सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन को आसान करने के बाद मई में लगभग 20 मिलियन (2 करोड़) लोग नौकरी पर वापस लौटे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की रोजगार दर मई में 2% बढ़कर 29% पर पहुंच गई, जो अप्रैल में 27% थी। CMIE के अनुमान के मुताबिक 25 मार्च शुरू हुए लॉकडाउन की वजह से देश के 122 मिलियन (करीब 12.20 करोड़) लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
CMIE ने कहा कि 2 करोड़ लोगों की नौकरी पर वापसी से रोजगार दर में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही, अप्रैल में 122 मिलियन (12.20 करोड़) लोगों की नौकरी जाने का आंकड़ा मई में घटकर 102 मिलियन (10.20 करोड़) पर आ गया। यानी 20 मिलियन (2 करोड़) लोगों की नौकरी पर वापसी हुई है, लेकिन बचे हुए 5 गुना लोगों को फिर से नौकरी पर लाना बड़ी चुनौती है।
CMIE के अनुसार, मई में सप्ताह के बाद श्रम भागीदारी दर (LPR) बढ़ रही है, 17 मई को खत्म हुए सप्ताह में ये 38.8% रही। इससे पता चलता है कि अप्रैल में तकनीकी रूप से श्रम बाजार को छोड़ चुकी काफी बड़ी संख्या वापस आ रही है। LPR मार्च में 41.9% से गिरकर अप्रैल में 35.6% हो गया था। वहीं, मई में ये जमीन पर आ गया था।
वापस लौटर रहे वर्कर
सीएमआईई के उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण से पता चलता है कि अप्रैल में नियोजित संख्या में 122 मिलियन (12.20 करोड़) की कमी होने के चलते काम करने के इच्छुक लोगों की संख्या सक्रिय रूप से नहीं थी।
रिपोर्ट के मुताबिक ये संभावित बेरोजगार हैं, लेकिन तकनीकी रूप से बेरोजगार नहीं माने जाते हैं। चूंकि ये लोग काम करने के इच्छुक हैं, ऐसे में यदि रोजगार की स्थिति में मामूली सुधार होता है तब वे आसानी से श्रम बल में शामिल हो सकते हैं और रोजगार की तलाश कर सकते हैं।
सीएमआईई के अनुसार, मई के साप्ताहिक अनुमान बताते हैं कि श्रमिकों ने इच्छुक पलायन किया है, लेकिन हतोत्साहित कार्यकर्ता नौकरियों की तलाश में वापस आ रहे हैं। जो अच्छी खबर है। साप्ताहिक डेटा से यह भी पता चलता है कि श्रम बाजारों में लोग रोजगार खोजने में सफल रहे हैं। लॉकडाउन के वजह से ज्यादातर लोग फोन पर ही इंटरव्यू दे रहे हैं।
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