भारत ने कोविड-19 से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए कामेगा पैकेज जारी किया। इसके बाद भी यहां के बाजार लगातार निगेटिव चल रहे हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि भारतीय बाजार ने पैकेज को सकारात्मक नहीं लिया है। आइए 6कारणों से समझते हैं कि बाजार ने इस पैकेज को क्यों पॉजिटिव नहीं लिया।
ये हैं बाजार की गिरावट के 6 प्रमुख कारण
- भारत ने जो भी राहत पैकेज जारी किए हैं, उससे कॉर्पोरेट या किसी को भी कैश का लाभ नहीं हो रहा है।
- पैकेज का एक तिहाई हिस्सा पहले ही दिया जा चुका था।
- दुनिया के अधिकतर देशों ने बेलआउट जैसे कार्यक्रम चलाए।
- भारत में जो भी थोड़ा बहुत कैश दिया गया, वह निचले तबके के लोगों और असंगठित सेक्टर को दिया गया।
- बाजार हमेशा डिमांड साइड पर पॉजिटिव होता है। डिमांड साइड का मतलब जैसे एविएशन, ऑटो, एफएमसीजी सेक्टर को उबारना था।
- कोविड-19 का असर अभी भारत में तेजी पर है जो आगे भी रहेगा। जबकि चीन में यह न्यूनतम स्तर पर है।
किस देश ने कुल कितना और कब दिया पहला पैकेज
सभी देशों ने कई चरण में अपने पैकेज जारी किए। दुनिया भर में सबसे ज्यादा पैकेज जापान ने 6 अप्रैल को घोषित किया। यह पैकेज उसकी जीडीपी का 21.1 प्रतिशत था। अमेरिका ने 21 मार्च को अपनी जीडीपी का 13 प्रतिशत आर्थिक पैकेज का ऐलान किया। स्वीडन ने 16 मार्च को जीडीपी की तुलना में 12 प्रतिशत का ऐलान किया। जर्मनी ने 19 मार्च को जीडीपी की तुलना में 10.70 प्रतिशत का ऐलान किया। भारत ने अपने जीडीपी की तुलना में 10 प्रतिशत का पैकेज दिया जिसमें पहला पैकेज 25 मार्च को घोषित किया गया था। फ्रांस ने 23 मार्च को 9.30 प्रतिशत के आर्थिक पैकेज का ऐला्न किया। यूके ने 24 मार्च को 5 प्रतिशत के राहत पैकेज की घोषणा की।
पैकेज के अगले दिन बाजारों पर क्या असर हुआ
इन देशों के बाजारों पर पैकेज के अगले दिन अच्छा असर देखा गया। बाद के पैकेज में बाजारों में कम तेजी दिखी। हालांकि पैकेज कई चरण में थे। पैकेज के अगले दिन की बात करें तो जापान का बाजार 4.2 प्रतिशत बढ़त के साथ बंद हुआ था। जबकि अमेरिका का बाजार 11.4 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ। स्वीडन के बाजार ने 4.1 प्रतिशत की तेजी दिखाई तो जर्मनी का बाजार 3.7 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुआ। भारतीय बाजार में 2 प्रतिशत की बढ़त दिखी जबकि फ्रांस का बाजार 7.6 और यूके का बाजार 9.1 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ।
पहले पैकेज से लेकर अब तक के पैकेज का कैसा रहा बाजार पर असर
विश्लेषक मानते हैं कि बाजार पर किसी बात का असर एक दिन से तय नहीं होता है। इसके लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए। अमूमन अब तक सभी देशों ने जो राहत पैकेज जारी किया है, उसे 25 दिन से 30 दिन हो चुके हैं। पहले पैकेज के दिन से लेकर 14 मई तक के बीच का बाजार पर असर अच्छा रहा है। जापान का बाजार 6 अप्रैल से लेकर अब तक 11.61 प्रतिशत बढ़ा है। अमेरिका का बाजार 21 मार्च से लेकर अब तक 25 प्रतिशत बढ़ा है। स्वीडन का बाजार 16 मार्च से लेकर अब तक 11.1 प्रतिशत बढ़ा है। जर्मनी का बाजार 19 मार्च से लेकर अब तक 18.5 प्रतिशत बढ़ा है। भारत का बाजार 25 मार्च से लेकर अब तक 9.5 प्रतिशत बढ़ा है। फ्रांस का बाजार 23 मार्च से लेकर अब तक 8,4 प्रतिशत बढ़ा है। जबकि यूके का बाजार अब तक 15 प्रतिशत बढ़ा है।
बाजारों में यह तेजी या गिरावट क्यों रही
आनंद राठी सिक्योरिटीज के नरेंद्र सोलंकी कहते हैं कि बाहर के देशों के रिलीफ पैकेज को हम देखें तो उनका काफी बड़ा हिस्सा कैश ट्रांसफर के रूप में होता है। वे कॉर्पोरेट को डाइरेक्ट बेलआउट करते रहे हैं। लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता है। यहां काफी सारे रिफॉर्म, कंप्लायंस को आसान करना, प्रोसेस को आसान करने जैसे पर फोकस होता है। थोड़ा बहुत जो कैश भारत में ट्रांसफर होता भी है तो वह मध्यम वर्ग और गरीब या निचले तबके के लिए होता है। असंगठित सेक्टर के लिए यह किया जाता है। यहां कॉर्पोरेट या कंपनियों को फेवर नहीं किया जाता है। हालांकि भारत का भी पैकेज अच्छा है पर उसका असर दिखने में थोड़ा समय लगेगा।
भारत का पैकेज डिमांड साइड नहीं है
वे कहते हैं कि इक्विटी बाजार का फोकस पैकेज में शॉर्ट टर्म पर होता है। भारत का पैकेज डिमांड साइड नहीं है। इसका तुरंत असर नहीं दिखेगा। हमारे इक्विटी बाजार का अनुमान डिमांड साइड पैकेज का होता है, जो इस बार के पैकेज में नहीं है। यही कारण है कि हमारे बाजार ने अन्य देशों की तरह इसे पॉजिटीव नहीं लिया। ऑटो, एफएमसीजी, एविएशन जैसे डिमांड साइड हैं, लेकिन इन सेक्टर्स में कुछ नहीं हुआ।
लंबी अवधि के लिए हो सकता है अच्छा
बाहर के देशों ने इंडिविजुअल सेक्टर और डिमांड साइड पर फोकस किया है, जो भारत ने नहीं किया है। लांग टर्म के लिहाज से हमारा पैकेज ठीक है। लंबे समय से रिफॉंर्म लंबित था, जो अब हो रहा है। हमें यह देखना होगा कि राज्य सरकारें क्या कर रही हैं? कुछ राज्य सरकारें बेहतर घोषणा कर रही हैं। यूपी, एमपी ने अच्छी घोषणा की है। उसका असर ज्यादा देखने को मिल सकता है क्योंकि काफी कुछ राज्य सरकारों पर भी निर्भर होता है।
कुछ उपायों से बाजार को पहले ही छूट दी गई थी
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के एडवाइजरी हेड देवर्ष वकील कहते हैं कि बैंक/एनबीएफसी जैसे क्षेत्र, बिजली उत्पादन कंपनियां और वे सेक्टर जिनका एमएसएमई के साथ सीधा संबंध है, उन्हें सही मायने में लाभ प्राप्त होगा। हालांकि इन उपायों के प्रभाव को बाजारों में पहले से ही छूट दी गई है। इन उपायों का स्वागत है लेकिन ये मांग को सीधे और तुरंत बढ़ावा नहीं दे सकते। इसलिए आर्थिक रिकवरी कुछ और समय ले सकता है। बाजार जो जल्दी ठीक होने की उम्मीद लगाए बैठा था उसे निराशा हाथ लगी और बिकवाली हो गई।
दुनिया को कुछ समय वर्तमान माहौल केसाथ जीना होगा
एंजल ब्रोकिंग के एडवाइजरी हेड अमर देव सिंह कहते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और अन्य जैसे देशों में, जहां भी प्रोत्साहन (स्टिमुलस) पैकेज की घोषणा की गई है, इसका शेयर बाजारों द्वारा स्वागत किया है। कोरोना वायरस के प्रकोप ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है जिसकी किसी ने कभी कल्पना नहीं की थी। ऐसा लगता है कि दुनिया को कुछ समय के लिए इसके साथ रहना सीखना होगा, जब तक कि इसका कोई इलाज नहीं मिल जाता। तब तक बाजार घबराहट की स्थिति में रहेंगे।
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