नए कोरोनावायरस महामारी के कारण दुनियाभर के शेयर बाजारों में आई गिरावट के बीच भारत दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजारों की सूची से बाहर हो गया है। वायरस का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बेहद बुरा असर पड़ा है। इसके कारण भारतीय शेयर बाजार बीयर मार्केट के दायरे में आ गया है और डॉलर के मुकाबले रुपया नए रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच चुका है। शेयर बाजार जब रिकॉर्ड ऊपरी स्तर के मुकाबले 20 फीसदी से ज्यादा गिरा हुआ होता है, तब उसे बीयर मार्केट का दायरा माना जाता है।
इस साल अब तक भारतीय बाजार का एमकैप 27.31 फीसदी घटा
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध शेयरों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन (बाजार पूंजीकरण) इस साल की शुरुआती स्थिति के मुकाबले डॉलर मूल्य में 27.31 फीसदी घट चुका है। भारत अब दो लाख करोड़ डॉलर के मार्केट कैपिटलाइजेशन (एमकैप) वाले बाजारों की सूची में नहीं रहा। 1.57 लाख करोड़ डॉलर एमकैप के साथ भारत अब 11वें स्थान पर आ गया है। इस साल जनवरी में भारतीय बाजार 2.16 लाख करोड़ डॉलर के एमकैप के साथ 10वें स्थान पर था। इससे भी पहले जनवरी 2019 में भारत 2.08 लाख करोड़ डॉलर के एमकैप के साथ दुनिया का सातवां सबसे बड़ा शेयर बाजार था।
23 मार्च को टॉप-10 क्लब से बाहर हुआ भारत
23 मार्च को भारत टॉप-10 क्लब से बाहर हो गया। उस दिन सेंसेक्स में 13.15 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी, जो सेंसेक्स की सबसे बड़ी गिरावट में से एक थी। उस दिन भारतीय शेयरों का कुल एमकैप 1.31 लाख करोड़ डॉलर या 101.87 लाख करोड़ रुपए था। भारतीय बाजार में लिस्टेड सभी कंपनियों का कुल एमकैप इस साल 155.54 लाख करोड़ रुपए के ऊपरी स्तर से गिरकर अब तक 121.73 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है।
30 साल में पांचवीं बार भारतीय बाजार में 40 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है
सीएलएसए के विश्लेषकों के मुताबिक पिछले 30 साल में यह पांचवां मौका है, जब भारतीय बाजार में 40 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। इससे पहले के 4 मौकों में निचला स्तर छूने में बाजार को 10 से लेकर 27 महीने का समय लगा। जबकि इस बार तीन महीने से भी कम समय में बाजार ने अपना निचला स्तर छू लिया। कुछ प्रतिष्ठित संकेतकों के मुताबिक मौजूदा गिरावट के दौर में भारतीय बाजार ने अभी तक निचला स्तर नहीं छूआ है।
पूरी दुनिया के शेयरों के कुल एमकैप में भारत की हिस्सेदारी 2.18 फीसदी
देश के प्रमुख शेयर सूचकांक सेंसेक्स में शामिल शेयरों का कुल एमकैप (डॉलर में) इस साल अब तक 29.10 फीसदी घट चुका है, जबकि 2019 में यह 11.91 फीसदी बढ़ा था। पूरी दुनिया के शेयरों के कुल एमकैप में भारत की हिस्सेदारी 2.18 फीसदी है। 2019 के शुरू में यह 2.97 फीसदी थी। शुक्रवार को सेंसेक्स 31,327.22 पर बंद हुआ, जो इस साल की शुरुआत के मुकाबले 24 फीसदी नीचे है।
रुपए का प्रदर्शन एशिया की समकक्ष मुद्राओं में सबसे खराब
रुपए का प्रदर्शन भी एशिया की समकक्ष मुद्राओं में सबसे खराब रहा है। इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया 6.64 फीसदी कमजोर हो चुका है। डॉलर सर्वाधिक मजबूत मुद्राओं में शामिल है। इस दौरान डॉलर 4.14 फीसदी मजबूत हुआ है। बुधवार को रुपया डॉलर क मुकाबले 76.92 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गया था।
हर 10 साल में एक ऐसी घटना होती है, जब बाजार औसतन 35 % गिर जाता है
एंबिट कैपिटल के विश्लेषकों ने कहा कि पिछले 100 से अधिक साल में भारत सहित पूरी दुनिया के बाजारों में बड़ी गिरावट आती रही है। हर 10 साल में एक बार ऐसी घटना होती है, जिसके बाद प्रमुख शेयर सूचकांक में 35 फीसदी की गिरावट आती है। इसके बाद आम तौर पर आर्थिक मंदी आती है। बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ती है और कर्मचारियों के वेतन में कटौती होती है। ऐतिहासिक तौर पर भारत में ऐसी घटनाओं के बाद बाजार के निचले स्तर तक पहुंचने में औसतन 12 से 14 महीने लगते हैं। औसतन 16 से 18 महीने में सूचकांक अपने सर्वोच्च स्तर को फिर से हासिल कर लेता है। अमेरिका व अन्य विकसित देशों के बाजारों के मुकाबले भारतीय बाजार अधिक तेजी के साथ गिरावट से ऊपर उठता है।
पूरी दुनिया के शेयर बाजारों का एमकैप इस साल अब तक 17.15 फीसदी घटा
2020 में अब तक दुनियाभर के शेयर बाजारों का कुल एमकैप 17.15 फीसदी घटकर 86.99 लाख करोड़ डॉलर से 72.07 लाख करोड़ डॉलर पर आ गया। हालांकि वायरस के शुरुआती केंद्र चीन के बाजार का एमकैप इस दौरान महज 1.36 फीसदी गिरकर 7.24 लाख करोड़ डॉलर पर है। 29.34 लाख करोड़ डॉलर के एमकैप के साथ अमेरिका सबसे बड़ा शेयर बाजार है। अमेरिकी बाजार का एमकैप इस साल अब तक 14.66 फीसदी गिरा है। इस दौरान ब्रिटेन का एमकैप सर्वाधिक 30.09 फीसदी घटकर 2.44 लाख करोड़ डॉलर पर आ गया। इस एमकैप के साथ ब्रिटेन पांचवां सबसे बड़ा बाजार है।
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