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Friday, May 29, 2020

लॉकडाउन में ढील देने से देश में बढ़ी आर्थिक गतिविधियां, मई महीने में 1.73 करोड़ ई-वे बिल बने, अप्रैल में महज 86 लाख बिल बने थे

लॉकडाउन में ढील दिए जाने से देश की आर्थिक गतिविधियों में उछाल दिख रहा है। इसका सबूत इस बात से मिल रहा है कि मई महीने में कुल 1.73 करोड़ ई-वे बिल जनरेट हुई है। इसका अर्थ यह है कि माल और कच्ची सामग्री की सप्लाई शुरू हो गई है। अप्रैल महीने में ई-वे बिल की संख्या महज 86 लाख थी।

प्रमुख इलाकों में कारखाने शुरू हो गए हैं-सीआईआई

ई-वे बिल एक तरह का डाक्युमेंट होता है। जीएसटी के तहत माल परिवहन के लिए यह जरूरी होता है। सीआईआई के सर्वे के अनुसार ई-वे बिल से रुझान का पता चल रहा है। सर्वे में कहा गया है कि देश के प्रमुख इलाकों में अब कारखानों के शुरू होने की खबर है। यह सर्वे सीआईआई के सदस्यों के रिस्पांस पर आधारित है। एक अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर गतिविधियां अब शुरू हो रही हैं। इस कारण साइकल आगे बढ़ेगा।

जुलाई-सितंबर की अवधि में होगा सुधार

सर्वे के अनुसार बिजली और ईंधन का बढ़ता उपयोग भी दिखा रहा है कि आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे गति पकड़ रही हैं। सरकार के अनुसार जुलाई-सितंबर की अवधि में परिस्थितियों में सुधार होगा। कारण कि 31 मई के बाद लॉकडाउन में काफी राहत मिलने की संभावना है। एक अधिकारी ने बताया कि आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से दूसरी तिमाही अच्छी रह सकती है। 25 मई तक के हफ्ते में 56 लाख से ज्यादा ई-वे बिल बने थे। इसका अर्थ यह है कि रोजाना औसतन 7.7 लाख बिल बन रहे हैं।

जनवरी में 5.68 करोड़ ई-वे बिल बने थे

जनवरी के पूरे महीने में यह आंकड़ा 5.68 करोड़ था। यानी रोजाना 18.3 लाख बिल बन रहे थे। डेलॉय इंडिया के पार्टनर एम एस मणि ने बताया कि ई-वे बिल की संख्या में हुई वृद्धि दर्शाती है कि बिजनेस में रिवाइवल आ रहा है। आंकड़ों में साप्ताहिक बढ़त बता रही है कि तमाम सेक्टर में गतिविधियां शुरू हो गई हैं। क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी.के. जोशी कहते हैं कि इंडीकेटर से पता चलता है कि गतिविधियां शुरू हो गई हैं। हालांकि अभी भी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं हो पा रहा है।

गुजरात में बड़े पैमाने पर कारखाने शुरू

सीआईआई के आंकड़ों के अनुसार गुजरात में बड़े पैमाने पर कारखाना चालू हो गए हैं। केवल कंटेनमेंट जोन में कामकाज बंद हैं। महाराष्ट्र कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित राज्य है। यहां भी कंटेनमेंट के बाहर उद्योग शुरू हो गए हैं। हालांकि इन कंपनियों के समक्ष कामगारों की कमी, मांग में कमी, ऊंचे फिक्स्ड खर्च जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हैं। इसके अलावा परिवहन सेवा और सप्लाई चेन तथा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के कारण 30-70 प्रतिशत की क्षमता पर काम हो रहा है।




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