फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने 6 क्रेडिट फंडों की स्कीम को बंद किया, निवेशक नहीं निकाल पाएंगे पैसे https://ift.tt/3bAcQP1 - SAARTHI BUSINESS NEWS

Business News, New Ideas News, CFO News, Finance News, Startups News, Events News, Seminar News

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Friday, April 24, 2020

 फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने 6 क्रेडिट फंडों की स्कीम को बंद किया, निवेशक नहीं निकाल पाएंगे पैसे https://ift.tt/3bAcQP1

डेट निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड उद्योग से बुरी खबर है। अग्रणी म्यूचुअल फंड कंपनी फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने भारत में कोविड-19 की महामारी के कारण अपनी 6 क्रेडिट फंडों की स्कीमों को बंद कर दिया है। इन स्कीमों में फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनामिक एक्रुअल फंड, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम ऑपर्चुनिटीज फंड का समावेश है। इनका कुल असेट अंडर मैनेजमेंट यानी एयूएम 22 अप्रैल तक 25,856 करोड़ रुपए रहा है। इस फैसले के बाद इन स्कीमों के निवेशक पैसे नहीं निकाल पाएंगे। कंपनी को ऐसा फैसला इसलिए लेना पड़ा क्योंकि म्यूचुअल फंड उद्योग में इस समय बड़े पैमाने पर पैसे की निकासी हो रही है और साथ ही कुछ खराब निवेश के कारण भी ऐसा हो रहा है। हालांकि इस फैसले से निवेशकों के विश्वास पर असर हो सकता है।

फंड उदयोग की आठवीं सबसे बड़ी कंपनी

फ्रैंकलिन टेंपलटन देश के म्यूचुअल फंड उद्योग की 44 कंपनियों में से आठवें क्रम की सबसे बड़ी कंपनी है जिसका कुल एयूएम 11.6 लाख करोड़ रुपए है। जिसमें से उपरोक्त 6 स्कीमों का एयूएम 25,856 करोड़ रुपए है। कंपनी की ओर से जारी प्रेस बयान के मुताबिक उपरोक्त स्कीमों के अलावा अन्य सभी फंड- इक्विटी, डेट और हाइब्रिड-इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगे।कंपनी ने कहा है कि बाजार की अव्यवस्था और तरलता के संकट के तलते 23 अप्रैल से इन क्रेडिट फंडों का कारोबार समेट लिया गया है, ताकि पोर्टफोलियो की प्रबंधित बिक्री के माध्यम से निवेशकों के हितों की रक्षा की जा सके। फंड हाउस ने कहा कि यह कार्रवाई इन्हीं 6 फंडों तक सीमित है, जिनमें ऐसे तत्व मौजूद हैं जो बाजार में चल रहे तरलता संकट से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।

निवेशकों की वैल्यू की रक्षा का संदेश

फ्रैंकलिन टेंपलटन-इंडिया के अध्यक्ष संजय सप्रे ने कहा, इन फंडों को बंद करने का फैसला बेहद मुश्किल था, लेकिन हमारा मानना है कि हमारे निवेशकों के लिए वैल्यू की रक्षा करना जरूरी है और पोर्टफोलियो परिसंपत्तियों को सुरक्षित करने के लिए यही एकमात्र रास्ता था। उन्होंने कहा कि कोरोना के प्रकोप और लॉकडाउन के बाद अधिकांश डेट सिक्योरिटीज और उनके अप्रत्याशित रिडेम्पशन से भारतीय बांड बाजारों में तरलता में काफी कमी आई है।

निवेशकों का निवेश अगले आदेश तक के लिए लॉक

फ्रैंकलिन टेंपलटन फिक्स्ड इनकम इंडिया के सीआईओ संतोष कामथ ने कहा, हालांकि इन फंडों की आर्थिक सेहत खराब हो रही है, लेकिन इन फंडों में उपार्जन (accruals) को उसी तरह जारी रहना चाहिए, जैसे इन फंडों द्वारा धारित अंतर्निहित प्रतिभूतियां (अंडरलाइंग सिक्योरिटीज) मजबूत बनी हुई हैं। फंड हाउस के इस फैसले के बाद अगर आप वर्तमान निवेशक उपरोक्त स्कीमों में हैं तो आप का निवेश तब तक के लिए लॉक हो चुका है, जब तक कि फंड हाउस भुगतान न करे।

किसी भी तरह से न तो निवेश होगा न पैसे निकाल पाएंगे

यही नहीं, एसआईपी, एसडब्ल्यूपी और एसटीपी के जरिए भी आप कोई लेन-देन नहीं कर पाएंगे। इन स्कीमों का ज्यादा एक्सपोजर कम रेटिंग वाली सिक्योरिटिज में था। कुछ हफ्ते पहले लिक्विड और अन्य शॉर्ट टर्म डेट फंडों की एनएवी यानी नेट असेट वैल्यू में भारी गिरावट देखी गई थी क्योंकि सभी मनी मार्केट में यील्ड और डेट पेपरों में दिक्कतें देखी गई थीं। फंड हाउस के इस फैसले का अर्थ यही है कि आप अगले आदेश तक पैसे नहीं निकाल पाएंगे। हालांकि जब निवेश का पेपर मैच्योर होगा, तब यह देखा जाएगा कि कंपनी कैसे भुगतान करती है।

ए और एए रेटिंग वाले बांडों में किया है निवेश

फ्रैंकलिन टेंपलटन की फैक्टशीट के मुताबिक 31 मार्च तक इसके लो ड्‌यूरेशन फंड ने 62.8 प्रतिशत असेट्स ए रेटिंग वाले बांडों में निवेश किया था और 45.76 प्रतिशत असेट्स का निवेश एए वाले रेटिंग में किया था। इंडिया डायनॉमिक अक्रूअल फंड ने 52.7 प्रतिशत एए रेटिंग वाले बांड में जबकि 44 प्रतिशत ए रेटिंग वाले बांड में निवेश किया था। क्रेडिट रिस्क फंड ने 60 प्रतिशत एए रेटिंग वाले पेपर में जबकि 49.6 प्रतिशत ए रेटिंग वाले बांडस् में निवेश किया था। शॉर्ट टर्म इनकम प्लान ने 85.6 प्रतिशत एए रेटिंग में और 57.5 प्रतिशत ए रेटिंग वाले में, अल्ट्रा शॉर्ट बांड फंड ने 82.8 प्रतिशत एए रेटिंग वाले में और 23.9 प्रतिशत ए रेटिंग वाले बांडों में निवेश किया था।

लिक्विडिटी की समस्या

इससे पता चलता है कि इन डेट फंडों का निवेश कम रेटिंग वाले बांडों में किया गया था, जहां लिक्विडिटी की बड़ी समस्या थी। ज्यादा रिडेंम्प्शन के कारण फंड ने बांडों को काफी कम मूल्य पर बेचा था जिससे फंड के पोर्टफोलियो के वैल्यू में गिरावट आई। इस फैसले के बाद अब निवेशकों को कब तक उनका पैसा मिलेगा, यह अनिश्चित है। क्योंकि कोविड-19 से निपटने के बाद जब बाजार सामान्य होगा उसके बाद यह फैसला कंपनी करेगी।

वोडाफोन आइडिया और यस बैंक में था निवेश

इन सभी 6 डेट स्कीमों का पहले की पोर्टफोलियो सिग्रेटेड कर दिया गया था। इससे पहले वोडाफोन आइडिया और यस बैंक में एक्सपोजर के चलते कंपनी ने साइड पाकेटिंग की थी। साइड पाकेटिंग का अर्थ म्यूचुअल फंड में खराब असेट्स को सिग्रेटेड करने से होता है। इसलिए निवेशकों को अब रेगुलर और सिग्रेटेड पोर्टफोलियो में रिकवरी के लिए इंतजार करना होगा। फ्रैंकलिन के बाद अब कई अन्य फंड हाउसों में भी इस तरह की स्थिति दिखने की उम्मीद है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
डेट फंडों में इस तरह के फैसले से निवेशकों में नोगा निगेटीव असर

No comments:

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages