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Saturday, May 23, 2020

महामारी में निवेश के अच्छे तरीके से किए गए असेट अलोकेशन से मिलता है बेहतर रिटर्न, बाजार की गिरावट को अवसर में बदलें https://ift.tt/2TzMVAd

आमतौर पर रिटेल निवेशक इक्विटी बाजार में उस समय निवेश करते हैं, जब बाजार ऊपर जाता है। जब बाजार नीचे जाता है तो डर के कारण निवेशक अपने पैसे निकालने लगते हैं। कभी-कभी जब बाजार ऊपर जाता है और निवेशक लाभ भी कमा लेता है, बावजूद इसके वह थोड़ी और ज्यादा कमाई की लालच में वह फायदा भी गंवा देता है, जो उसने कमाया है। लेकिन अगर अच्छे तरीके से असेट अलोकेशन किया जाए तो कोविड-19 जैसी महामारी में भी आप अच्छा लाभ कमा सकते हैं। यहां हम 4महामारी के बारे में बता रहे हैं, जिसमें निवेशकों ने बेहतर असेट अलोकेशन से अच्छी कमाई की है।

असेट अलोकेशन क्या होता है

असेट अलोकेशन का मतलब परिसंपत्तियों काबंटवारा। यानी आपके पास अगर 12 अंडे हैं तो आपको चाहिए कि आप इन 12 अंडों को अलग- अलग बॉस्केट में रखें। इसका कारण यह है कि अगर कोई दुर्घटना होती है तो अंडों के अलग-अलग रहने पर कम नुकसान होगा। लेकिन ये अंडे अगर एक साथ रहे तो आपको पूरा का पूरा नुकसान होगा। इसी तरह असेट अलोकेशन का मतलब यह है कि आप अपने पूरे पैसे किसी एक स्टॉक में या इक्विटी बाजार में या किसी एक संसाधन में निवेश न करें।

नुकसान को कवर कर फायदा देने की रणनीति

आपके पास 100 रुपए हैं तो आपको चाहिए कि 100 रुपए में से 20 रुपए इक्विटी बाजार में, 20 रुपए एफडी में,10 रुपए बीमा में,10 रुपए सोने में,30 रुपए म्युचुअल फंड में,10 रुपए छोटी योजनाओं आदि में इस तरह से निवेश करें। इसका फायदा यह होगा कि अगर एक निवेश में आपको नुकसान हुआ तो दूसरा निवेश का जो फायदा है, वह आपको उस नुकसान की भरपाई कर देगा। अगर आपने सभी 100 रुपए एक ही जगह निवेश किया है तो हो सकता है कि आपको 100 रुपए का 150 रुपए मिल जाए या 100 रुपए की कीमत 50 रुपए हो जाए।

सार्स (सेवर एक्यूरेट रिस्पाइरेटरी सिंड्रोम 2003-04)

सार्स की उत्पत्ति उसी चीन से 2002 में हुई, जहां से कोविड-19 की उत्तपत्ति 2019 में हुई है। कोविड-19 की तरह ही सार्स भी कुछ महीनों में ही पूरी दुनिया में फैल गया था। भारतीय बाजार में इसका रिएक्शन जनवरी 2003 से दिखना शुरू हुआ। हालांकि कुछ महीनों बाद यह रिकवर हो गया। गिरावट के समय सेंसेक्स में 14 प्रतिशत की गिरावट आई। लेकिन अगले एक साल में इसी सेंसेक्स ने 90 प्रतिशत से ज्यादा का रिटर्न निवेशकों को दिया। इसी दौरान म्युचुअल फंड के एसआईपी ने 65 प्रतिशत का रिटर्न दिया।

सार्स के दौरान अगर किसी ने असेट अलोकेशन के तहत मॉडरेट, अग्रेसिव और कंजरवेटिव तरीके से निवेश किया तो उसके 100 रुपए की कीमत 93 रुपए, 90 रुपए और 98 रुपए रह गई। लेकिन बिना असेट अलोकेशन से जिसने निवेश किया उसके 100 रुपए की कीमत इस दौरान घटकर 86 रुपए पर रह गई।

एविएन इंफ्लूएंजा (2004-05)

इसे आमतौर पर बर्ड फ्लू या एच5एल1 के नाम से जानते हैं। यह 2004 की शुरुआत में शुरू हुआ और पूरे एशियाई देशों को चपेट में ले लिया। इसमें एशिया के पूर्वी देशों को ज्यादा नुकसान हुआ। सेंसेक्स में इस दौरान 15 प्रतिशत की गिरावट आई। लेकिन अगले तीन महीने में सेंसेक्स ने इस गिरावट को रिकवर कर लिया। एक साल में सेंसक्स ने 32 प्रतिशत का रिटर्न दिया। पूरी अवधि में सेंसेक्स का यह रिटर्न 65 प्रतिशत रहा।

म्युचुअल फंड की एसआईपी ने इस दौरान 32 प्रतिशत का रिटर्न दिया। एविएन आउटब्रेक के दौरान जिन लोगों ने कंजरवेटिव तरीके से 100 रुपए का निवेश किया उसकी कीमत घटकर 99.1 रुपए, मॉडरेट में 93.5 रुपए और अग्रेसिव में 89.8 रुपए रह गई। जबकि बिना असेट अलोकेशन का 100 रुपए के निवेश की कीमत इसी दौरान घटकर 85 रुपए रह गई।

स्वाइन फ्लू (2009-10)

स्वाइन फ्लू को एच1एन1 के नाम से जानते हैं जिसकी शुरुआत 2009 में हुई। उस समय पूरे विश्व की करीबन 11 से 21 प्रतिशत आबादी इसकी चपेट में आई। एसआईपी का रिटर्न इस समय 21 प्रतिशत रहा। हालांकि इस दौरान बाजार में बहुत गिरावट नहीं आई। इस समय 100 रुपए का निवेश कंजरवेटिव में 103 रुपए, मॉडरेट में 100.9 रुपए और अग्रेसिव में 99.1 रुपए हो गई। लेकिन जिन लोगों ने असेट अलोकेशन का पालन नहीं किया उनकी 100 रुपए के निवेश की कीमत इसी दौरान 96.7 रुपए हो गई।

इबोला-(2013-14)

स्वाइन फ्लू की तरह इबोला भी बाजार पर कोई ज्यादा दबाव नहीं बना पाया। इस दौरान एसआईपी ने 38 प्रतिशत का रिटर्न दिया। इस समय इंडेक्स ने 47 प्रतिशत का रिटर्न दिया। किसी ने अगर 100 रुपए का निवेश किया तो उसकी कीमत कंजरवेटिव में 100.1 रुपए, मॉडरेट में 98.7 और अग्रेसिव में 97.8 रुपए हुई। जबकि असेट अलोकेशन का पालन नहीं करने पर इसकी कीमत 96.6 रुपए हो गई।

असेट अलोकेशन का पालन करने पर हुआ फायदा

इन आंकड़ों से पता चलता है कि बाजार हर महामारी में रिएक्ट करता है। पर बाद में वह अच्छी रिकवरी करता है। पर अगर किसी ने सही तरीके से असेट अलोकेशन का पालन किया तो उसे इसका अच्छा खासा फायदा मिला। जैसा कि हमने हर महामारी में एसआईपी का रिटर्न देखा है। सेंसेक्स के रिटर्न, बाजार में डायरेक्ट रिटर्न और असेट अलोकेशन का पालन नहीं करने की तुलना में असेट अलोकेशन का पालन कई गुना ज्यादा रिटर्न देता है।



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कोविड-19 में जब बाजार में भारी गिरावट दिखी है, आप चाहें तो असेट अलोकेशन का तरीका अपना सकते हैं

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