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Tuesday, April 28, 2020

लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी मनोरंजन, पर्यटन जैसे क्षेत्र को सामान्य होने में लगेगा वक्त; CSAS के जरिए करेंगे समस्या का समाधानhttps://ift.tt/2SgCDnI


भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) के सीएमडी मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि लॉकडाउन के खत्म होने पर ज्यादातर उद्यम जल्द चालू हो जाएंगे। उन्होंने कोविड-19 महामारी से एमएसएमई पर होने वाले असर के साथ सिडबी किस तरह इन समस्याओं का समाधान कर रहा है? इस बारे में बात की। हम उनसे बातचीत के प्रमुख अंश आपको बता रहे हैं।
1. कोविड-19 के बाद यह क्षेत्र कितने समय में फिर से उठ खड़ा होगा? आप इस बारे में क्या सोचते हैं?
भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए कई राहतों की घोषणा की है। यह अनुमान हैं कि लॉकडाउन के खत्म होने पर ज्यादातर उद्यम जल्द चालू हो जाएंगे। जैसे-जैसे मांग बढ़ेगी, वैसे-वैसे आर्थिक गतिविधि भी बढ़ेंगी। कुछ क्षेत्र, जैसे कि मनोरंजन, यात्रा, पर्यटन और उनसे जुड़ी गतिविधियों के सामान्य होने में कुछ समय लगेगा। इसी प्रकार, औषधि-निर्माण, स्वास्थ्य-सेवा तथा डिजिटल सेवाओं में बाकी क्षेत्रों के मुकाबले तेजी से प्रगति का अनुमान हैं ।
2. वित्तीय वर्ष-20 में सिडबी का काम-काज कैसा रहा?
वित्तीय वर्ष 20 अभी-अभी पूरा हुआ है। कारोबार की दृष्टि से यह वर्ष काफी अच्छा रहा। इसमें बहुत-से सुधारों और नयी योजनाओं से हमें अच्छे परिणाम मिले। कारोबार के प्रोविजनल आंकड़ों को प्रकाशित करने से पहले उनकी समीक्षा चल रही है। इसमें कुछ समय लगेगा। पिछले कुछ हफ्तों में कोविड-19 के हालात पैदा हो गए। इन हफ्तों को छोड़ दें तो बाकी समय सभी वर्टिकलों में हमने अच्छा प्रदर्शन किया। जहां तक संवर्द्धन और विकास का प्रश्न है, मिशन स्वावलंबन के अंतर्गत हमने कई प्रभावी कदम उठाए, ताकि उद्यमिता संस्कृति विकसित की जा सके। हमारे राज्य-केन्द्रित प्रयासों में तेजी आई और राज्यों में हमने उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी।
3. कोरोना से एमएसएमई पर क्या असर पड़ रहा है?
कोविड-19 ने कारोबार और अर्थव्यवस्था पर निश्चय ही असर डाला है। चूंकि एमएसएमई पूरे पारितंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं, इसलिए कोरोना ने इस क्षेत्र को भी प्रभावित किया है। लेकिन नागरिकों की सेहत और उनका कल्याण भी एक प्राथमिकता है। एक बार जब स्थिति सुधर जाएंगी तब आर्थिक गतिविधियां भी फिर से शुरू होंगी। मैन्युफैक्चरिंग, परिवहन और जरूरी मदों की ट्रेडिंग का कार्य तो चल ही रहा है। तब भी एमएसएमई के सामने कई चुनौतियां आई हैं, जिनमें आमदनी, नकदी के प्रवाह में आई कमी और अधिक मात्रा में कार्यशील पूंजी की आवश्यकता आदि है। जिन लोगों ने उधार ले रखा है, उनके लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ उपायों की घोषणा की है, जैसे- चुकौती में मोरैटोरियम, आहरण सीमा की दुबारा गणना आदि। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने एमएसएमई के लिए 15,000 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी सहायता की घोषणा की है। इससे इस क्षेत्र को मदद मिलेगी।
4. सिडबी किस तरह इन समस्याओं का समाधान कर रहा है?
एमएसएमई को राहत देने के लिए रिजर्व बैंक ने जो भी दिशानिर्देश जारी किए हैं, उन सबको सिडबी ने क्रियान्वित किया है। इसके अलावा, एमएसएमई के लाभ के लिए सिडबी ने खुद अपनी ओर से योजनाएं शुरू की हैं।
स्वास्थ्य-सेवा से जुड़े जो एमएसएमई कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सेवाएं दे रहे हैं या उसके लिए उत्पादों का विनिर्माण कर रहे हैं, उनको वित्त देने के लिए सिडबी ने स्वयं फुर्ती दिखाते हुए SAFE और SAFE PLUS नामक दो अनूठी योजनाएं शुरू की हैं। SAFE के अंतर्गत 50 लाख रुपए तक का सावधि ऋण (इक्विपमेंट मशीनरी के लिए) और कार्यशील पूंजी सावधि ऋण (सामग्री के लिए) प्रदान किया जाता है। कोविड-19 के संबंध में विभिन्न राज्य सरकारों ने जो विशेष नीतिगत पैकेज घोषित किए हैं उनके अंतर्गत शामिल पात्र इकाइयां 200 लाख रुपए की सहायता पाने की पात्र हैं। SAFE PLUS के अंतर्गत कार्यशील पूंजी के लिए 100 लाख रुपए तक का रिवॉल्विंग क्रेडिट दिया जाता है। इन दोनों योजनाओं में 5% का वार्षिक ब्याज रखा गया है। अभी तक 100+ स्वास्थ्य सेवा इकाइयों को औसतन 48 घंटे के टर्न-अराउंड टाइम में ऋण मंजूर किया गया है।
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र, अस्पतालों, नर्सिंग होमों, क्लीनिकों आदि के वित्तपोषण के लिए हमारी मौजूदा SMILE योजना के अंतर्गत एक विशेष विंडो खोली गई है, ताकि कोरोनावायरस से लड़ने के लिए वे अपनी जरूरतें पूरी कर सकें।
5. क्या इन योजनाओं में स्टार्टअप्स को भी कवर किया गया है?
स्टार्टअप्स का वित्तपोषण एमएसएमई के वित्तपोषण से थोड़ा हटकर है। सिडबी फंड ऑफ फंड्स की निधि योजना संचालित करता है। भारत में उद्यम पूंजियों का सबसे बड़ा पार्टनर होने के नाते, हम पूरी परिस्थिति को अच्छी तरह समझते है। हमने एक राष्ट्रीय मैचमेकिंग प्लेटफॉर्म स्थापित किया है। इस पर स्टार्टअप्स को उनकी विकास संबंधी जरूरतों के लिए निवेश निधियों से मिलवाया जाता है।
जहां तक कोविड का प्रश्न है, हमने 6 अप्रैल को कोविड-19 स्टार्टअप सहायता योजना (CSAS) आरंभ की है। इसका उद्देश्य स्टार्टअप्स को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि कोविड-19 के कारण उनके सामने आ रही लिक्विडिटी की समस्या का समाधान किया जा सके। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक पात्र स्टार्टअप को 2 करोड़ रुपए का सावधि ऋण दिया जाता है, जिसे 36 महीने की अवधि में चुकाया जा सकता है। फिलहाल 50 प्रस्तावों पर विभिन्न चरणों में मूल्यांकन चल रहा हैं। कोविड स्टार्टअप योजना के तहत सिडबी को 300 से ज्यादा इन्क्वारी आई थीं, जिसमें से 60 एप्लिकेशन को शॉर्ट लिस्ट किया गया। इनमें से 10 एप्लिकेशन प्रोसेस ही चुकी हैं।
6. इन हालात में आप सरकार की मदद किस प्रकार कर रहे हैं?
सिडबी भारत सरकार की संस्था है। हम एमएसएमई पारितंत्र को मजबूत बनाने और उसमें जान फूंकने के लिए सतत कदम उठाते रहते हैं। मुद्रा और स्टैंड-अप इंडिया के माध्यम से उन लोगों तक पहुंचने पर जोर दिया गया है जो पिरामिड के निचले पायदान पर खड़े हैं।
कोविड के मद्देनजर, एक एमएसएमई हेल्प डेस्क चलाने के लिए हमने INVESTINDIA (National Investment Promotion and Facilitation Agency of India) से साझेदारी की है। इस पर एमएसएमई से आ रही पूछताछ और उनकी चिन्ताओं के समाधान के लिए सिडबी के वरिष्ठ अधिकारियों का एक समूह कार्यरत है। मेल के जरिए एमएसएमई को उत्तर देने में औसतन केवल 2 घंटे का समय लग रहा है। अब तक इस प्लेटफॉर्म से कई सौ एमएसएमई/स्टार्टअप्स के सवालों के जवाब दिए जा चुके हैं।
सिडबी ने भुवनेश्वर स्थित अपने मौजूदा प्रशिक्षण केंद्र- ‘स्वावलंबन अकैडमिक सेंटर’ में क्वारेंटाइन सुविधा स्थापित करने के लिए ओडिशा सरकार से कोलैबोरेशन किया है।
कोविड-19 से लड़ाई में राष्ट्र के संकल्प के प्रति अपने दायित्व को समझते हुए सिडबी ने पीएम केयर फंड में 15 करोड़ रुपए की राशि देने की घोषणा की है। जहां तक उत्तर प्रदेश शासन से सहयोग का संबंध है, सिडबी ने नोएडा और लखनऊ में लगभग 600 गरीब परिवारों को राशन पैकेट बांटा हैं व कुछ क्षेत्रो में कार्य अभी भी जारी हैं। लखनऊ में ऐसे और कई कार्यक्रम प्रस्तावित हैं।
7. सिडबी को हमेशा से सीएसआर गतिविधियों के लिए जाना जाता रहा है। इस बार भी सिडबी बहुत से काम कर रहा होगा। क्या आप ऐसे कुछ कामों पर रोशनी डालना चाहेंगे?
एक जिम्मेदार संस्था के तौर पर सिडबी, वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अपनी भूमिका निभाने में प्रयासरत है। हमने 11 सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से 8 राज्यों में गतिविधियां संचालित की हैं। इनमें स्वसहायता समूहों तथा घरेलू उद्यमियों के हाथ से और घर में बने 60,000 से अधिक मास्क का वितरण, 1900 से अधिक लोगों के लिए रसद और सैनिटाइजर का वितरण आदि शामिल है। सिडबी ने लखनऊ और उसके आसपास के इलाकों में 100+ Livelihood उद्यमियों की मदद की है, ताकि वे कोविड का मुकाबला कर सकें। हम अपने इन प्रयासों को और बड़े पैमाने पर करने की योजना बना रहे हैं, ताकि शीघ्र ही निर्धनतम लोगों और प्रवासी मजदूरों की मदद की जा सके। यह लखनऊ से शुरू होगा और इसमें दो हफ्तों में लगभग 1 लाख भोजन पैकेट वितरित किए जाएंगे। यह उत्तर प्रदेश प्रशासन से करीबी सहयोग रखते हुए किया जा रहा हैं।
8. क्या इन हालात में एमएसएमई के मार्गदर्शन के लिए कुछ गतिविधियां प्रस्तावित हैं?
जैसा कि मैंने पहले कहा, सिडबी और इन्वेस्ट इंडिया ने एमएसएमई हेल्प डेस्क स्थापित की है, जिसपर सिडबी के वरिष्ठ अधिकारियों का एक समूह एमएसएमई के सवालों और उनकी चिन्ताओं के समाधान पर सुझाव देता है। सिडबी ने एमएसएमई के लिए एक ई-बुक भी प्रकाशित की है, जो नकदी-प्रवाह, निधि जुटाने, परिचालनों आदि के बारे में एमएसएमई और स्टार्टअप्स का मार्गदर्शन करती है। एमएसएमई की उभरती हुई कारोबारी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अच्छे अभिशासन तथा डिजिटल सहायता प्रदान करने वाली दो और डिजिटल पुस्तकें प्रकाशित करके सिडबी तथा उद्यमीमित्र वेबसाइटों पर डाली गई हैं।




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