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Wednesday, May 13, 2020

कंज्यूमर फाइनेंस कंपनियां स्मार्ट फोन, टीवी, एसी और फ्रिज पर जीरो ईएमआई स्कीम को कर सकती हैं बंद https://ift.tt/2xXV7Tf

सैलरी में कटौती और बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए कंज्यूमर फाइनेंस कंपनियों ने शर्तों को अब चुस्त दुरुस्त बनाना शुरू कर दिया है। कोविड-19 के कारण पैदा हुई स्थिति के कारण कंपनियां अब जीरो डाउन पेमेंट स्कीम्स को बंद कर सकती हैं। इसी के साथ स्मार्ट फोन, टेलिवीजन, रेफ्रिजरेटर्स, वॉशिंग मशीन और एसी के लिए भी नो कॉस्ट ईएमआई की योजना भी दूर हो सकती है।

कम मार्जिन वाले प्रोडक्ट हो सकते हैं बंद

रिटेलरों के मुताबिक लॉकडाउन में धीरे-धीरे छूट मिल रही है। इस वजह से अब उधार के नियम कड़क होंगे। उत्पादक अब कम मार्जिन वाले प्रोडक्ट्स और लंबे समय की स्कीम्स को बंद कर सकते हैं। रिटेलर्स के मुताबिक अप्रैल में डिफॉल्ट रेट बढ़ने के कारण बजाज फिनसर्व, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेस जैसी एनबीएफसी कंपनियों ने संकेत दिया है कि ग्राहकों को कई ईएमआई पहले चुकानी होगी। लोन की अवधि के साथ ही इसे पहले चुकाना होगा। नो कॉस्ट ईएमआई मात्र ज्यादा मार्जिन वाले और प्रीमियम प्रोडक्ट्स पर ही रहेगी।

स्कीम्स की अवधि भी होगी कम

जानकारी के मुताबिक, इस तरह की स्कीम्स की सीमा पहले 15-18 महीने तक होती थी। लेकिन अब यह 3-12 महीने तक ही रहेगी। ब्रांड्स मिड सेगमेंट के प्रोडक्ट्स और फाइनेंसिंग स्कीम्स में ब्याज खर्च भी जौोड़ने को तैयार हैं। इससे ग्राहक को वार्षिक 15 प्रतिशत तक का ब्याज चुकाना पड़ सकता है। हाल में सेमसंग, सोनी और वन प्लस के लिए घोषित स्कीम्स में इस तरह का बदलाव किया गया है।

ईएमआई रिकवर करना हो सकता है मुश्किल

कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक एंड एप्लायंसेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिशएन के प्रेसीडेंट कमल नंदी ने बताया कि ग्राहकों के पास से पहले ईएमआई रिकवर करना मुश्किल होगा। इसलिए तमाम अग्रणी कंज्यूमर फाइनेंस कंपनियों ने अपनी स्कीम्स में बदलाव किया है। उनके मुताबिक, अर्निंग में कमी की आशंका के कारण ब्रांड्स खर्च घटाने की योजना भी बना रही हैं। फाइनेंस कंपनियां खर्च में जब तक कटौती नहीं करेंगी, तब तक हम संपूर्ण तरीके से ब्याज खर्च वहन नहीं कर सकेंगे।

कुछ कंपनियों का कहना है कि अब आनेवाले समय में इस तरह के बदलाव होंगे कि ग्राहक पर ज्यादा उधार नहीं बढ़े। कंपनियां इस तरह के जोखिम से बचना चाहेंगी।



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नए फैसले से ग्राहक को वार्षिक 15 प्रतिशत तक का ब्याज चुकाना पड़ सकता है

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