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Wednesday, June 10, 2020

एचपीसीएल की विजग रिफाइनरी के 3 अरब डॉलर की विस्तार योजना में मजदूरों की कमी और मानसून के कारण

हिंदुस्तान पेट्र्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने विशाखापट्‌टनम रिफाइनरी के विस्तार की समय सीमा को आगे बढ़ाकर कम से कम अक्टूबर-नवंबर कर दिया है। यह जानकारी कंपनी के एक सूत्र ने दी। उन्होंने कहा कि मजदूरों की कमी और मानसून के आगमन के कारण विस्तार की योजना को फिलहाल टालना पड़ा है।

विशाखापट्‌टनम रिफाइनरी के विस्तार पर 209.28 अरब रुपए खर्च होने का अनुमान है

सरकारी तेल रिफाइनिंग कंपनी ने पहले विस्तार का काम जुलाई में पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा था। विशाखापट्‌टनम रिफाइनरी के विस्तार पर 209.28 अरब रुपए (2.77 अरब डॉलर) खर्च होने का अनुमान है। विस्तार के बाद समुद्र तटीय रिफाइनरी की क्षमता बढ़कर करीब दोगुना हो जाने का अनुमान है।

लॉकडाउन के कारण जो काम मानसून से पहले पूरा हो जाना था, वो नहीं हो पाया

सूत्र ने कहा कि कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण बहुत सारे मजदूर अपने पैतृक गांव या शहर चले गए हैं। दूसरी ओर मानसून के आगमन के कारण निर्माण कार्य को जारी रख पाना कठिन हो गया है। लॉकडाउन के कारण जो काम हमें मानसून से पहले पूरे कर लेने थे, वो हम नहीं कर पाए। यह अवसर हाथ से निकल गया।

कोरोनावायरस महामारी से पहले की गतिविधियों को फिर से चालू करने में कुछ वक्त लगेगा

हमने नई स्थिति की समीक्षा नहीं की है, लेकिन ऐसा लगता है कि परियोजना को पूरा होने में कम से कम अक्टूबर-नवंबर तक का समय लग जाएगा। एचपीसीएल ने इस विषय पर हालांकि कोई टिप्पणी नहीं की है। सरकार ने लॉकडाउन में काफी ढील दे दी है। लेकिन कोरोनावायरस महामारी से पहले की गतिविधियों को फिर से चालू करने में कुछ वक्त लगेगा। क्योंकि अंतरराज्यीय परिवहन सेवाएं अब भी बंद हैं और वायरस संक्रमण अब भी फैल रहा है।

सूरक्षा के लिए मानसून में निर्माण और मिकैनिकल कार्य रोक दिए जाते हैं

सूत्र ने कहा कि सूरक्षा को ध्यान में रखते हुए मानसून के दौरान निर्माण और मिकैनिकल कार्य आमतौर पर बंद कर दिए जाते हैं। चार महीने का मानसून सत्र जून में शुरू होता है। इस साल यह पहली जनवरी को केरल में पहुंच चुका है।

रिफाइनरी में एक छोटी क्रूड डिस्टिलेशन यूनिट को बदला जाना है

विस्तार योजना के तहत आंध्र प्रदेश की इस रिफाइनरी में एक छोटी क्रूड डिस्टिलेशन यूनिट को बदलकर उसकी जगह 1.8 लाख बैरल रोजाना वाली यूनिट लगाई जाएगी। कंपनी कुछ अन्य यूनिट का भी निर्माण कर रही है, जिनमें 3.52 लाख टन सालाना वाली नाप्था आइसोमराइजेशन यूनिट, 30.53 लाख टन सालाना वाली हाइड्र्रोक्रैकर और एक बिजली घर शामिल है। यह बिजली घर नाप्था या प्राकृतिक गैस दोनों पर चल सकती है।

कुछ यूनिट्स की क्षमता बढ़ाई जानी है

परियोजना के तहत कुछ यूनिट्स की क्षमता भी बढ़ाई जानी है। इसके तहत नाप्था हाइड्रोट्रीटर की क्षमता 30 फीसदी बढ़ाकर 15 लाख टन सालाना की जानी है। डीजल हाइड्र्रोट्रीटर की क्षमता 30 फीसदी बढ़ाकर 28.6 लाख टन सालाना की जानी है। साथ ही कंटीनुअस कैटेलिटिक क्रैकर की क्षमता बढ़ाकर 10.39 लाख टन सालाना की जानी है।

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