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Sunday, April 26, 2020

कोरोना से जंग में पल्स ऑक्सीमीटर का है अहम रोल, डॉक्टर इसे घर में रखने की देते हैं सलाह, खुद कर सकते हैं जांच https://ift.tt/2xRtsU2

न्यूयॉर्क के बेलेव्यू अस्पताल में 10 दिनों तक काम करने के बाद डॉक्टर रिचर्ड लेविटन ने कोविड-19 के बारे में जो कुछ भी सीखा था उसे साझा करने का फैसला किया। डॉ रिचर्ड ने बताया कि अस्पताल में बहुत से मरीज ऐसे थे जिनमें ऑक्सीजन लेवल काफी कम था जिसे गंभीर काॅम्पलिकेशंस और मौत का खतरा माना जाता है। एक साधारण होम गैजेट जिसे पल्स ऑक्सीमीटर कहा जाता है, यह मरीज की स्थिति को गंभीर होने से बचाने में मदद करता है। यह उपकरण मरीज को गंभीर स्टेज में जाने से पहले अलर्ट कर देता है।


डॉ रिचर्ड लेविटन बताते हैं, 'अस्पताल में जब मैं यह तय करने की कोशिश कर रहा था कि मैं किसे घर भेजूं? तब पल्स ऑक्सीमीटर से मुझे काफी सहयोग मिला।' इसपर आपको जानकारी मिलती है कि आपकी पल्स और ऑक्सीजन की क्या स्थिति है? डॉ. लेविटन ने कहा कि पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर आपको बीमार होने से बचाता है।'


घर में जरूर रखें पल्स ऑक्सीमीटर
अमेरिका के हेल्थ एक्सपर्ट ने कोविड -19 महामारी के दौरान लोगों को अपने घरों में एक पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर रखने की सलाह दी है। डॉक्टरों के मुताबिक, जानिए पल्स ऑक्सीमीटर कैसे काम करता है ? इसके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार आपको क्या करना चाहिए ?


पल्स ऑक्सीमीटर क्या है?
एक पल्स ऑक्सीमीटर एक छोटा डिवाइस है। जो कि चिप क्लिप या बड़े कपड़ों की पिन की तरह दिखता है। इसे ऊंगली में क्लिप की तरह फंसाया जाता है। इसके बाद इसमें लगे सेंसर ये पता लगा पाते हैं कि खून में ऑक्सीजन का प्रवाह कैसा है। इसकी रीडिंग ऑक्सीमीटर की डिजिटल स्क्रीन पर दिखती है। स्क्रीन पर 95 से 100 के आसपास डिजिट दिखे तो ये सामान्य है। वहीं, सांस से जुड़ी समस्या वाले मरीजों में ये संख्या काफी कम हो सकती है। अगर ऑक्सीजन रीडिंग 92 या उससे कम दिखाएं तब आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह डिवाइस आपके हर्ट रेट को भी दिखाएगा। वयस्कों में सामान्य हर्ट रेट लगभग 60 से 100 बीट प्रति मिनट तक होती है, हालांकि उच्च हृदय फिटनेस वाले एथलीटों में कम पल्स होगा।


डॉ रिचर्ड लेविटन के मुताबिक, पल्स ऑक्सीमीटर में रीडिंग देखने के लिए घर के किसी अन्य सदस्य की मदद लेनी चाहिए। क्योंकि कई बार हम खुद से देखते हैं तो उल्टा रीडिंग कर लेते हैं और घबरा जाते हैं। हो सकता है आप 98 की जगह 89 पढ़ लें जो कि काफी खतरनाक स्तर माना जाता है।


कैसे काम करता है पल्स ऑक्सीमीटर?
जब आप अपनी उंगली को पल्स ऑक्सीमीटर में डालते हैं तो यह आपकी उंगली के माध्यम से प्रकाश के विभिन्न तरंगों से होते हुए गुजरता है। हालांकि आप इसे महसूस नहीं कर पाएंगे। यह आपके हीमोग्लोबिन को टारगेट कर आपके ब्लड में मौजूद प्रोटीन के अणु से ऑक्सीजन लेवल का पता लगाता है। यह अलग-अलग मात्रा में हीमोग्लोबिन को ऑब्जर्व करता है और आपके ब्लड में ऑक्सीजन सैच्युरेशन के लेवल को इंडिगेट करता है। पल्स ऑक्सीमीटर आपको एक संख्यात्मक (नंबर में) रीडिंग देता है। अगर आप डॉक्टर के पास गए हैं तो आपने पल्स ऑक्सीमेट्री का अनुभव जरूर किया होगा। बता दें कि यह डिवाइस ठंडे हाथों की तुलना में गर्म हाथों से बेहतर काम करता है क्योंकि ऑक्सीजन लेवल में उतार-चढ़ाव होता रहता है इसलिए दिन में दो तीन बार माप लेना चाहिए। आप अलग-अलग पोजीशन में भी माप ले सकते हैं जैसे कि आपकी पीठ के बल लेटते समय या चलते समय। जरूरत पड़ने पर आप इसे नोट करते जाएं और फिर बाद में इसे डॉक्टर से शेयर कर सकते हैं।


किस उंगली का उपयोग करें?
अधिकांश स्वास्थ्य तकनीशियन के मुताबिक तर्जनी उंगली सटीक माप देता है। हालांकि एक अध्ययन के मुताबिक, इसके लिए हाथ के तीसरी उंगली को ज्यादा बेहतर बताया गया है। अगर आप पल्स ऑक्सीमीटर से माप के लिए दाएं हाथ का इस्तेमाल करते हैं तो दाईं मध्यमा उंगली का उपयोग करें। अगर आप बाएं हाथ का इस्तेमाल करते हैं तो बाईं मध्यमा उंगली का उपयोग करें। वैसे ज्यादातर डॉक्टर पल्स ऑक्सीमीटर के लिए तर्जनी उंगली का इस्तेमाल करते हैं।


क्या लंबे नाखून या नेल पॉलिश से फर्क पड़ता है?
हां। डार्क नेल पॉलिश का सटीक रीडिंग पर प्रभाव पड़ता है। कई बार डार्क नेल पॉलिश होने की वजह से ठीक से डिवाइस ठीक से रीडिंग नहीं कर पाता है। डार्क नेल पॉलिश के अलावा लंबे नाखून से भी फर्क पड़ता है। उंगली सही से क्लिप में नहीं लगने के कारण सटीक जानकारी नहीं मिलती है।


पहले ही दे देता है संकेत
पल्स ऑक्सीमीटर इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसकी मदद से कोई लक्षण दिखने से पहले भी पता चल जाता है कि कोरोना मरीज के फेफड़ों पर क्या असर डाल रहा है। सांस फूलना या होंठों-ऊंगलियों में नीलापन आना काफी बाद में शुरू होता है। इससे पहले ये उपकरण हालात बता देगा और मरीज पहले ही अस्पताल पहुंच सकेगा। इससे कोरोना के कारण होने वाली मौतों की दर कम की जा सकती है।


क्या घर पर ऑक्सीजन लेवल की निगरानी करना जोखिम है?
यह संभव है कि होम मॉनिटर एक गलत रीडिंग दे सकता है या गलत तरीके से उपयोग किया जा सकता है। यदि आपके घर में कोई व्यक्ति रीडिंग कर रहा है तो इसे सुनिश्चित करने के लिए एक स्वस्थ व्यक्ति पर अपने उपकरण का परीक्षण कर सकते हैं। इस पर आप अपने चिकित्सक से चर्चा करें। कोरोना के जिन मरीजों का इलाज घर पर ही हो रहा हो, वे यह कर सकते हैं कि पहली बार पल्स ऑक्सीमीटर लेने पर प्रारंभिक रीडिंग लेकर जांच लें कि उनका सामान्य स्तर क्या है। इसके बाद हर कुछ घंटों पर पल्स चेक की जानी चाहिए ताकि पैटर्न समझ आ सके।



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कोविड-19 महामारी के दौरान घरों में पल्स ऑक्सीमीटर रखने की सलाह दी गई है

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