कोरोनावायरस के फैलने के कारण दुनियाभर में एनर्जी की मांग पर असर पड़ रहा है। मार्च में घोषित लॉकडाउन के कारण देश में एनर्जी की मांग 30% तक घट गई है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी(आईईए) के मुताबिक, प्रति सप्ताह लॉकडाउन बढ़ाए जाने से सालाना मांग में 0.6% की कमी आएगी। एजेंसी का कहना है कि लॉकडाउन के कारण इंडस्ट्री का रुझान सोलर, विंड और हाइड्रोपावर की तरफ बढ़ा है।
एक महीना लॉकडाउन बढ़ने से मांग में 1.5% की कमी आएगी
आईईए ने ग्लोबल एनर्जी रिव्यू में कहा है कि लॉकडाउन को अतिरिक्त एक महीने बढ़ाने से दुनियाभर में एनर्जी की मांग में 1.5% की कमी आएगी। एजेंसी का अनुमान है कि 2020 में एनर्जी की मांग में 6 फीसदी की कमी आएगी। 2008 में आई मंदी के मुकाबले मांग में यह कमी 7 गुना ज्यादा है। यह कमी भारत की कुल एनर्जी की मांग के बराबर है।
कार्बन उत्सर्जन में सालाना 8 फीसदी कमी आने का अनुमान
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 दुनियाभर में एनर्जी सेक्टर के लिए एक बड़ा झटका है। यह पिछले 70 साल में सबसे बुरा है। इसके असर के सामने 2008 की मंदी का प्रभाव बहुत कम है। इससे कार्बन उत्सर्जन में सालाना 8 फीसदी कमी आने का अनुमान है।आईईए के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर फाटी बिरोल का कहना है कि लंबे समय के प्रभाव का आकलन अभी मुश्किल है लेकिन इससे एनर्जी इंडस्ट्री बदल जाएगी। यह पूरी इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ा झटका है।
अमेरिका में मांग 9% और यूरोपीय यूनियन में 11% घटने का अनुमान
बिरोल का कहना है कि भारत में इलेक्ट्रिसिटी और ट्रांसपोर्ट में मांग में कमी काफी ज्यादा है लेकिन सालाना कमी दुनिया के औसत से कम रहेगी। उनका कहना है कि एनर्जी की मांग लॉकडाउनकी समय सीमा के ऊपर भी निर्भर करेगी। अमेरिका में एनर्जी मांग 9 फीसदी और यूरोपीय यूनियन में 11 फीसदी घटने का अनुमान है। एजेंसी का कहना है कि लॉकडाउन हर एक माह बढ़ाने से दुनियाभर में मांग में 1.5% की कमी आएगी।
2020 में इलेक्ट्रिसिटी की मांग में 5 फीसदी कमी आ सकती है
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में इलेक्ट्रिसिटी की मांग में 5 फीसदी कमी आने का अनुमान है। यह कमी 1930 की महामंदी के बाद की सबसे बड़ी कमी होगी। लॉकडाउन के कारण एनर्जी उत्पादन के लिए हाइड्रोपावर, विंड और सोलर पीवी की तरफ रुझान बढ़ रहा है। 2020 में इन स्रोतों से इलेक्ट्रिसिटी उत्पादन बढ़ेगा। इससे कोयला और प्राकृतिक गैसऊर्जा के स्रोतों पर असर पड़ेगा। इससे एनर्जी सेक्टर में गैस और कोयले की हिस्सेदारी में 3 फीसदी की कमी आ सकती है।
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