नयी दिल्ली, छह नवंबर (भाषा) यूपीआई भुगतान सेवा देने वाली डिजिटल कंपनियों पर कुल लेनदेन में अधिकतम 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी तय किये जाने के बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि यह लाखों ग्राहकों पर असर डालेगा। साथ ही भविष्य में लोगों के डिजिटल भुगतान प्रणाली अपनाने पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने बृहस्पतिवार को किसी तीसरे पक्ष द्वारा चलायी जाने वाली यूपीआई भुगतान सेवा के लिए लेनदेन की सीमा कुल लेनदेन की संख्या के 30 प्रतिशत तय कर दी। एनपीसीआई की ओर से लगायी गयी यह सीमा एक जनवरी 2021 से लागू होगी। एनपीसीआई के सीमा तय करने का मतलब अब गूगल पे, फोनपे और पेटीएम जैसी कंपनियां यूपीआई के तहत होने वाले कुल लेनदेन में अधिकतम 30 प्रतिशत लेनदेन का ही प्रबंध कर पाएंगी। देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में इन कंपनियों की अहम भूमिका है। गूगल की नेक्स्ट बिलियन यूजर पहल और गूगल पे के भारतीय कारोबार के प्रमुख सजित शिवनंदन ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत में डिजिटल भुगतान अभी भी शैश्वास्था में है। ऐसे में इस समय बाजार में किसी भी तरह का हस्तक्षेप ग्राहकों की पसंद और नवोन्मेष को बढ़ावा देने पर ध्यान देते हुए किया जाना चाहिए। इस समय एक विकल्प आधारित और खुली व्यवस्था ही इसे आगे बढ़ाने वाली होगी।’’ उन्होंने कहा कि एनपीसीआई की घोषणा अचंभे में डालने वाली है। यह यूपीआई लेनदेन का दैनिक आधार पर उपयोग करने वाले लाखों ग्राहकों पर असर डाल सकती है। साथ वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को पाने को भी प्रभावित करेगी। पेटीएम और फोनपे ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं दी है।
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