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Tuesday, March 8, 2022

International Women's Day: नोएडा की दीप्ति ने शौक को उद्यम में बदला और छा गईं, जानें कैसे पूरा हुआ सपना https://ift.tt/ASv3FtT

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के नार्थ कैम्पस (North Campus) के नाम से ही रोमांच हो जाता है। तिस पर, नार्थ कैम्पस के मिराण्डा हाउस (Miranda House) में पढ़ाई। इस कॉलेज में पढ़ने वाली चोटी के प्रोफेशनल (Professional) बनती हैं, ब्यूरोक्रेट (Bureaucrat) बनती हैं या फिर उद्योगपति (Industrialist) बनती हैं। जो यह मुकाम हासिल नहीं कर सके तो राजनीति (Politics) में भी जाने का रास्ता खुला रहता है। लेकिन, इसी कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद नोएडा की दीप्ति कुमार शादी, बच्चे और घर-गृहस्थी में फंस कर रह गईं तो उन्हें बहुत कोफ्त होती थी। इसी बीच उनके मन में एक विचार (Idea) आया। और इसी पर अमल कर उन्होंने होम बेकिंग (Home Baking) का जो काम शुरू किया, उसकी बदौलत आज उनका नाम हो गया है। आज उनका टर्नओवर लाखों में है। शौकिया शुरू किया काम आप अपने रोजमर्रा की जिंदगी में जो भी काम करते हैं उसे उद्यम में बदलने की गुंजाईश हमेशा रहती है। वह चाहे खाने बनाना हो, कपड़े धोना हो या बच्चों को पढाना। दीप्ति कुमार ने कभी शौकिया अपने बच्चों के जन्म दिन पर खुद केक बनाना शुरू किया था। फिर उन्होंने दोस्तों और रिश्तेदारों के बच्चों के जन्मदिन पर केक बनाकर उसे तोहफे में देना शुरु किया। प्रोडक्ट की शुद्धता और उसमें लिपटी मुहब्बत ने उनके उद्यमी बनने का पहला दरवाजा खोला जब आस पड़ोस से उनके हाथ से बने केक के डिमांड आने लगे। दीप्ति ने इस मौके को बखूबी ताड़ लिया। आज उनके पास न सिर्फ दिल्ली एनसीआर से बल्कि देश के दूर—दराज के हिस्से से भी आर्डर आ रहे हैं। 11 साल पहले डरते-डरते की थी शुरूआत दीप्ति बताती हैं कि करीब 11 साल पहले डरते डरते शुरूआत की थी। उस समय उन्होंने 300 रुपए का पहला केक बनाया था, जिसे बाजार के दाम पर बेचा। वह मौका था जब उस केक के बदले अपने पड़ोसी से रकम लेने के पहले उसे भगवान के आगे प्रसाद के तौर पर रखा था। दीप्ति के मुताबिक वाकई ईश्वर भी शायद यही चाह रहे थे। फिर एक वाट्सएप ग्रुप बना जिसमें सभी रिश्तोदार, पड़ोसी और दोस्तों को शामिल किया गया। लोग रोज दीप्ति का काम देखते और आर्डर करते। अब उनका टर्नओवर लाखों में पहुंच गया है। देश भर में भेज रही हैं प्रोडक्ट बेकर दीप्ति कहती हैं कि कुछ स्वादिष्ट खाने की इच्छा पहले आंखों में जगती है। इसकी अनुभूति होते ही उन्होंने केक के साथ ब्राउनीज, चाकलेट, बिस्कुट, कुकीज जैसे प्रोडक्टस को भी बाजार में उतारा। लोगों को दीप्ति के बनाए ब्राउनीज कुछ इस कदर भाया कि आज यही ब्राउनीज इनका सिगनेचर प्रोडक्ट बन गया है। क्रीम केक को छोड़ दें अब इनके बनाए गए प्रोडक्ट डाक के जरिए देश के कई शहरों में पहुंच रहे हैं कोरोना काल ने सिखाया महत्वपूर्ण सबक इनके कामकाज में एक अहम मोड़ आया जब कोरोना महामारी की वजह से देशव्यापी लॉक डाउन किया गया। लोग घरोंं में कैद हो गए। इनकी ओवन ठंडी पड़ गई। लेकिन इंसान रुकने वाला कब है। घरों में कैद लोग जल्द ही उबने लगे। दीप्ति कहती हैं कि उनके वाट्सऐप ग्रुप में शामिल लोग फोन पर केक और अन्य प्रोडक्टस के उनतक पहुंचने की संभावना तलाशने लगे। दीप्ति के मुताबिक एक बार फिर अर्थशास्त्र के डिमांड और सप्लाई के प्रचीन सिद्धांत पर अमल करने का वक्त आ गया था। दीप्ति ने अपने बंद पड़े ओवन का स्वीच ऑन कर दिया। फिर शुरु हुआ इंसान का इंसान से मुहब्बत और विश्वास का नया अध्याय। जो वायरस हवा में ही तैर रहा हो उससे मुक्त खाने की सामग्री लोगों तक पहुंचाना वाकई जिम्मेदारी का काम था। लोगोंं ने दीप्ति पर भरोसा किया। फिर क्या था। जवान और बच्चे तो एक तरफ बुजुर्गों ने भी इसे हाथों हाथ लिया। उनकि इलाके के भीतर कनटेनमेंट जोन में लोग दीप्ती के घर आकर इनके प्रोडक्ट ले जाते। कैसे चला कोरोना काल में काम कोरोना काल में कैसे काम हुआ, इस सवाल पर दीप्ति बताती हैं कि इसमें उनके घर के गेट पर रखे एक टेबल ने अहम रोल निभाया। आर्डर देने वाले ग्राहक प्रोडक्ट की कीमत उस टेबल पर रख देते और बगल में रखे प्रोडक्ट के डिब्बे उठा कर ले जाते। बाकी बातें फोन पर होतीं। एक बुजुर्ग महिला ने दीप्ती को शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि चारो तरफ के मातम भरे माहौल में तुम्हारा केक सुकुन की तरह है। उद्यम का उद्देश्य सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं दीप्ती कहती हैं कि कोई भी धंधा सिर्फ मुनाफा कमाने के लिए नहीं होना चाहिए। वह अपने को खुशकिस्मत मानती हैं कि उनका उद्यम उनके ग्राहक को दिली सुकुन देता है। दीप्ती कहती हैं कि अब वह इस मुकाम पर हैं जब वह अपने को एक उद्यमी मान सकती हैं। वह कहती हैं कि करीब एक दशक में बिना किसी प्रचार, बड़ा निवेश और तामझाम के 300 रुपए के केक से शुरु कर करीब 15 लाख रुपए सालाना का टर्नओवर कोई कम नहीं है। प्रोटक्ट की शुद्धता, विश्वास और मुहब्बत को यह अपना मार्गदर्शक मानती हैं।


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