भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को शेयर बाजार में लिस्ट करने और आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बेचने की सरकार की योजना को लागू करने में देरी हो सकती है। इसका कारण यह है कि कोरोनावायरस महामारी के कारण इनके वैल्यूएशन में काफी गिरावट आ गई है। चालू कारोबारी साल में सरकार ने विनिवेश करके 2.10 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें से 90,000 करोड़ रुपए एलआईसी की लिस्टिंग और आईडीबीआई बैंक के विनिवेश से मिल जाने की उम्मीद जताई गई है।
एलआईसी के मेगा इश्यू को अभी उम्मीद के मुताबिक निवेशक मिलने की उम्मीद नहीं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 का बजट पेश करते हुए चालू कारोबारी साल में प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाकर एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की थी। सूत्रों ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए चालू कारोबारी साल में एलआईसी में हिस्सेदारी बेचना सरकार के लिए कठिन लगता है। मौजूदा परिस्थितियों में एलआईसी के मेगा इश्यू को उम्मीद के मुताबिक निवेशक मिलने की उम्मीद नहीं है। कोरोनावायरस महामारी के कारण सरकार ने हाल में देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्र्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण के लिए बोली जमा करने की समय सीमा को दूसरी बार बढ़ा दी। अब इसकी समय सीमा को एक महीने से ज्यादा बढ़ाकर 31 जुलाई कर दिया गया है।
सरकार की एलआईसी में 100 % और आईडीबीआई बैंक में 45.5 % हिस्सेदारी है
एलआईसी में अभी सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं आईडीबीआई बैंक में सरकार की हिस्सेदारी करीब 45.5 फीसदी है। सूत्रों ने कहा कि परिस्थितियों में यदि थोड़ी सुधार हो जाए, तब भी सरकार को एलआईसी और आईडीबीआई के विनिवेश से हासिल होने वाली राशि के अनुमान में कटौती करनी पड़ सकती है। इसलिए कम वैल्यू पर इन कंपनियों के शेयरों को बेचने का फैसला समझदारी भरा नहीं हो सकता है।
13 तिमाहियों के बाद लाभ में आया आईडीबीआई बैंक
इस बीच आईडीबीआई बैंक ने लगातार 13 तिमाहियों तक घाटा दर्ज करने के बाद शनिवार को जनवरी-मार्च तिमाही में 135 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया। एक साल पहले की समान अवधि में बैंक ने 4,918 करोड़ रुपए का घाटा दर्ज किया था। जनवरी 2019 में एलआईसी ने आईडीबीआई बैंक में 51 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण पूरा कर लिया था। एलआईसी ने बैंक में 21,624 करोड़ रुपए का निवेश किया था। आईडीबीआई भारतीय रिजर्व बैंक के प्रांप्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क के दायरे में है। बैंक ने कहा है कि पीसीए से बाहर आने के लिए जितनी भी शर्तें है, उसमें से उसने रिटर्न ऑन असेट को छोड़कर बाकी सभी शर्तें पूरी कर ली हैं।
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