कर्मचारी अगले 3 महीने तक अपने मूल वेतन की नई सीमा 10 फीसदी से ज्यादा प्रोविडेंट फंड (पीएफ) में योगदान कर सकते हैं। हालांकि, कंपनियों को कर्मचारियों के बराबर दर से योगदान देने की आवश्यकता नहीं है। वह 10 फीसदी का ही योगदान पीएफ में करेंगी। इम्प्लॉई और उन्हें सैलरी देने वाले इम्प्लॉयर के हाथ में कुछ ज्यादा पैसा रहे, इसके लिए सरकार ने पीएफ कंट्रीब्यूशन को 12% से घटाकर 10% करने का फैसला किया था। यह तीन महीने के लिए यानि अगस्त तक होगा।
श्रम मंत्रालय ने इस बारे में एक बयान जारी कर कहा है, ''ईपीएफ योजना, 1952 के तहत किसी भी सदस्य के पास वैधानिक दर (10 फीसदी) से अधिक दर पर योगदान करने का विकल्प होता है। लेकिन कंपनी अपने योगदान को 10 फीसदी कर सकता है।
इससे इनहेंड मिलेगी ज्यादा सैलरी
इम्प्लॉई और उन्हें सैलरी देने वाले इम्प्लॉयर के हाथ में कुछ ज्यादा पैसा रहे, इसके लिए सरकार ने पीएफ कंट्रीब्यूशन को 12% से घटाकर 10% करने का फैसला किया था। हालांकि इससे आपके पीएफ फंड पर विपरीत प्रभाव पडेगा और आपको रिटायरमेंट के समय कम रुपए मिलेंगे। हालांकि, केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारियों का पीएफ 12% ही कटता रहेगा। यह उन कर्मचारियों के लिए रहेगी, जो गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत नहीं आए हैं।
कम पैसे कटवाने से पीएफ फंड को होगा नुकसान?
नियम के अनुसार जितना पीएफ फंड के लिए जितना पैसा एम्प्लॉई का कटता है उतना ही पैसा एम्प्लॉयर को भी इस फंड के लिए देना होता है। ऐसे में अगर आपकी बेसिक सैलरी 15 हजार रुपए है तो पीएफ में 1,800 रुपए की बजाय अब 1,500 का कॉन्ट्रिब्यूशन जाएगा और इतना ही आपकी कंपनी मिलाएगी। यानी हर महीने आपके पीएएफ फंड ने 600 रुपए कम पहुंचेंगे। ये नियम 3 महीनों के लिए है यानि आपके पीएफ अकाउंट में कुल 1800 रुपए कम पहुंचेंगे।
कंपनियों को है ज्यादा फायदा?
पीएफ में जितना कॉन्ट्रिब्यूशन कर्मचारियों का होता है उतना ही एम्प्लॉयर का भी होता है। यानी 12% एम्प्लॉयर को भी जमा करवाना पड़ता है। अब अगले तीन महीने 10% ही जमा करवाना पड़ेगा। इसके उनकी बचत होगी जिसे वे दूसरे काम में लगा सकेंगे। केंद्र और राज्य की सरकारी कंपनियों के लिए 12% कॉन्ट्रिब्यूशन जारी रहेगा।
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