कोविड-19 के लिए आए 1,000 करोड़ रुपए के इंपोर्टेड मेडिकल उपकरण देशभर में पोर्ट ट्रस्ट पर अटके, सीएफएस मांग रहे हैं चार्ज https://ift.tt/2W0PT15 - SAARTHI BUSINESS NEWS

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Monday, April 27, 2020

कोविड-19 के लिए आए 1,000 करोड़ रुपए के इंपोर्टेड मेडिकल उपकरण देशभर में पोर्ट ट्रस्ट पर अटके, सीएफएस मांग रहे हैं चार्ज https://ift.tt/2W0PT15

एक ओर जहां देश में सरकार कोविड-19 से निपटने के लिए तमाम प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर देश के सभी पोर्ट ट्रस्ट पर सीएफएस ने आयातकों के 1,000 करोड़ रुपए की विदेशों से इंपोर्टेड की गई आवश्यक वस्तुओं को अटका रखा है। यह सभी वस्तुएं मेडिकल के लिए उपयोग होनेवाली थीं, जो कोविड-19 से लड़ने में मददगार साबित होंगी।

इन उपकरणों में पीपीई किट बनाने केउत्पाद भी हैं

देशभर के पोर्ट ट्रस्ट में फंसे इन कंटेनरों में कई आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं जिसमें कुछ वस्तुएं कोविड-19 के प्रकोप से निपटने के लिए आवश्यक हैं। आयातित सामग्री में पॉलीमर/पीवीसी रेसिन है, जिसका उपयोग खाद्य उत्पादों के साथ-साथ चिकित्सा उपकरणों की पैकेजिंग में उपयोग किया जाता है। डॉक्टरों और अन्य पैरा-मेडिकल स्टॉफ द्वारा आवश्यक पीपीई किट (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) भी इस इंपोर्टेड उत्पाद द्वारा तैयार किया जाता है।

22 मार्च से कंटेनरों के लिए चार्ज नहीं वसूलने का निर्देश

लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से वित्त मंत्रालय और और शिपिंग मंत्रालय द्वारा कई नोटिफिकेशन और एडवाइजरी जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि 22 मार्च 2020 से बंदरगाह पर पड़े कंटेनरों के लिए कोई लेट फीस, जमीन किराया शुल्क या अन्य दंड शुल्क नहीं लिया जाएगा। उक्त नोटिफिकेशन के बावजूद पूरे देश में सीएफएस (कंटेनर फ्रेट स्टेशन) भारी भरकम चार्ज लगा रहे हैं जिसके कारण सामग्री इंपोर्ट करनेवाले बंदरगाह से माल उठाने और इसे आगे वितरित कर सकने में असमर्थ हैं।

1,000 करोड़ रुपए कीफंसीहैमेडिकल सामग्री

पॉलीकेम ट्रेड फाउंडेशन के बलराम गुप्ता ने बताया कि ऐसे समय में जब पूरा देश मेडिकल के लिए परेशान हो रहा है और इनकी सख्त जरूरत है, देश भर के पोर्ट ट्रस्ट पर सीएफएस पैसों के लिए इन सामग्रियों को अटका रखा है। यह बहुत बड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि करीबन 1,000 करोड़ रुपए के माल विदेशों से आकर हमारी धरती पर पड़े हैं और सीएफएस इसे नहीं छोड़ रहे हैं। वे तमाम किरायों के नाम पर भारी-भरकम चार्ज मांग रहे हैं, जिसे सरकार ने कोविड-19 की वजह से पहले ही माफ कर दिया है। उन्होंने इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

दिल्ली हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका

जीएन अग्रवाल एंड कंपनी के एडवोकेट अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की गई है, अदालत ने इसकी अर्जेंट सुनवाई के लिए एक मई तय किया है। लेकिन सीएफएस इसे सुन नहीं रहे हैं। इन आवश्यक वस्तुओं की डिलीवरी न होने से कोविड-19 के खिलाफ देश की लड़ाई पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हालांकि इस बारे में जेएनपीटी के सेक्रेटरी जनरल उमेश ग्रोवर ने भास्कर द्वारा भेजे गए टेक्स्ट और वॉट्सअप मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया।



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बंदरगाहों यानी पोर्ट ट्रस्ट पर फंसी इन सामग्रियों से कोविड-19 के लिए तमाम उपकरण बनने थे

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