हम हमेशा अपनी टैक्स प्लानिंग को अंतिम समय के लिए छोड़ देते हैं। लेकिन अंतिम समय में वह गलतियां जो अक्सर हो जाती हैं, इनसे हमेशा बचना चाहिए। टैक्स प्लानिंग का मुख्य उद्देश्य वह टैक्स बचाना होता है जो आप पर बन रहा है। आयकर विभाग भी आपको बचत और बीमा के जरिए वैध तरीके से टैक्स बचाने के कई विकल्प उपलब्ध कराता है।
आदर्श स्थिति तो यह होती है कि आप वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही टैक्स प्लानिंग करें न कि अंतिम समय में जब आपके पास विचार करने के लिए बेहद कम समय हो। लेकिन हम अंतिम समय में टैक्स बचाने के लिए बचत करना शुरू करते हैं। इस दौरान हमसे कई तरह की गलतियां हो जाती हैं। आइए जानें कि अंतिम समय में की गई टैक्स प्लानिंग में हमसे क्या-क्या गलतियां हो जाती हैं जो हमें लक्ष्य से भटका देती हैं-
टैक्स कितना बनेगा, पता नहीं
सबसे पहली गलती यह होती है कि आप अलग-अलग स्रोत से आपकी कुल आय कितनी है, इसकी गणना ही नहीं कर पाते। वेतन, बिजनेस इनकम, कैपिटल गैन, डिविडेंट और विभिन्न डिपाजिट से मिले ब्याज की गणना करके आपको अपनी कुल आय निकालनी चाहिए। एक बार आय तय हो जाने के बाद तय करें कि आपकी कुल टैक्स देनदारी कितनी बनेगी।
मनी दैट मेटर आदिल शेट्टी, सीईओ पैसा बाजार
सबसे पहली गलती यह होती है कि आप अलग-अलग स्रोत से आपकी कुल आय कितनी है, इसकी गणना ही नहीं कर पाते। वेतन, बिजनेस इनकम, कैपिटल गैन, डिविडेंट और विभिन्न डिपाजिट से मिले ब्याज की गणना करके आपको अपनी कुल आय निकालनी चाहिए। एक बार आय तय हो जाने के बाद तय करें कि आपकी कुल टैक्स देनदारी कितनी बनेगी।
टैक्स डिडक्शन का पता न होना
आयकर कानून के कई सेक्शन और सब सेक्शन हैं जिनमें डिडक्शन मिलता है जिनके जरिए आप टैक्स में छूट पा सकते हैं। जैसे चैरिटी में दिए जाने वाले धन पर आयकर कानून 80 जी के तहत डिडक्शन मिलता है।
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