सरकार ने पैकेज के दूसरे दिन 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स के लिए 5,000 करोड़ रुपए का पैकेज जारी किया। मजे की बात यह है कि सबसे ज्यादा यानी 35 प्रतिशत स्ट्रीट वेंडर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में हैं। इन्हीं राज्यों में विधानसभा चुनाव करीब हैं। बिहार में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। उत्तर प्रदेश में 2022 मार्च में चुनाव होने हैं। पश्चिम बंगाल में 2021 अप्रैल में चुनाव होने है।
पिछले 50 दिनों में देश भर में गरीब, प्रवासी मजदूरों, ठेलेवालों यानी स्ट्रीट वेंडर्स को रोटी के लिए क्या-क्या नहीं करना पड़ा। घर जाने के निकले तो रास्ते में ही जिंदगी खत्म हो गई। मौत ऐसी कि दिल दहल जाए। लेकिन अब इसी मौत पर सरकार ने चुनावी निशाना साध लिया है।
चुनाव वाले राज्यों पर साधा गया है निशाना
दरअसल सरकार ने जो भी आर्थिक पैकेज जारी किया है, उसके अलावा अब कोई पैकेज मिलना मुश्किल है। अब बजट में भी कोई राहत मिलनी मुश्किल है। क्योंकि सरकार पहले ही इस पैकेज के लिए उधार लेने के साथ-साथ अन्य संभावना तलाश रही है। ऐसे में कोविड अगर यहां से नियंत्रित हो जाता है तो सरकार बजट में काफी कुछ टैक्स लगाकर महंगा कर सकती है। यही कारण है कि जिन राज्यों में चुनावी घमासान होना है, वहां के लिए इसी पैकेज में निशाना साध लिया गया है।
टॉप 10 राज्यों में 35 लाख हैं स्ट्रीट वेंडर्स
वही सरकार, जो अभी तक इन गरीबों को न तो घर तक पहुंचाने की सुविधा कर पाई न दो जून की रोटी दे पाई। लेकिन गरीबों पर निशाना साधने में आगे आ गई है। यानी जिन मजदूरों को घर नहीं पहुंचा पाई सरकार, अब उन्हीं के घर जाएगी। स्ट्रीट वेंडर्स की बात करें तो देश में 50 लाख इनकी संख्या है। शीर्ष 10 राज्यों में इनकी संख्या 35 लाख है। इसमें 7.8 लाख स्ट्रीट वेंडर्स के साथ उत्तर प्रदेश टॉप पर है।
राजस्थान में 3.1 लाख,एमपी में 1.4 लाख स्ट्रीट वेंडर्स
दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है जहां 5.5 लाख स्ट्रीट वेंडर्स हैं। इन दो राज्यों में 27 प्रतिशत स्ट्रीट वेंडर यानी रेवड़ी और ठेला वाले हैं। बिहार में स्ट्रीट वेंडर्स की संख्या 5.3 लाख है। इसी तरह राजस्थान में 3.1 लाख, स्ट्रीट वेंडर्स, महाराष्ट्र में 2.9 लाख, तमिलनाडू में 2.8 लाख, आंध्र प्रदेश में 2.1 लाख, कर्नाटक में 2.1 लाख, गुजरात में 2 लाख, केरला में 1.9 लाख, असम में 1.9 लाख उड़ीसा में 1.7 लाख, मध्य प्रदेश में 1.4 लाख और पंजाब में 1.4 लाख हैं।
सालाना 9 मिलियन प्रवासी पूरे देश में
सरकार ने 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स के लिए 10,000 रुपए प्रत्येक को देने की बात कही है। इस पर 5,000 करोड़ रुपए खर्च आएगा। 2017 में आर्थिक सर्वे में अनुमान लगाया गया था कि इंटर स्टेट माइग्रेशन भारत में 2011 से 2016 के बीच सालाना 9 मिलियन रहेगा। 2011 की जनगणना में कहा गया कि 13.9 करोड़ प्रवासी देश भर में होंगे।
एनआरसी की शुरुआत में हंगामा
बता दें कि हाल के समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है। दरअसल पूरे देश में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के तहत नागरिकों को सत्यापित करने का उद्देश्य भी पश्चिम बंगाल को जीतने के लिहाज से ही तय किया गया था। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि मोदी के दोबारा चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद में अपने पहले भाषण में सीमांत क्षेत्रों में एनआरसी को लागू करने की वकालत की थी।
यूपी की तरह पश्चिम बंगाल पर नजर
यही नहीं, हर बंगाली मुस्लिम को बांगलादेशी मुस्लिम भी साबित करने की योजना इसी चुनावी एजेंडा के तहत है। एक तरह से पश्चिम बंगाल को नया उत्तर प्रदेश के रूप में तैयार करना है। यदि भाजपा पश्चिम बंगाल जीतती है तो उसे केंद्र में तीसरी बार चुनाव जीतने में आसानी हो सकती है। जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री के तौर पर चुनाव जीते थे, उस समय उन्होंने उत्तर प्रदेश के वाराणसी को अपने चुनावी क्षेत्र को केंद्र बनाकर वहां स्थिति मजबूत कर ली है। बाद में अमित शाह को उन्होंने राज्य का प्रभारी भी बना दिया।
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