हाल के दिनों में काफी सारे ऐसे लोगों को बाजार की लंबी अवधि के मामले में बुरा अनुभव हुआ है। इन निवेशकों का मानना है कि उनको इक्विटी फंड के निवेश में जो नुकसान हुआ है, वह लंबी अवधि में हुआ है। यानी उनके हिसाब से लंबी अवधि में निवेश का आइडिया बेकार है।
पांच सालों के निवेश पर भी नुकसान होता है
इस तरह काफी सारे निवेशक हैं जिनको पांच सालों में भी निवेश पर नुकसान हुआ है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि फिर निवेशक क्या करे? अब इसके कुछ उदाहरण भी देखते हैं। 23 मार्च 2015 से 23 मार्च 2020 के दौरान पांच वर्षों में निफ्टी में काफी उतार-चढ़ाव हुआ। इस दौरान यह पता चलता है कि निफ्टी के सूचकांक ने 7,610 का निचला स्तर बनाया था। इस वर्ष 23 मार्च को निफ्टी इंडेक्स पांच साल बाद पहले की तुलना में 11 प्रतिशत नीचे था।
लंबी अवधि के निवेश पर भी घाटा होगा, यह सच है
बाजार की यह एक कड़वी सच्चाई है। यह कोई नई बात भी नहीं है। कोई भी व्यक्ति इक्विटी इनवेस्टमेंट को हमेशा के लिए गुडबाय कहने के लिए पांच साल की अवधि नहीं देखता है। अगर किसी ने इस पांच साल में अपने निवेश को रोककर रखा है तो वह निश्चित तौर पर इस समय निवेश को निकालने की सोच रहा होगा। इस तरह का उदाहरण 1996 में भी देखने को मिला था। जब बाजार 1991 के भी स्तर से नीचे चला गया था। या फिर 1998-99 में भी बाजार 1993-94 के स्तर से नीचे चला गया था। 2001, 2003 और 2011-12 में भी इसी तरह का रुझान बाजार में दिखा था।
आनेवाले साल में इससे भी निगेटिव या पॉजिटिव रिटर्न हो सकता है
इस तरह से देखा जाए तो पॉइंट टू पॉइंट पांच वर्ष का रिटर्न कई बार निगेटिव हो सकता है। यही कारण है कि ज्यादातर भारतीय निवेशक बैंक की एफडी का सहारा लेते हैं। आनेवाले सालों और दशकों के दौरान इस तरह के कई अवसर आ सकते हैं। जिसमें इस तरह के निगेटिव माहौल को दोहराया जा सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि पहले की तुलना में ज्यादा गिरावट बाजार में दिेखे। इसकी कोई गारंटी नहीं होती है।
लंबी अवधि में एसआईपी का लें सहारा
इक्विटी फंड्स के निवेश की वास्तविक रचना की बात करें तो एसआईपी के सिवाय कोई सही रास्ता नहीं है। किसी एसआईपी का अगर रिटर्न देखा जाए तो 2001 से 2011 की अवधि में केवल एक बार पांच साल की अवधि में निगेटिव रिटर्न मिला है। लेकिन वह फिर से सुधर गया। हाल के समय में पांच साल के एसआईपी को देखें तो इसने एक मार्च को 8.6 प्रतिशत रिटर्न दिया था। सात वर्ष की एसआईपी हालांकि फ्लैट थी और इसने एक अप्रैल को 3.2 प्रतिशत का रिटर्न दिया था।
अगर आप इक्विटी में निवेश करना चाहते एसआईपी का सहारा लें। ऐसा इसलिए क्योंकि एसआईपी का प्रबंधन एक अनुभवी फंड मैनेजर द्वारा किया जाता है जो बाजार के जोखिम और आपके निवेश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक औसत रिटर्न प्राप्त करने की कोशिश करता है।
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