पांचवें चरण के लॉकडाउन के बीच बैंकों की ओर से एनबीएफसी, ट्रांसपोर्ट और अन्य सेक्टर की उधारी में वृद्धि देखी गई है। इसमें एनबीएफसी को दिए जाने वाले कर्ज में 5,000 करोड़ रुपए की, ट्रांसपोर्ट को 4,300 करोड़ और रिटेल को दिए जाने वाले कर्ज में 6,900 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। एसबीआई की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
सर्विस सेक्टर में 23,150 करोड़ की उधारी दी गई
एसबीआई ने जारी रिपोर्ट में कहा है कि सेवा क्षेत्र में अप्रैल 2019 में कुल उधारी 23,150 करोड़ रुपए थी, जो अप्रैल 2020 में बढ़कर 25,742 करोड़ रुपए हो गई है। इसी तरह इंडस्ट्री की बात करें तो इसी अवधि में यह उधारी 28,352 करोड़ से बढ़कर 28,844 करोड़ रुपए हो गई है। एसबीआई रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर क्रेडिट मार्च के अंतिम पखवाड़े में वितरित की गई। यह राशि सभी शेडयूल्ड कमर्शियल बैंक की मिलाकर 2.65 लाख करोड़ रुपए थी।
ग्राहक अब मंजूर कर्ज को ले रहे हैं
आंकड़े बताते हैं कि 8 मई तक केवल 1.18 लाख करोड रुपए ही उधारी के रूप में बांटी गई। वित्त वर्ष 2019 में यह राशि 1.46 लाख करोड़ रुपए थी। हालांकि 2016 में यह इसी अवधि में 2.75 लाख करोड़ से काफी कम है। पहले डेढ़ महीने में क्रेडिट ग्रोथ में होने वाली बढ़ोतरी में कम गिरावट (वित्त वर्ष 2021 में 1.10 प्रतिशत बनाम वित्त वर्ष 2020 में 1.5 प्रतिशत) एक अच्छा संकेत है कि ग्राहक बैंकों द्वारा मंजूर की गई सीमा को इस अनिश्तितता के माहौल में भी ले रहे हैं।
सालाना आधार पर इंडस्ट्री कीक्रेडिट घटी है
महत्वपूर्ण यह है कि सालाना आधार पर इंडस्ट्री को क्रेडिट ग्रोथ में 1.7 प्रतिशत तथा सेवाओं में 11.2 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि इस साल में अब तक इंडस्ट्री में क्रेडिट ग्रोथ में वृद्धि दिखी है। सेवाओं की बात करें तो एनबीएफसी, ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स, रिटेल ट्रेडर्स को दी जानेवाली क्रेडिट में वृद्धि दिखी है। एनबीएफसी को दी गई उधारी में 5,000 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स की उधारी में 4,300 करोड़, और रिटेल की उधारी में 6,900 करोड़ रुपए की वृद्धि अप्रैल में दिखी है। हालांकि रिटेल क्रेडिट में साल 2008 के बाद सबसे ज्यादा गिरावट दिखी है।
कोल प्रोडक्ट, न्यूक्लियर की क्रेडिट में वृद्धि
इंडस्ट्रीज में ज्यादा क्रेडिट की बात करें तो इसमें गिरावट आई है। लेकिन इंफ्रा जैसे पावर, ऑयरन एवं स्टील, पेट्रो एवं केमिकल्स और पेट्रोलियम, कोल प्रोडक्ट और न्यूक्लियर फ्यूल्स में अप्रैल महीने में 2,3900 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। आगे चलकर रिटेल में क्रेडिट में गिरावट जारी रह सकती है। कारण कि महाराष्ट्र के साथ-साथ कई राज्य 30 जून तक लॉकडाउन बढ़ा दिए हैं।
वर्किंग कैपिटल के लिए आएगी मांग
बैंकों को उम्मीद है कि आगे चलकर एनबीएफसी, मेटल ऑटोमोबाइल, पावर, इंफ्रा, टायर एंड ट्यूब्स और पेट्रोलियम की ओर से मांग आ सकती है। क्योंकि इनको वर्किंग कैपिटल की जरूरत होगी। हालांकि लोन का रीपेमेंट बैंकों के लिए दिक्कत पैदा कर सकती है। इससे बैंकों की बैलेंसशीट पर असर दिखेगा।
लॉकडाउन से कंज्यूमर की आदतों को समझने में मदद मिली
लॉकडाउन में डिपॉजिट और एडवांस में कंज्यूमर की आदतों को समझने में मदद मिली है। आंकड़े बताते हैं कि डिपॉजिट (बचत, चालू और टर्म) लॉकडाउन के पहले चरण में बढ़ी थी। क्योंकि लोग खर्च करने की बजाय बचत करने पर ध्यान दे रहे थे। दूसरे चरण में इस तरह की बैंक जमा में 25 प्रतिशत की गिरावट आई, लेकिन टर्म डिपॉजिट काफी बढ़ गई। लॉकडाउन के तीसरे चरण में स्थिति काफी खराब नजर आई। क्योंकि डिपॉजिट ग्रोथ निगेटिव हो गई। इससे यह पता चलता है कि लोगों को यह लगने लगा कि लॉकडाउन खत्म होगा और लोग खर्च करने लगे।
लॉकडाउन 4 में डिपॉजिट बढ़ी
हालांकि लॉकडाउन 4 में फिर से डिपॉजिट बढ़ी और इससे यह पता चला कि लोगों के मन में फिर अनिश्चितता बैठ गई। यह भी संभव है कि कई परिवारों के पास खपत की लगभग शून्य प्रवृत्ति हो या खर्च करने की स्थिति में बिल्कुल ना हों, क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग के कारण खर्चे बहुत कम हो गए हैं। रिपोर्ट कहती है कि अब जब लॉकडाउन का पांचवां चरण शुरू हो गया है, हमारा मानना है कि कंज्यूमर सेविंग आगे भी बढ़ती जाएगी। साथ ही लॉकडाउन 1 की तुलना में लॉकडाउन 4 में लोन लेने की गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है।
लॉकडाउन में बैंकिंग ट्रांजेक्शन (करोड़ रुपए में)
प्रोडक्ट | लॉकडाउन-1 | लॉकडाउन-2 | लॉकडाउन-3 | लॉकडाउन4 |
सेविंग डिपॉजिट | 499,606 | 244,679 | -89,720 | 137,796 |
करेंट डिपॉजिट | -62,757 | 244,679 | -53,002 | 65,687 |
टर्म डिपॉजिट | 175,812 | 146,583 | 22,845 | 59,134 |
टोटल डिपॉजिट | 483,767 | 362,989 | -102,534 | 238,512 |
सीसी,डीएल, ओवरड्राफ्ट्स आदि | -9,190 | -114,170 | -38,735 | 43,420 |
टर्म लोन | 62,304 | 4,565 | -16,440 | 7,488 |
टोटल एडवांस | 55,503 | -125,491 | -60,588 | 52,703 |
लॉकडाउन से कंज्यूमर की आदतों को समझने में मदद मिली
लॉकडाउन में डिपॉजिट और एडवांस में कंज्यूमर की आदतों को समझने में मदद मिली है। आंकड़े बताते हैं कि डिपॉजिट (बचत, चालू और टर्म) लॉकडाउन के पहले चरण में बढ़ी थी। क्योंकि लोग खर्च करने की बजाय बचत करने पर ध्यान दे रहे थे। दूसरे चरण में इस तरह की बैंक जमा में 25 प्रतिशत की गिरावट आई, लेकिन टर्म डिपॉजिट काफी बढ़ गई। लॉकडाउन के तीसरे चरण में स्थिति काफी खराब नजर आई। क्योंकि डिपॉजिट ग्रोथ निगेटिव हो गई। इससे यह पता चलता है कि लोगों को यह लगने लगा कि लॉकडाउन खत्म होगा और लोग खर्च करने लगे।
लॉकडाउन 4 में डिपॉजिट बढ़ी
हालांकि लॉकडाउन 4 में फिर से डिपॉजिट बढ़ी और इससे यह पता चला कि लोगों के मन में फिर अनिश्चितता बैठ गई। यह भी संभव है कि कई परिवारों के पास खपत की लगभग शून्य प्रवृत्ति हो या खर्च करने की स्थिति में बिल्कुल ना हों, क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग के कारण खर्चे बहुत कम हो गए हैं। रिपोर्ट कहती है कि अब जब लॉकडाउन का पांचवां चरण शुरू हो गया है, हमारा मानना है कि कंज्यूमर सेविंग आगे भी बढ़ती जाएगी। साथ ही लॉकडाउन 1 की तुलना में लॉकडाउन 4 में लोन लेने की गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है।
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