मोदी सरकार ने कोविड-19 के पैकेज को घुमा-फिरा कर पेश किया, इसके बजाय सीधे पैसा देना चाहिए था- राजीव बजाज https://ift.tt/2zI8OWF - SAARTHI BUSINESS NEWS

Business News, New Ideas News, CFO News, Finance News, Startups News, Events News, Seminar News

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Friday, May 15, 2020

मोदी सरकार ने कोविड-19 के पैकेज को घुमा-फिरा कर पेश किया, इसके बजाय सीधे पैसा देना चाहिए था- राजीव बजाज https://ift.tt/2zI8OWF

बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक (एमडी) और सीईओ राजीव बजाज ने मोदी सरकार द्वारा कोविड-19 से लड़ने हेतु घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह "घुमा फिरा कर वहीं पर आने वाला" एक आर्थिक बजट है। अगर यह प्रभावितों या कंपनियों के मालिकों के हाथ में सीधा आता तो बात बन सकती थी।

कई देशों ने सीधे हाथों में पैसे दिए

एक इंटरव्यू में राजीव बजाज ने कहा कि करीब एक महीने पहले उनकी अपने यूरोपीयन इंडस्ट्रलिस्ट्स दोस्तों से बात हुई थी। उन लोगों का कहना था कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए वहां की सरकारों ने मजदूरों के 85 प्रतिशत वेतन की क्षतिपूर्ति पूर्ति का वादा किया था। मैंने आज ही उनसे बात की तो पता चला कि वहां की सरकारों ने अपने वायदे को पूरी तरह से निभाया है।

कई देशों में स्थितियां सामान्य हो रही हैं

बजाज ने कहा कि यूरोपियन मार्केट सोमवार से बिल्कुल सामान्य हो जाएंगे। जहां तक कारखानों और ऑफिस का सवाल है तो वहां पर डीलरशिप खुल गई है। सिर्फ इटली को छोड़ दिया जाए, जो थोड़ा इस मामले में पीछे है, तो फ्रांस और स्पेन में भी चीजें लगभग सामान्य हो गई हैं। हमारी कंपनियों के प्रोडक्शन और ग्रोथ रेट यूरोप और चीन में काफी उत्साहवर्धक रहे हैं।

यह काफी घुमाने-फिराने वाला पैकेज है

यह पूछे जाने पर की आर्थिक राहत पैकेज का स्वरूप कैसा लगा? बजाज ने कहा कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों में घोषित राहत राशि का लगभग पूरा पैसा प्रभावितों के खातों में सीधे गया। एक इंजीनियर के तौर पर मैं इसे सीधा सीधा इकोनॉमिक से जोड़ कर बताऊं तो इसे मालिकों या मजदूरों के सीधा हाथ में दिया जाना चाहिए था। यह पैकेज घूम फिर कर कहां जाएगा... फिर कहां से आएगा, यह काफी घूमाने फिराने वाला लगता है।

एविएशन और हॉस्पिटैलिटी की रिकवरी में समय लगेगा

उन्होंने बताया कि अगर कोई व्यक्ति बीमार होता है तो दो तरह की परिस्थितियां होती हैं। या तो वह कोई क्रॉनिक डिजीज से गुजर रहा हो या फिर वह एक्यूट पेन में हो। मुझे लगता है कि एविएशन और हॉस्पिटैलिटी जैसे उद्योग फिलहाल अपने रिकवरी में थोड़ा लंबा समय ले सकते हैं। बहुत सारी कंपनियां एक्यूट डिजीज के दौर से गुजर रही हैं जिससे उनका रेवेन्यू जीरो हो गया है। ना तो वहां नौकरियां हैं और ना ही सैलरी। अतः मेरी समझ में इनका समाधान प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए। अफसोस यह है कि मैंने 20 लाख करोड़ के आर्थिक राहत पैकेज में ऐसी कंपनियों के बारे में कुछ नहीं सुना।

पैकेज में रियलिटी का पता अभी तक नहीं चला

जब भी कोई कहता है कि यह हमारा आर्थिक राहत का पैकेज 20 लाख करोड़ का है तो हम निश्चित ही यह उम्मीद करते हैं कि इसमें कुछ रियलिटी होगी। कुछ सच्चाई होगी। पर मैंने अभी तक किसी भी अपने उद्योग जगत के लोगों से इसके बारे में वाउ कहता नहीं सुना। जब मैंने अपने जर्मनी के कुछ उद्योग जगत के जुड़े दोस्तों से बात की तो उन्होंने बताया कि वहां की सरकारों ने इतनी ज्यादा मदद दे दी है कि अब हमें कुछ मांगने को बचा ही नहीं है।

थर्ड क्लास पॉलिसी से वर्ल्ड क्लास बिजनेस तैयार नहीं होता

श्रम कानून में लाए हुए बदलाव के बारे में बजाज ने कहा कि उन्हें श्रम कानूनों के संशोधन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। वह इतना अवश्य जानते हैं कि कई एशियाई मार्केट में डिमांड चेन या सप्लाई के आधार पर हायर एंड फायर की नीतियां संभव है। पर इनमें भी एक मानवीय दृष्टिकोण होता है। यहां उन्हें सोशल सिक्योरिटी तो प्रदान की जाती है, पर कंपनियों के लिए बाध्यकारी नहीं होती। मुझे नहीं लगता कि किसी थर्ड क्लास पॉलिसी से कोई वर्ल्ड क्लास बिजनेस तैयार किया जा सकता है।

उद्योगों के प्रति सरकार का रवैया कभी नहीं बदल सकता

उद्योगों के प्रति सरकारों के रवैये पर उन्होंने कहा कि जिसका हम इलाज नहीं कर पाते उसे हम बर्दाश्त करना शुरू कर देते हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि ऐसा सिर्फ मौजूदा सरकार ने ही किया है, बल्कि पहले की भी सरकारों ने भी ऐसा ही किया है। पर अब तो ऐसा लगता है कि इसका इलाज कभी नहीं हो पाएगा और हम सभी को इसके साथ ही जीना होगा। अपनी बजाज ऑटो कंपनी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उनके फैसिलिटी में सभी कर्मचारी अपने सेल्फ मैनेजमेंट से अपनी अपनी जिम्मेदारियों का वहन कर रहे हैं सभी लोग राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
कई एशियाई मार्केट में डिमांड चेन या सप्लाई के आधार पर हायर एंड फायर की नीतियां संभव है।

No comments:

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages