, जो अब आधा रह गया है।
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