विश्लेषकों ने कहा कि इसके अलावा चीन और अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर भी निवेशकों की नजर रहेगी।
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ‘‘भू-राजनीतिक अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है। इसके अलावा घरेलू स्तर पर 10 मार्च को विधानसभा चुनावों के नतीजे भी महत्वपूर्ण हैं।’’
उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर रूस-यूक्रेन युद्ध एक महत्वपूर्ण कारक है, जो अस्थिरता का कारण बनेगा। इसके अलावा अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़े 10 मार्च को घोषित होंगे, जिस पर भी वैश्विक बाजारों की नजर रहेगी।
उन्होंने कहा कि कमोडिटी की कीमतें बढ़ रही हैं। खासतौर से कच्चे तेल की कीमतें, जो 120 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के करीब हैं, भारतीय बाजार के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। इसलिए कच्चे तेल की कीमतों पर बाजार की नजर रहेगी।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (अनुसंधान) अजीत मिश्रा ने कहा, ‘‘इस हफ्ते, रूस-यूक्रेन संकट और कच्चे तेल पर इसके प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके अलावा घरेलू मोर्चे पर प्रतिभागी 10 मार्च को पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणामों पर नजर रखेंगे।’’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा 11 मार्च को आईआईपी के आंकड़े भी आने हैं।
बीते सप्ताह तेल की ऊंची कीमतों और विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के चलते घरेलू बाजारों में गिरावट का रुख रहा।
पिछले सप्ताह सेंसेक्स 1,524.71 अंक या 2.72 प्रतिशत टूट गया, जबकि निफ्टी 413.05 अंक या 2.47 प्रतिशत गिरा।
सैमको सिक्योरिटीज में इक्विटी शोध प्रमुख येशा शाह ने कहा कि बाजार की दिशा भू-राजनीतिक तनाव से काफी प्रभावित होगी। युद्ध के दौरान जिंसों और कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं और मुद्रास्फीति के आंकड़े अमेरिकी फेडरल रिजर्व की अगली कार्रवाई में महत्वपूर्ण संकेतक बन सकते हैं।
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