पिछले साल अप्रैल-मई में मनरेगा में 91.7 करोड़ दिन के बराबर काम हुए थे। जबकि इस साल अप्रैल-मई में यह आंकड़ा घटकर महज 28.6 करोड़ दिन पर रह गया है। हालांकि अभी मई में 12 दिन बाकी है, पर ऐसी संभावना है कि महीने पूरे होने पर भी पिछले साल की तुलना में इस साल आंकड़ा कम रह जाएगा। इस गिरावट के पीछे प्रमुख कारण लॉकडाउन की वजह से काम बंद होना है। अप्रैल 2019 से लेकर मार्च 2020 में इसमें हालांकि तेज बढ़ोत्तरी रही है।
अप्रैल-मई 2019 में 91.7 करोड़ दिनों के लिए मिला था काम
एसबीआई की जारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल अप्रैल-मई में मनरेगा में कुल 91.7 करोड़ दिन के बराबर मजदूरों ने काम किया। इस साल जब पूरे देश में लॉकडाउन है, लोगों के पास काम नहीं हैं, ऐसी स्थिति में यह आंकड़ा घटकर 28.6 करोड़ रह गया है। हालांकि पिछले हफ्ते आर्थिक पैकेज की घोषणा के समय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यह दावा किया था कि पिछले साल अगर कुल 100 मजदूर काम कर रहे थे तो इस साल यह संख्या वर्तमान में 40 प्रतिशत बढ़ गई है। यानी 100 मजदूर पिछले साल थे तो इस साल यह 140 या 150 हो गया है।
प्रवासी मजदूर लगातार गांव में जा रहे हैं
इस तरह से देखा जाए तो वित्तमंत्री के आंकड़े और एसबीआई के आंकड़ों में जबरदस्त अंतर है। वित्तमंत्री जहां 40 प्रतिशत बढ़ने की बात कह रही हैं, वहीं एसबीआई इसमें 70 प्रतिशत तक गिरावट की बात कह रहा है। यह तब हुआ है जब देश भर में लॉकडाउन से शहरों के प्रवासी मजदूर भागकर गांव चले गए हैं। बता दें कि सरकार ने प्रवासी मजदूरों को गांव में काम देने के लिहाज से हाल के आर्थिक पैकेज में 40,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त अलोकेशन किया है।
300 करोड़ दिनों के काम की व्यवस्था की गई है
मनरेगा के बजट में नए अलोकेशन के साथ कुल 61,500 करोड़ रुपए होने से यह साल 2006 के बाद सबसे अधिक राशि हो गई है। वित्तमंत्री ने इससे पहले बजट भाषण में भी इसकी घोषणा की थी। वित्तमंत्री ने आर्थिक पैकेज में कहा कि मनरेगा में कुल 300 करोड़ दिन काम करने की व्यवस्था की गई है। यानी एक मजदूर अगर काम करे तो उसे 300 करोड़ दिन का काम मिलेगा।
जॉब कार्ड बनने के 15 दिनों में मिलता है काम
दरअसल शहरों से जो मजदूर गांव भाग कर जा रहे हैं, उन्हें मानसून में रोजगार मिलने की उम्मीद है। इस स्कीम के तहत हर घर को एक साल में 100 दिन काम देने का नियम है। जिसके पास जॉब कार्ड है, वह ग्राम पंचायत में 15 दिन के अंदर काम पाने के लिए योग्य हो जाता है। प्रोजेक्ट पूरा होने के 15 दिन के अंदर उन्हें भुगतान भी मिलन तय है। फिलहाल 27 करोड़ लोगों के पास जॉब कार्ड है। इसमें से 13 करोड़ सक्रिय मजदूर हैं।
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