(योषिता सिंह) संयुक्त राष्ट्र, 13 नवंबर (भाषा) भारत ने जी-77 की वार्षिक मंत्रिस्तरीय बैठक में कहा कि उसकी सहायता से दूसरे देशों के लिए ऋणग्रस्तता की समस्या नहीं पैदा होती, बल्कि ये शर्तों के बिना होती है और ये अपने सहयोगियों की विकास प्राथमिकताओं से निर्देशित होती हैं। इसके साथ भारत ने कोविड-19 महामारी के चलते हुए नुकसान से उबरने के लिए विकासशील देशों के साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने जी-77 के विदेश मंत्रियों की 44वीं बैठक में गुरुवार को कहा, ‘‘भारत की विकास सहायता हमारे सहयोगियों की विकास प्राथमिकताओं से निर्देशित होती है। हमारी सहायता ऋणग्रस्तता पैदा नहीं करती है और ये बिना शर्त के है।’’ तिरुमूर्ति ने कहा कि महामारी ने विकासशील देशों द्वारा हासिल की गई दशकों की प्रगति को जोखिम में डाल दिया है और बड़ी संख्या में लोग गरीबी में चले गए हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘‘जी-77 देशों के रूप में हम ऐसा नहीं होने दे सकते। हमें विकास के पथ पर वापसी सुनिश्चित करने के लिए भरपाई, लचीलापन और सुधार के पक्ष में अपनी सामूहिक आवाज उठाने की जरूरत है।’’ विदेश मंत्री एस जयशंकर की तरफ से बयान देते हुए तिरुमूर्ति ने जोर देकर कहा कि ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावन के अनुरूप भारत का दृष्टिकोण मानव केंद्रित होगा और वह आपसी सम्मान तथा राष्ट्रीय स्वामित्व के सिद्धांतों के आधार पर सभी के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने महामारी से लड़ने के लिए वाजिब कीमत पर स्वास्थ्य प्रणालियों और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं की जरूरत पर जोर देते हुए बताया कि भारत 150 से अधिक देशों को तत्काल स्वास्थ्य और चिकित्सा आपूर्ति में सहायता कर रहा है। तिरुमूर्ति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया है कि भारत सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के रूप में अपनी उत्पादन और वितरण क्षमता पूरी मानवता को उपलब्ध कराएगा।
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