नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) वेदांता लिमिटेड की तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी केयर्न को राजस्थान तेल ब्लॉक के लाइसेंस पर तीन माह का एक और विस्तार मिल गया है। बाड़मेड़ जिले में इस परियोजना की लागत-निकालने के मामले में सरकार के साथ 52 करोड़ डॉलर के विवाद का निपटान होने तक इसका लाइसेंस थोड़ी-थोड़ी अवधि के लिए बढ़ रहा है। सरकार ने कंपनी को वहां तेल और गैस की निकासी के लाइसेंस को 31 जनवरी 2021 तक के लिए बढ़ाया है। यह लाइसेंस का पांचवां नवीनीकरण है। इस परियोजना का 25 साल का लाइसेंस इस साल 14 मई को खत्म हो गया था। केयर्न ने पहली तिमाही की रपट में कहा था कि उसकी राय में उसका यह अधिकार बनता है कि आरजे ब्लॉक के लाइसेंस का उसके नाम विस्तार स्वत: किया जाए। सरकार इस परियोजना का लाइसेंस केयर्न को पहले की शर्तों पर ही दस साल और देने के लिए अक्टूबर 2018 में राजी हो गयी थी लेकिन साथ में उसने इस ब्लॉक के तेल और गैस में अपना हिस्सा दस प्रतिशत बढ़ाए जाने की शर्त लगायी। केयर्न ने सरकार की इस अतिरिक्त मांग को अदालत में चुनौती दी। इसी के साथ सरकार ने भी वहां इस परियोजना के 2,723 करोड़ रुपये के खर्चों को अलग-अलग तेल-गैस क्षेत्र के खर्च में वितरित कर और पाइपलाइन पर 1,508 करोड़ रुपये के खर्च को उत्पादन की लागत में जोड़ने की अनुमति नहीं दे कर कंपनी के लाभ से अतिरिक्त भुगतान की मांग निकाल दी। सरकार कंपनी का लाइसेंस पक्के तौर पर बढ़ाने से पहले चाहती है कि वह बकाये का भुगतान करे। इस ब्लॉक में सरकारी कंपनी ओएनजीसी भी 30 प्रतिशत की हिस्सेदार है। बाकी हिस्सेदारी वेदांता लिमिटेड की कंपनी केयर्न ऑयल एंड गैस की है। केयर्न और ओएनजीसी में परियोजना की लागत की गणना को लेकर भी विवाद है। इसके कारण पिछले दो वित्त वर्ष के पेट्रोलियम-लाभ में सरकार के हिस्से का अंतिम निर्धारण नहीं हो सका है।
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