गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों के प्रमुखों से मुलाकात की, लोन मोरेटोरियम और लॉकडाउन के बाद कर्ज की उपलब्धता पर चर्चा की https://ift.tt/2yp49bU - SAARTHI BUSINESS NEWS

Business News, New Ideas News, CFO News, Finance News, Startups News, Events News, Seminar News

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Sunday, May 3, 2020

गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों के प्रमुखों से मुलाकात की, लोन मोरेटोरियम और लॉकडाउन के बाद कर्ज की उपलब्धता पर चर्चा की https://ift.tt/2yp49bU

कोविड-19 की महामारी और अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे इसके प्रभाव के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को बैंकों के प्रमुखों के साथ एक बैठक की। बैठक में उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति और वित्तीय प्रणाली में तनाव को कम करने के लिए उठाए गए कदमों के कार्यान्वयन की समीक्षा की। बैठक के बाद आरबीआई द्वारा जारी बयान में कहा गया कि यह बैठक वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये दो अलग-अलग सत्रों में हुई। प्रमुख सरकारी और निजी बैंकों के एमडी और सीईओ ने इस बैठक में हिस्सा लिया।


एमएसएमई को कर्ज की उपलब्धता पर भी चर्चा हुई
अपने शुरुआती संबोधन में गवर्नर ने लॉकडाउन के दौरान सामान्य से लेकर लगभग सामान्य संचालन सुनिश्चित करने के लिए बैंकों के प्रयासों की सराहना की। अन्य बातों के अलावा बैठक में मौजूदा आर्थिक स्थिति की समीक्षा की गई और वित्तीय सेक्टर की स्थिरता पर चर्चा की गई। गैर बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों, माइक्रोफाइनेंस संस्थानों, हाउसिंग फाइनेंस कपंनियों, म्यूचुअल फंड्स आदि सहित अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में कर्ज के प्रवाह पर भी चर्चा हुई। लॉकडाउन के बाद कर्ज के प्रवाह पर भी चर्चा हुई, जिसमें कामकाजी पूंजी का प्रावधान भी शामिल है। इसमें एमएसएमई को कर्ज की उपलब्धता पर खास तौर से चर्चा हुई।


लोन पर 3 माह के मोरेटोरियम पर भी चर्चा
आरबीआई ने पिछले दिनों लोन की किस्तों के भुगतान पर तीन महीने के मोरेटोरियम की सुविधा की घोषणा की थी। बैठक में इसके कार्यान्वयन पर भी विचार किया गया। सुप्रीम मोर्ट ने इस सप्ताह के शुरू में आरबीआई को यह सुनिश्चत करने के लिए कहा था कि उसके 27 मार्च के दिशानिर्देश का पूरी तरह से पालन किया जाए। आरबीआई के दिशानिर्देश में कर्ज देने वाले संस्थानों से कहा गया था कि वे सभी कर्जधारकों को तीन महीने के मारेटोरियम की सुविधा दें। बयान के मुताबिक वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बीच बैंकों की विदेशी शाखाओं की निगरानी पर भी चर्चा की गई।


आरबीआई ने इकोनॉमी में अब तक जीडीपी के 3.2 % के बराबर पूंजी डाली है
कर्जधारकों, कर्जदाताओं और म्यूचुअल फंड सहित अन्य संस्थानों द्वारा महसूस किए जा रहे दबाव को कम करने के लिए आरबीआई ने कई कदमों की घोषणा की है। केंद्रीय बैंक ने जरूरत पड़ने पर और कदम उठाने का भी वादा किया है। फरवरी 2020 की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठके बाद से आरबीआई ने नकदी की समस्या को दूर करने के लिए अर्थव्यवस्था में जीडीपी के 3.2 फीसदी के बराबर पूंजी डाली है।


कर्ज को प्रोत्साहित करने के लिए रेपो दर में 0.75 % कटौती की गई है
बैंकों को अधिक से अधिक कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आरबीआई ने मुख्य नीतिगत ब्याज दर (रेपो दर) को 0.75 फीसदी घटाकर 4.4 फीसदी कर दिया है, जो 11 साल का निचला स्तर है। इसके अलावा रिवर्स रेपो दर को भी घटाकर 3.75 फीसदी कर दिया गया, ताकि बैंक प्रणाली में मौजूद सरप्लस फंड का उपयोग कर्ज देने में करे। रिवर्स रेपो दर नकदी की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए एक प्रमुख मोनेटरी उपकरण है। रिवर्स रेपो दर कम हो जाने से बैंकों को आरबीआई के पास पूंजी रखने में अधिक फायदा नहीं होगा और वे अर्थव्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा लोन देने के लिए प्रोत्साहित होंगे।


अप्रैल-जून तिमाही में देश की इकोनॉमी में बहुत बड़ी गिरावट की आशंका
अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में लंबे समय के बाद बहुत बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है, क्योंकि कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां लगभग पूरी तरह से ठप्प हैं। इससे पहले सरकार ने 1.7 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है, जिसके तहत कोरोनावायरस की महामारी के कारण चुनौतियों से जूझ रहे गरीबों को मुफ्त अनाज देने की व्यवस्था की गई है और उनके हाथों में नकदी भी दी गई है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अन्य बातों के अलावा बैठक में आर्थिक स्थिति की समीक्षा की गई और वित्तीय सेक्टर की स्थिरता पर चर्चा हुई। एनबीएफसी, माइक्रोफाइनेंस संस्थानों, हाउसिंग फाइनेंस कपंनियों, म्यूचुअल फंड्स आदि सहित अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में कर्ज के प्रवाह पर भी विचार हुआ। लॉकडाउन के बाद कर्ज के प्रवाह पर भी चर्चा हुई, जिसमें कामकाजी पूंजी का प्रावधान भी शामिल है। इसमें एमएसएमई को कर्ज की उपलब्धता पर खास तौर से चर्चा हुई

No comments:

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages