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Saturday, May 2, 2020

कैलेंडर वर्ष 2020 में भारत की जीडीपी गिरकर जीरो प्रतिशत हो जाएगी, लॉक डाउन 6 जून तक जारी रह सकता है https://ift.tt/3d4NtFx

वैश्विक ब्रोकरेज हाउस बार्कलेज का मानना है कि कैलेंडर वर्ष 2020 में भारत की जीडीपी गिरकर जीरो प्रतिशत पर आ जाएगी। इसी के साथ भारत में लॉक डाउन आंशिक आधार पर 6 जून तक जारी रह सकता है।

देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण 17 मई तक रहेगा

दरअसल सरकार ने देश को कई जोन में बांटकर लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ा दिया है। यह दूसरी बार है जब लॉकडाउन को बढ़ाया गया है। बार्कलेज ने हमेशा से ही माना है कि लॉकडाउन भारत में घोषित से अधिक समय तक रह सकता है। शुरूमें ही इस ब्रोकरेज हाउस ने कहा था कि सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी गिरकर जीरो प्रतिशत तक जा सकता है।

वित्तवर्ष 2021 में 0.8 प्रतिशत रह सकती है जीडीपी की वृद्धि दर

बार्कलेज के राहुल बाजोरिया ने एक रिपोर्ट में लिखा, "हम सहज रूप से कह रहे हैं कि लॉकडाउन आंशिक आधार पर 6 जून तक जारी रह सकता है। हमने हमारे पिछले जीडीपीके पूर्वानुमान में अप्रैल के अंत से एक आंशिक लॉकडाउन की बात कही थी। यहसही साबित हो रहा है। 6 जून से आगे शहरी क्षेत्रों में लॉकडाउन के एक्सटेंशन के कारण से कुछ नकारात्मक जोखिमों को स्वीकार करते हुए, हम कैलेंडर वर्ष 2020 के लिए GDP में 0 प्रतिशत की वृद्धि और वित्त वर्ष 21 के लिए 0.8 प्रतिशत की वृध्दि के अनुमान पर कायम हैं।

रेड जोन की वजह से आर्थिक स्थिति से उभरने में समय लगेगा

इस बार के लॉकडाउन में देश के बड़े हिस्सोंमें महत्वपूर्ण छूट की घोषणा की गई है। जोखिम के आधार पर अब देश को ग्रीन, ऑरेंज और रेड ज़ोन में चिन्हित कर दिया गया है। ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन में आर्थिक गतिविधियों में कई महत्वपूर्ण छूट दी गई है। बाजोरिया ने कहा कि हालांकि शहरी क्षेत्र और आर्थिक रूप से अधिक प्रासंगिक शहर जैसे मुंबई, दिल्ली, पुणे, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोलकाता सभी रेड जोन में हैं। इसलिए आर्थिक सामान्य स्थिति से उभरने में अधिक समय लगेगा।

लॉकडाउन अर्थव्यवस्था को गहरी परेशानी में डाल सकता है-केयर

केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने चेतावनी देते हुए कहा कि लॉकडाउन 3.0 अर्थव्यवस्था को गहरी परेशानी में धकेल सकता है। लोग उम्मीद कर रहे थे कि सरकार लॉक डाउन से बाहर निकलने का रोडमैप लेकर सामने आएगी। इस बीच, ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए सरकार अगले कुछ हफ्तों में और अधिक प्रोत्साहन पैकेज ला सकती है। मूडीज इन्वेस्टर सर्विस (मूडीज) का मानना है कि एशिया पैसिफिक देशों में कोविड-19 से निपटने के लिए सरकारों द्वारा हाल के नीतिगत उपाय या पैकेज उनकी अर्थव्यवस्थाओं की भरपाई के लिए नाकाफी हो सकते हैं।

एशियाई सरकारों को और समय तथा समर्थन चाहिए-मूडीज

मूडीज ने 21 अप्रैल को एक नोट में कहा था "हालांकि एशिया के बाहरी और राजकोषीय बफ़र्स आम तौर पर अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक मजबूत कर रहे हैं। परंतु एशियाई सरकारों को थोड़ा समय और समर्थन प्रदान किया जाए तो महामारी के दुष्प्रभावों से निपटने और उबरने में उन्हें काफी राहत मिलेगी। इसके अलावा पैसिफिक क्षेत्र के बाकी देशों के पास अलग-अलग आर्थिक क्षमताएं हैं। इसलिए वह इस महामारी से निपटने में अलग तरीके से अपने रिएक्शन देंगे।

चीन को छोड़अन्य अर्थव्यवस्थाएं अभी भी वायरस के फैलने से जूझ रही हैं

मूडीज का मानना है कि कोविड-19 एशिया प्रशांत (एपीएसी) क्षेत्र में तीन प्रकार के झटकों से ही प्रकट होगा। इसमें देश संबधित, क्षेत्र संबंधित और दूसरे दौर से संबंधित का समावेश होगा। मूडीज का मानना है कि देश लॉक डाउन के झटकों से आर्थिक नुकसान का बहाव (स्पिलओवर) संबंधित दौर में तेजी से बढ़ रहा है। चीन ने जहां आर्थिक गतिविधियां और उत्पादन फिर से शुरू कर दिया है, वहीं अन्य अर्थव्यवस्थाएं अभी भी वायरस के फैलने से जूझ रही हैं।



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बार्कलेज ने शुरू से ही लॉकडाउन के विस्तार की बात कही है, जिसका जीडीपी पर सीधा असर होगा

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