Russia-Ukrain crisis: रूस का दम घोंटने के लिए नाटो और अमेरिका ने चलाए ये हथियार... फॉरेन रिजर्व फ्रीज, 80 फीसदी बैंकिंग सिस्टम प्रतिबंध के दायरे में, स्टॉक एक्सचेंज पर पाबंदी https://ift.tt/5zqeiHb - SAARTHI BUSINESS NEWS

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Wednesday, March 2, 2022

Russia-Ukrain crisis: रूस का दम घोंटने के लिए नाटो और अमेरिका ने चलाए ये हथियार... फॉरेन रिजर्व फ्रीज, 80 फीसदी बैंकिंग सिस्टम प्रतिबंध के दायरे में, स्टॉक एक्सचेंज पर पाबंदी https://ift.tt/5zqeiHb

नई दिल्ली: अमेरिका ने यूक्रेन पर हमला करने वाले रूस () के खिलाफ सख्त प्रतिबंधों की घोषणा की है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने बुधवार को कहा कि उनका देश अपने सहयोगियों के साथ मिलकर रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगा रहा है। उन्होंने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को अपनी इस हरकत की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। रूस की करेंसी रूबल पहले ही 30 फीसदी और स्टॉक मार्केट 40 फीसदी गिर चुके हैं। उन्होंने साथ ही घोषणा की कि अमेरिका रूस के विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने जा रहा है। अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और उनके सहयोगी देशों ने रूस पर सख्त पाबंदियां लगाई हैं। इसके असर भी अब दिखने शुरू हो गए हैं। इससे दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी इकॉनमी रूस अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल सिस्टम में अलग-थलग पड़ सकता है। रूस के खिलाफ सबसे सख्त प्रतिबंध यह है कि उसके 630 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को फ्रीज कर दिया गया है। इससे रूसी वित्तीय बाजार में हड़कंप मच गया और रूबल की कीमत 30 फीसदी की गिरावट के साथ रेकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। इससे रूस ने ब्याज दरों को 9.5 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया और विदेशियों के सिक्योरिटीज बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया। स्विफ्ट सिस्टम के भी दरवाजे बंद साथ ही स्विफ्ट पेमेंट्स सिस्टम के दरवाजे भी रूस के लिए बंद कर दिए गए हैं। इससे रूस के तगड़ा झटका लगने की उम्मीद है और वह पूरी तरह अलग-थलग पड़ सकता है। अमेरिका का कहना है कि रूस पर वित्तीय पाबंदियों से देश के 10 सबसे बड़े फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस प्रभावित होंगे। इनके पास रूस की 80 फीसदी बैंकिंग सेक्टर एसेट्स है। साथ ही रूस को निर्यात पर भी कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं। इससे देश की इकॉनमी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। यूएस ट्रेजरी के मुताबिक रूस के दो सबसे बड़े फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन Sberbank और VTB Bank के खिलाफ कार्रवाई की गई है जिससे उनका कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। रूस की वित्तीय संस्थाएं दुनिया में रोजाना 46 अरब डॉलर का लेनदेन करती हैं। इनमें से 80 फीसदी लेनदेन अमेरिकी डॉलर में होता है। प्रतिबंधों के बाद इस पर व्यापक असर होगा। रूस की इकॉनमी पर क्या असर होगा इन प्रतिबंधों का रूस की इकॉनमी पर व्यापक असर हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में एटीएम के बाहर लोगों की कतारें लगी हुई हैं। लोगों को आशंका है कि रूबल में कीमत में भारी गिरावट आ सकती है। देश में निवेश तेजी से गिर रहा है। ब्रिटिश पेट्रोलियम और शेल सहित कई विदेशी फंड्स ने रूस के एसेट्स को फ्रीज करने की घोषणा की है। कई लॉ और अकाउंटिंग कंपनियां भी रूस में अपना कामकाज समेट रही हैं जबकि स्टॉक मार्केट भी दो दिन से बंद हैं। इससे रूस में महंगाई चरम पर पहुंच सकती है। निवेश सूख रहा है, करेंसी की कीमत गिर रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन प्रतिबंधों से देश की जीडीपी को 1.5 फीसदी का झटका लग सकता है और इकॉनमी मंदी में जा सकती है। इससे देश में अशांति फैल सकती है। रूस पर 2014 से 2018 तक पाबंदियां लगी थीं और इससे रूस की जीडीपी को 1.2 फीसदी का झटका लगा था लेकिन इस बार इसका ज्यादा व्यापक असर हो सकता है। ग्लोबल इकॉनमी पर क्या असर होगा प्रतिबंधों से ग्लोबल इकॉनमी भी प्रभावित हो सकती है और सप्लाई चेन के प्रभावित होने से महंगाई बढ़ सकती है। ग्लोबल इकॉनमी कोविड-19 महामारी के असर से निकल रही थी लेकिन अब इसकी रफ्तार धीमी पड़ सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत पहले ही कई साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। अगर इसमें और इजाफा होता है तो इससे दुनियाभर में महंगाई बढ़ सकती है। पहले ही कई कमोडिटीज के दाम काफी बढ़ गए हैं। कुछ जानकारों का कहना है कि यूक्रेन-रूस संकट से इस साल ग्लोबल जीडीपी में 0.2 फीसदी गिरावट आ सकती है। ऑक्सफर्ड इकनॉमिक्स के मुताबिक रूस और यूक्रेन में अस्थिरता का दुनिया की अर्थव्यवस्था पर सीमित असर होगा। इसकी वजह यह है कि उनकी इकॉनमी और फाइनेंशियल मार्केट्स ज्यादा बड़े नहीं हैं। दुनिया के कुल निर्यात में रूस की हिस्सेदारी दो फीसदी से भी कम है। इसी तरह वर्ल्ड स्टॉक मार्केट कैपिटेलाइजेशन में रूस का हिस्सा एक फीसदी से कम है। यूक्रेन की हिस्सेदारी तो 0.01-0.3 फीसदी है। बीआईएस बैंकों का रूस में निवेश 90 अरब डॉलर है। इनमें से अधिकांश निवेश यूरोपीय बैंकों का है।


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