नई दिल्ली। दिवाली आते ही भारतीय बाजार चीनी प्रोडक्ट्स (Chinese Products) से गुलजार हो जाते हैं। रंग-बिरंगी झालरों की तेज रौशनी और दूसरे सजावट के प्रोडक्ट्स ग्राहकों को खूब लुभाते हैं। इनके रेट कम होने की वजह से इनकी बिक्री भी जबरदस्त होती थी, लेकिन इस साल भारतीय बाजार में गाय के गोबर (Cow Dung Items) से बने दीये और दूसरे उत्पादों का बोलबाला है। इससे चीनी मार्केट को काफी नुकसान हो रहा है। एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार भारत में चीनी सामानों के बॉयकाट (Boycott of chinese lights) के चलते बीजिंग को लगभग 40,000 करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका है।
पीएम नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत गाय के गोबर एवं मिट्टी से बने दीयों एवं अन्य उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें न सिर्फ भारतीय परंपरा की झलक दिखाई देगी, बल्कि इस कदम से देश में शिल्पकारों के दम तोड़ते हुनर को दोबारा नया जीवन मिलेगा। इससे उनकी आजीविका बढ़ेगी। इसी सिलसिले में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) ने भी पहल की है। आयोग की ओर से इस दिवाली गोबर से बने 33 करोड़ दीये बेचने का टार्गेट रखा गया है।
15 राज्यों में मिलेंगे गोबर के बनें उत्पाद
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अनुसार देश के 15 राज्यों में इस दिवाली दीयों के अलावा गोबर के बने कई अन्य प्रोडक्ट भी मिलेंगे। इससे प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी। साथ ही कुम्हारों की बिक्री बढ़ने से उनके चेहरों पर भी मुस्कान आएगी। आयोग का कहना है कि वे एवं अन्य संस्थाएं मिलकर चीनी सामानों पर निर्भरता कम करने की कोशिश करेंगे।
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