कोरोनावायरस के कारण चीन की साख पर विपरीत असर हुआ है। इसीका नतीजा है कि वैश्विक निर्माताओं ने भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत शुरू की है ताकि चीन से उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं के एक हिस्से को भारत से पूरा किया जा सके। कंपनियां चीन से अपनी आपूर्ति को भारत से पूरा करने पर तेजी से विचार कर रही हैं। कपनियां ऐसा इसीलिए कर रही हैं ताकि भविष्य में कोरोना जैसी परेशानी आने पर किसी देश पर उनकी निर्भरता कम हो सके।
चीन केवुहान में कई मोटर वाहन कारखाने हैं और वो चीन के तथाकथित "मोटर शहरों" में से एक है। ऐसे में यहाँ कोरोना का प्रकोप ज्यादा होने से आपूर्ति श्रृंखला बहुत बाधित हुई। इसे देखते हुए ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की सोर्सिंग में रुचि रखने वाली विदेशी कम्पनियाँ कंपनियां भारत में रूचि ले रही हैं।
हीरो मोटर्स कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पंकज मुंजाल ने कहा कि ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियां भारतीय कंपनियों से संपर्क कर रहीं हैं, ये कंपनियां फिलहाल चीन से ही ऑपरेट हो रही हैं। मुंजाल के अनुसार फिलहाल ज्यादातर आपूर्ति चीन से हो रही है लेकिन कई कम्पनियां अब भारत, वियतनाम और अन्य देशों में चली जाएंगी। इसलिए, मुझे विश्वास है, यहभारत के लिएवृद्धिका अवसर होगा।
जापान चाहता है चीन से अपनी कंपनियों का हटाना
मुंजाल का मानना है कि विदेशी कंपनियां भारत में निवेश करें, यह सुनिश्चित करने के लिए, सरकार को अभी भी चीन से संचालन की योजना बनाने वाली कंपनियों को लुभाने के लिए नए उपायों की घोषणा करनी होगी। इस महीने की शुरुआत में, जापान ने कोरोनोवायरस महामारी के बाद अपनी कंपनियों को चीन से बाहर उत्पादन में मदद करने के लिए 2.2 बिलियन डॉलर का निवेश किया। यह भारत के लिए जापानी कपनियों को खुद से जोड़ने का शानदार मौका है।
जॉनसन एंड जॉनसन सहित कईमेडिकल कंपनियों ने भारत में दिखाई रुचि
भारत में जिन वैश्विक फर्मों ने रुचि दिखाई है, उनमें अमेरिका के मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों टेलिडेने और एम्फेनोल के निर्माता हैं, और जॉनसन एंड जॉनसन जैसे मेडिकल उपकरण निर्माता हैं। डेकी इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रबंध निदेशक और भारतीय उद्योग परिसंघ में इलेक्ट्रॉनिक्स राष्ट्रीय पैनल के अध्यक्ष विनोद शर्मा ने कहा कि उनकी कंपनी एक दक्षिण कोरियाई फर्म के साथ बातचीत कर रही है ताकि इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स को बनाया जा सके। अधिकांश ऑटो फर्म नवीनतम इंजनों और चीन से अन्य इलेक्ट्रॉनिक भागों के लिए ईंधन-इंजेक्शन सिस्टम जैसे भागों का आयात करते हैं। "अगले कुछ महीनों में, हम देखेंगे कि इनमें से अधिकांश भारतीय वाहन निर्माता ऐसे भागों निर्माण कर उनका आयात कर सकेंगे।
1 हजार कंपनियां भारत आने का कर रहीं विचार
कोरोना वायरस के कारण चीन में विदेशी कंपनियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस माहौल में लगभग 1000 विदेशी कंपनियां भारत में एंट्री की सोच रही हैं। इनमें से करीब 300 कंपनियां भारत में फैक्ट्री लगाने को पूरी तरह से मूड बना चुकी हैं। इस संबंध में सरकार के अधिकारियों से बातचीत भी चल रही है। ये कंपनियां मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइसेज, टेक्सटाइल्स और सिंथेटिक फैब्रिक्स के क्षेत्र की हैं।
विदेशी निवेश लाना चाहती है सरकार
केंद्र सरकार लगातार विदेशी निवेश लाना चाहती है। इसी के चलते बीते साल कॉर्पोरेट टैक्स को घटाकर 25.17 फीसदी कर दिया था। वहीं नई फैक्ट्रियां लगाने वालों के लिए ये टैक्स घटकर 17 फीसदी पर ला दिया गया है। यह टैक्स दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे कम है। सरकार ने मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (MAT) में राहत दी है। कंपनियों को अब 18.5 फीसदी की बजाय 15 फीसदी की दर से मैट देना होता है। दरअसल, MAT उन कंपनियों पर लगाया जाता है जो मुनाफा तो कमाती हैं लेकिन रियायतों की वजह से इन पर टैक्स की देनदारी कम होती है।
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