चेन्नई किचन अप्लाएंस बनाने वालों को फेस्टिव डिमांड को पूरा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनके पास 10-50 फीसदी कम सप्लाई हो रही है। इसकी दो बड़ी वजहें हैं। एक तो ये कि कंपोनेंट मार्केट में लेबर कम है और दूसरा आयात किए हुए शिपमेंट को पहुंचने में काफी वक्त लग रहा है। टीटीके प्रेस्टिज के नॉन एग्जिक्युटिव चेयरमैन टीटी जगन्नाथन कहते हैं कि लॉकडाउन में जो प्रवासी मजदूर अपने घर वापस गए थे, वह अब तक वापस नहीं लौटे हैं। मांग लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन हमारे पास सप्लाई की कमी है। सितंबर में खत्म हुई तिमाही में हमारे पास 74 करोड़ रुपये के पेंडिंग ऑर्डर थे। हमने सिर्फ 265 करोड़ रुपये का सामान बेचा था, जबकि ऑर्डर मिला था 340 करोड़ रुपये का था। डिमांड और सप्लाई के बीच का ये गैप स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज में लेबर की कमी की वजह से आया है, जो कंपोनेंट्स बनाते हैं। जगन्नाथन कहते हैं हमें उम्मीद थी कि अक्टूबर में मांग वापस आ जाएगी, लेकिन मांग में तेजी जुलाई 2020 में ही दिखने लगी। गोदरेज अप्लाएंसेस के एग्जिक्युटिव वाइस प्रेसिडेंट कमल नंदी ने भी माना है कि सप्लाई में शॉर्टेज हो गई है। इसका असर उन लोगों पर अधिक पड़ रहा है, जो लोग आयात से होने वाली सप्लाई पर अधिक निर्भर हैं, क्योंकि कुछ देशों में शिपमेंट पहुंचने में देर हो जाती है। रिटेल चेन आउटलेट Viveks के अनुसार ग्राइंडर, मिक्सर आदि की सप्लाई में करीब 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि नॉन स्टिक दवा और प्रेशर कुकर की सप्लाई करीब 50 फीसदी तक गिर गई है।
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