भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नए नियमों के तहत प्राइवेट सेक्टर के लेंडर्स के प्रमोटर शेयरहोल्डिंग पर 15 प्रतिशत की सीमा लगाने पर विचार कर रहा है। हालांकि वोटिंग राइट की सीमा 15 से 20 प्रतिशत तक ही रहेगी। निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों ने कोटक महिंद्रा बैंक पर रेगुलेटर के फैसले का हवाला देते हुए लाइसेंसिंग नॉर्म्स में छूट की मांग की है। इसलिए ओनरशिप और कंट्रोल को संतुलित करने का यह कदम उठाया गया है।
कोविड-19 की वजह से रुक गई नियम की यह प्रक्रिया
सूत्रों के मुताबिक आरबीआई सभी कंपनियों के बीच समानता बनाए रखने के लिए शेयर होल्डिंग नियमों में बदलाव कर रहा है। नए नियम की प्रक्रिया हालांकि पहले से ही चालू थी, पर कोविड-19 के कारण उसमें देरी ही गई। अगले कुछ हफ्तों में इसे जारी करने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि जनवरी में आरबीआई ने उदय कोटक को कोटक महिंद्रा बैंक में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी बनाए रखने की मंजूरी दी थी।
इंडसइंड बैंक के प्रमोटर्स नेमांगी हिस्सेदारी बढ़ानी की अनुमति
कोटक महिंद्रा बैंक ने हाल में 7,500 करोड़ रुपए जुटाने की घोषणा की थी। इससे बैंक में प्रमोटरों की हिस्सेदारी एक प्रतिशत तक घट सकती है। कोटक के पास प्रमोटर की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से घटाकर 26 प्रतिशत करने के लिए सितंबर तक का समय है। इसके बाद इंडसइंड बैंक के प्रमोटरने भी आरबीआई को मार्च में पत्र लिखकर अपनी हिस्सेदारी 26 प्रतिशत तक करने की अनुमति मांगी थी। हालांकि बैंक को इस मामले में अभी तक आरबीआई की ओर से कोई सूचना नहीं मिली है।
हिस्सेदारी नहीं घटाने पर बंधन बैंक पर लग चुका है प्रतिबंध
तय समय में प्रमोटर की हिस्सेदारी नहीं घटाने पर अक्टूबर 2018 में बंधन बैंक पर नई शाखाएं खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। साथ ही बैंक के एमडी सी.एस. घोष का वेतन भी रोक दिया गया था। गृह फाइनेंस के साथ मर्जर होने पर बंधन फाइनेंशियल होल्डिंग्ज की बैंक में अभी भी 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी है। बैंक ने हालांकि अभी भी प्रमोटर का हिस्सा घटाने के लिए कोई योजना घोषित नहीं की है और साथ ही इस पर लगे प्रतिबंध को हाल में हटा भी लिया गया था।
अभी कई बैंक में अलग-अलग है प्रमोटर्स की होल्डिंग
आरबीआई के नियमों के बावजूद अभी बैंकिंग उद्योग में प्रमोटर होल्डिंग अलग-अलग है। एक ओर जहां कोटक में प्रमोटर की होल्डिंग 26 प्रतिशत पर मंजूर की गई है, वहीं दूसरी ओर बंधन बैंक में प्रमोटर की होल्डिंग 60 प्रतिशत है। बेलआउट की वजह से एसबीआई ने यस बैंक में 48 प्रतिशत हिस्सेदारी बनाए रखा है। इसी तरह प्रेम वत्स भी कैथोलिक सीरियन बैंक में ज्यादा हिस्सेदारी रखे हैं। इससे बैंकिंग उद्योग को एक असमंजस का मैसेज नजर आ रहा है।
10 प्रतिशत से ज्यादा की होल्डिंग के लिए जरूरी है मंजूरी
बैंकिंग उद्योग का कहना है कि इस असमंजस को स्पष्ट कर आरबीआई को एक नियम तय करना चाहिए जिसमें सभी के लिए समान प्रमोटर होल्डिंग का नियम हो।पहले प्रमोटर्सकी होल्डिंग 49 प्रतिशत मंजूर की गई थी, लेकिन जब ग्लोबल ट्रस्ट बैंक दिवालिया हुआ तो ओनरशिप में डाइवर्सिफाई करने का निर्णय लिया गया। आरबीआई के 2015 के लाइसेंसिंग नियमों के अनुसार निजी बैंक के प्रमोटर्सको तीन वर्षों में हिस्सा घटाकर 40 प्रतिशत, 10 वर्ष में 20 प्रतिशत और बैंक का काम शुरू होने के 15 वर्ष में हिस्सा घटाकर 15 प्रतिशत करना जरूरी है।10 प्रतिशत या ज्यादा की होल्डिंग के लिए आरबीआई की अनुमति जरूरीहै।
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