भारत, यूक्रेन से बड़ी मात्रा में सूरजमुखी तेल का आयात करता है।
खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई बैठक में सूरजमुखी तेल समेत खाद्यतेलों की आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की गई।
सूत्रों के मुताबिक उद्योग ने पिछले दो दिनों में खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट के रुख के बारे में भी मंत्रालय को जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि नई सरसों की फसल आने से सरसों तेल की खुदरा कीमतों में और गिरावट आ सकती है।
बैठक में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी, इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) के महासचिव एस पी कामरा और अडाणी विल्मर, रुचि सोया और मोदी नेचुरल्स सहित प्रमुख रिफाइनर और आयातकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सूत्रों में से एक ने बताया, ‘‘बैठक के दौरान, खाद्यतेल उद्योग ने मंत्री को सूचित किया कि सूरजमुखी के तेल की कोई कमी नहीं है। मार्च डिलिवरी के लिए, 1.5 लाख टन सूरजमुखी तेल की पहली खेप युद्ध से पहले ही यूक्रेन से भेजी गयी थी और जल्द ही आने की उम्मीद है।’’
भारत में एक महीने में 18 लाख टन खाद्य तेल की खपत होती है। इसमें से सूरजमुखी तेल का हिस्सा लगभग 1.5-2.0 लाख टन है। सूरजमुखी पसंद करने वाले उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए केवल लगभग एक लाख टन सूरजमुखी तेल की आवश्यकता होती है।
सूत्रों ने कहा कि उद्योग ने मंत्रालय को यह भी बताया कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि देश में सरसों और सोयाबीन के तेल के रूप में सूरजमुखी के तेल के विकल्प मौजूद हैं।
उसने कहा, ‘‘खाद्य तेलों की कीमतें पिछले दो दिनों में कम हो रही हैं और खाद्यतेल उद्योग ने मंत्रालय को सुचारू आपूर्ति और कीमतों को स्थिर बनाए रखने का आश्वासन दिया है।’’
सूत्रों ने कहा कि करीब 11 लाख टन सरसों की नई फसल आने से अगले दो-तीन महीने देश में आपूर्ति बेहतर रहेगी।
भारत अपनी 60 प्रतिशत से अधिक खाद्य तेल की मांग को आयात से पूरा करता है। वैश्विक संकेतों के कारण घरेलू खाद्य तेल की कीमतों पर दबाव बना हुआ है।
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