फ्रैंकलिन टेंपलटन इंडिया के हाई नेट वर्थ निवेशकों (एचएनआई) ने बाजार नियामक सेबी को एक कानूनी नोटिस भेजी है। नोटिस में फंड हाउस के प्रबंधन की निगरानी के लिए एक प्रशासक (एडमिनिस्ट्रेटर) नियुक्त करने की मांग की गई है। साथ ही यूनिट धारकों को समय पर भुगतान के लिए एक मैकेनिज्म विकसित करने की मांग की गई है।
सेबी वाइंडिंग प्रक्रिया को वापस ले
उन्होंने यह भी मांग की है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) फ्रैंकलिन टेंपलटन को वाइंडिंग प्रक्रिया को वापस लेने और इसे तभी शुरू करने का निर्देश देने की मांग की है, जब यूनिट होल्डर्स इसके पक्ष में मतदान करें। उन्होंने यह भी मांग की कि अंतरिम तौर पर निवेशकों को 2 लाख रुपए तक का भुगतान किया जाना चाहिए। यह नोटिस फ्रैंकलिन टेंपलटन यूनिट होल्डर्स एसोसिएट्स एलएलपी, अल्ट्रा वॉल्स एंड फ्लोर एलएलपी और सत्यम जैन ने भेजा है।
23 अप्रैल को फ्रैंकलिन ने 6 डेट स्कीम्स को बंद कर दिया था
पिछले हफ्ते इन निवेशकों ने फ्रैंकलिन टेंपलटन को नोटिस भेजकर अपने पूरे निवेश को वापस करने और 6 डेंट स्कीम्स के वाइंडप की घोषणा करते हुए नोटिस वापस लेने की मांग की थी। 23 अप्रैल को फ्रैंकलिन टेंपलटन ने घोषणा की थी कि वह गंभीर इललिक्विडिटी और रिडेम्पशन दबावों के कारण अपनी 6 डेट स्कीम्स को बंद कर रहा है। इससे 3 लाख निवेशक मंझधार में रह गए। इन स्कीम्स का 25,856 करोड़ रुपए एयूएम है।
वाइंडिंग का जिक्र मानदंडों के उल्लंघन के कारण किया गया
इन निवेशकों ने कानूनी नोटिस में आरोप लगाया कि वाइंडिग का जिक्र एएमसी ने नहीं बल्कि सेबी के निर्धारित मानदंडों के उल्लंघन के कारण किया। उधर फ्रैंकलिन के प्रवक्ता ने कहा कि हम सभी आरोपों से इनकार करते है। स्पष्ट करना चाहते हैं कि कोई अवैध, गलत काम या गलत बयानी की गई है। हम निवेश निर्णय लेने और इन स्कीम्स को समाप्त करने में उचित प्रक्रिया का पालन करते रहते हैं। फ्रैंकलिन के एक प्रवक्ता ने कहा, हमने अपने निवेशकों के हित में और सभी नियमों के अनुसार ही काम किया है।
निवेशकों के साथ फ्रैंकलिन ने की है धोखाधड़ी
शिकायत में इन निवेशकों ने कहा कि फ्रैंकलिन टेंपलटन ने सभी नियमों, मानदंडों और सुरक्षा उपायों का उल्लंघन किया है और इस तरह उनके निवेश के साथ निवेशकों से धोखाधड़ी की है। उनके अनुसार एसेट्स मैनेजर्स के उल्लंघन में बताए गए निवेश उद्देश्यों के विपरीत प्रतिभूतियों में निवेश शामिल हैं। निवेशकों ने कहा है कि रेगुलेशन से वह सिस्टम उपलब्ध नहीं होता है जिसके माध्यम से ओपन एंडेड स्कीम्स को बंद किया जा सके।
स्कीम्स को सात दिनों के भीतर लिस्ट किया जाना था
सेबी के मानदंडों के अनुसार, स्कीम्स को तभी समेटा जा सकता है जब या तो ट्रस्टी निर्णय लेते हैं, या 75 प्रतिशत यूनिटधारक इसके पक्ष में मतदान करते हैं या फिर सेबी ऐसा निर्देश देता है। सेबी ने 20 मई को एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि स्कीम समेटने की प्रक्रिया के तहत स्कीम्स को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट करने की जरूरत है। स्कीम्स को 7 दिनों के भीतर लिस्ट किया जाना था। कानूनी नोटिस में निवेशकों ने कहा, उक्त अवधि भी खत्म हो गई है और किसी भी योजना को लिस्ट नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सेबी को निवेशकों की वापसी के लिए एक नियामक (regulatory mechanism) तंत्र लागू करना चाहिए था।
उधर चेन्नई फाइनेंशियल मार्केट्स अकाउंटबिलिटी (सीएफएमए) ने कहा है कि 26 मई को मद्रास हाई कोर्ट ने सेबी, फ्रैंकलिन टेम्पल्टन, और इसके प्रेसीडेंट संजय सप्रे, सीआईओ संतोष कामथ और अन्य प्रमुख अधिकारयों को नोटिस भेजा है।
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