कोरोनावायरस महामारी ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई है। मजबूरी में ही सही लेकिन अभी दुनियाभर की कंपनियां अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की सलाह दे रही हैं। जहां एक तरफ कोविड-19 से कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है, वहीं कंपनियां नए विकल्प की तलाश भी कर रही है। डेलॉय की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोनावायरस फ्रीलांसर्स के लिए नया अवसर लेकर आएंगी। रिपोर्ट के अनुसार, लाॅकडाउन के बाद ज्यादातर कंपनियां काम के लिए फ्रीलांसर्स को हायर करेंगी। डेलॉय की 'फ्यूचर ऑफ वर्क एक्सेलरेटेड' रिपोर्ट के अनुसार, पांच में से तीन संस्थान फुल टाइम वर्कर के मुकाबले फ्रीलांसर से काम ले सकती हैं।
फुल टाइम वर्कर पर अपनी निर्भरता कम करेगी संस्थान
डेलॉय की रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक पांच में से तीन संस्थान (करीब 60 फीसदी) फुल टाइम वर्कर पर अपनी निर्भरता को कम कर रही है। एक कंपनी के संस्थापक बताते हैं कि मध्य मार्च से शुरू हुई कोरोना संकट के चलते कई लोगों की नौकरियों खतरे में आ गई है। मौजूदा समय में सिर्फ 20-30 मिलियन लोगों के पास ही रोजगार हैं। वहीं, इस संकट के चलते करीब 120 मिलियन गिग वर्कर्स को पेमेंट नहीं मिल रहा है। हालांकि, भविष्य में गिग वर्कर्स और फ्रीलांसरों को नए अवसर मिलेंगे।
डेलाॅय की डेटा के अनुसार, देश के 80 फीसदी संस्थानों में करीब 10 फीसदी से कम गिग वर्कर्स (गिग वर्कर वे होते हैं जिन्हें प्रोजेक्ट के आधार पर भुगतान किया जाता है) काम करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, अगले तीन साल में गिग इकोनॉमी के 455 बिलियन डॉलर के बाजार होने का अनुमान है।
मौजूदा हालात में 27 फीसदी कंपनियां वेतन देने में सक्षम नहीं
कोरोना संकट के कारण बने हालात में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध 100 में से 27 कंपनियां वर्तमान वेतन बिल को बनाए रखने में सक्षम नहीं है। डेलॉय के एक सर्वे में कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण अगर इन कंपनियों की कमाई में 30% या उससे अधिक की कमी आती है तो ये कंपनियां कर्मचारियों के वेतन में कटौती करेंगी। इसमें कहा गया है कि 27 में से 11 कंपनियां ऐसी हैं, जिनका कर्ज और इक्विटी अनुपात एक से ज्यादा है। इन कंपनियों को वेतन देने के लिए कर्ज लेने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। डेलॉय की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कंपनियों की समस्या इसलिए बढ़ गई हैं क्योंकि कमाई पर असर पड़ा है। साथ ही इन्हें मौजूदा पूंजी से ही देनदारियां भी चुकानी है। ऐसे में कंपनियों को मुआवजा लागत अनुपात पर वेतन भुगतान क्षमता का मूल्यांकन करना चाहिए।
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