30,000 करोड़ रुपए के राहत पैकेज का लाभ सबसे जरूरी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) तक पहुंचे, इसके लिए सरकार ने आरबीआई के साथ चर्चा शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक निवेश ग्रेड में कम रेटिंग वाले बांड्स पर खास ध्यान दिया जा रहा है। इसका फायदा यह होगा कि दिक्कत वाली एनबीएफसी को पहले लाभ मिलेगा।
एनबीएफसी सेक्टर में है काफी दिक्कत
जानकारी के मुताबिक आरबीआई के टार्गेटेड लॉग टर्म रेपो ऑपरेशन (टीएलटीआरओ) के तहत एनबीएफसी को 2.5 लाख करोड़ रुपए काविंडो पूरा करने के बाद सरकार का यह कदम काफी महत्वपूर्ण है। कारण कि बैंकों ने टॉप की रेटिंग वाली कंपनियों का ही बांड खरीदा था। कोविड-19 की महामारी के पहले भी एनबीएफसी सेक्टर में निवेश की काफी समस्या थी। अब लॉकडाउन की वजह से भारत की रिवाइवल स्ट्रेटेजी एक बेहतर कदम माना जा रहा है।
कई विकल्पों को तलाशा जा रहा है
सरकार और आरबीआई की चर्चा में अमल करनेवाले संभावित विकल्पों का समावेश था। इसके लिए सिडबी या एसबीआई समूह की कंपनी या म्यूचुअल फंड को कार्यकारी एजेंसी बनाया जा सकता है। अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड (एआईएफ) या स्पेशल पर्पज वेहिकल (एसपीवी) का भी निर्माण किया जा सकता है। आखिरी निर्णय एक दो सप्ताह में लिया जा सकता है। एलआईसी भी एआईएफ में भूमिका निभा सकती है। डिफॉल्ट के मामले में एआईएफ बांड में सब्सक्रिप्शन के सामने गारंटी जब्त करने में मदद करेगा।
पैकेज में एएए और बीबीबी की रेटिंग को ध्यान में रखा गया है
सूत्रों के मुताबिक सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जिन्हें पैसों की सही में जरूरत है उन्हें आर्थिक पैकेज का लाभ मिले। एए (निगेटिव) और बीबीबी की रेटिंग पानेवाली एनबीएफसी को इस पैकेज में खास ध्यान दिया जाएगा। आमतौर पर एएए से बीबीबी माइनस की रेटिंग को इनवेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग माना जाता है। बजाज फाइनेंस, महिंद्रा फाइनेंस और एलएंडटी फाइनेंस को इस माहौल में भी कर्ज मिलने में कोई दिक्कत नहीं है। बैंक और डेट निवेशक अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री रखनेवाली कंपनियों में विश्वास करते हैं।
आईएलएंडएफएस के बाद निवेशक दूर हो रहे हैं
सितंबर 2018 में आईएलएंडएफएस के डिफॉल्ट के बाद निवेशक अब क्रेडिट हिस्ट्री देखकर निवेश कर रहे हैं। खासकर वे विश्वास वाले बांड्स में निवेश करना पसंद करते हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन के साथ पिछले हफ्ते की बैठक में कई एनबीएफसी ने उधार मिलने की संभावित विकल्पों पर चर्चा की थी। इससे पहले पिछले हफ्ते वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक पैकेज में 30,000 करोड़ रुपए के स्पेशल फंड और 45,000 करोड़ रुपए की क्रेडिट गारंटी स्कीम का प्रस्ताव रखा था।
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