देश में मोबाइल चार्जर बनाने वाली कंपनियां सरकार की इन्सेन्टिव स्कीम की मदद से दुनिया के 50% बाजार पर काबिज हो सकती हैं। इंटरनेट एंडमोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) की रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है। आईएएमएआई को मदरबोर्ड, प्रिटिंग सर्किट बोर्ड असेंबली मैन्युफैक्चरिंग और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने की भी काफी संभावनाएं दिख रही हैं।
मैन्युफैक्चरिंग में 2025 तक 1 लाख करोड़ रुपए के निवेश की उम्मीद
सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक अप्रैल से स्कीम नोटिफाई की है। इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और 2025 तक 20 लाख रोजगार के मौके उपलब्ध करवाने के लिए 48 हजार करोड़ रुपए के इन्सेन्टिव की स्कीम है। उम्मीद की जा रही है कि 2025 तक इस सेक्टर में 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा और 10 लाख करोड़ रुपए तक की रेवेन्यू जेनरेट होगा।
पिछले तीन साल में चार्जर एक्सपोर्ट की ग्रोथ 40% रही
आईएएमएआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 तक ग्लोबल चार्जर मार्केट 10 अरब डॉलर यानी करीब 76 हजार करोड़ रुपए का होने का अनुमान है। इनमें करीब 70% हिस्सेदारी स्मार्ट चार्जर की होगी। पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच भारत का चार्जर एक्सपोर्ट बढ़कर 36.67 करोड़डॉलर पहुंच गया। 2016-17 में यह 14.30 करोड़ डॉलर था। पिछले तीन साल में चार्जर एक्सपोर्ट की ग्रोथ रेट 40% रही है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मदद बढ़ाने की जरूरत
रिपोर्ट के मुताबिक 5% की प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम के जरिए देश में स्मार्टफोन चार्जर का प्रोडक्शन 6.5 अरब डॉलर तक तक पहुंच सकता है। इसमें से 4.7 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट संभव है। स्मार्टफोन चार्जर और प्रिटिंग सर्किट बोर्ड असेंबली मैन्युफैक्चरिंग के लिए लगातार मदद की जरूरत है।
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