कोरोना क्राइसिस से निपटने के लिए सबसे जरूरी है कि आपने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी हो। ये आपको बुरे समय में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि सिर्फ पॉलिसी लेना ही काफी नहीं होता, समय पर इसका प्रीमियम भरना भी जरूरी है। क्योंकि सही समय पर प्रीमियम न भरने पर आपकी बीमा पॉलिसी लैप्स हो सकती है। इसके अलावा प्रीमियम समय पर न भरने पर आपको पेनाल्टी भी देनी होगी और दूसरा क्लेम के समय भी परेशानी आ सकती है।
प्रीमियम न भरने पर पॉलिसी लैप्स हो सकती है
समय पर प्रीमियम न भरने से इंश्योरेंस पॉलिसी लैप्स हो सकती है और ऐसे में आपको एक तो पेनाल्टी देनी होती है और कुछ खास तरह की पॉलिसी में तो इसका नुकसान ज्यादा हो सकता है। जानकारों की मानें तो खासकर टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी के लैप्स होने के तो बड़े नुकसान हैं। टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी के लैप्स होने पर आपके परिजनों को आपकी मृत्यु के बाद दावे की राशि पाने में परेशानी आ सकती है। साथ ही अगर आप बाद में पॉलिसी खरीदते हैं तो आपको अधिक भुगतान भी करना होता है।
कब होती है पॉलिसी लैप्स ?
आम तौर पर कंपनियां प्रीमियम चुकाने के लिए 30 दिनों का अतिरिक्त समय देती
हैं। अगर किसी वजह से आप इस समयसीमा से चूक जाते हैं तो आपकी पॉलिसी लैप्स मानी
जाती है। लाइफ insurance के सम्बन्ध में यूलिप (यूनिक लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान)
में अगर आप पहले पांच साल तक या लॉक इन पीरियड के दौरान प्रीमियम नहीं चुकाते हैं
तो आपकी पॉलिसी लैप्स मानी जाएगी। ऐसे में आपको इंश्योरेंस बेनिफिट नहीं मिलेंगे।
नई और रिवाइव्ड पॉलिसीलेना हो जाएगा महंगा
कंपनियां बीमा पॉलिसी को रिवाइव करने के ऑप्शन देती हैं। लेकिन नई और
रिवाइव्ड (पुनर्जीवित) इंश्योरेंस पॉलिसी की लागत में अंतर आ जाता है। यानी पॉलिसी
लैप्स होने से उस पर प्रीमियम का भार अधिक हो जाएगा।इसीलिए सही समय पर प्रीमियम का
भुगतान करें।
अपने हिसाब से चुने प्रीमियम अवधि
बीमा कंपनियां प्रीमियम पेमेंट के लिए सालाना, छमाही और तिमाही आधार पर भी
भुगतान का ऑप्शन देती हैं। ऐसे में आप अपनी सुविधा के हिसाब से प्रीमियम की अवधि
चुन सकते हैं। आपको इसकी अवधि चुनते समय अपने आय के साधन को विशेष ध्यान रखना
चाहिए। इसके अलावा अपनी क्षमता के हिसाब से ही पॉलिसी और प्रीमियम की राशि चुने।
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