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Tuesday, May 12, 2020

60,000 करोड़ रुपए का एनपीए एआरसी को हो सकता है ट्रांसफर, आगे इसमें और वृद्धि होने की आशंका https://ift.tt/3dBOPHZ

बैंक अब 60,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि के एनपीए को परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (एआरसी) में ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे एनपीए में सुधार लाने और मूल्य बढ़ाने में मदद मिलेगी। ये सभी बैंक आगे चलकर और भी अधिक तनावग्रस्त परिसंपत्तियों (स्ट्रेस्ड एसेट्स) को इसमें ट्रांसफर कर सकते हैं।

सरकार बैड बैंक में 50 प्रतिशत तक कर सकती है निवेश

जानकारी के मुताबिक सरकार करीब 9,000 से 10,000 करोड़ रुपए के योगदान के साथ इस बैड बैंक में पूंजी का 50 प्रतिशत तक निवेश कर सकती है। बैंकर्सने कहा कि एआरसी को पुराने और नए दोनों मामलों को लेने की उम्मीद है। बैंकिंग लॉबी का ग्रुप भारतीय बैंक संघ (आईबीए) को इस प्रस्ताव को टेक अप करने की उम्मीद है, जो इस सप्ताह वित्त मंत्रालय के समक्ष आने वाला है।

तीन संस्थाओं की स्थापना पर हुआ विचार

पैनल ने सिफारिश की थी कि बड़े बुरे कर्जों का समाधान एआरसी के तहत किया जा सकता है। आईबीए योजना में तीन संस्थाओं की स्थापना पर विचार किया गया है। इसमें एक एआरसी, एक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी), और उन परिसंपत्तियों को बदलने के उद्देश्य से बैंकों से खराब कर्ज प्राप्त करने के लिए एक वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) का समावेश हो सकता है।

बैंकों के एनपीए में आगे और वृद्धि होने की आशंका

इसके तहत एआरसी असेट्स का अधिग्रहण करेगा। एएमसी असेट्स का प्रबंधन करेगी, जिसमें प्रबंधन का अधिग्रहण या परिसंपत्तियों का पुनर्गठन शामिल है। एआईएफ फंड जुटाएगा और एआरसी द्वारा जारी सिक्योरिटीज में निवेश करेगा। प्रस्तावित एआरसी को सरकार का समर्थन करना होगा। बैंकरों ने कहा कि आईडीबीआई बैंक के मामले में भी इसी तरह की व्यवस्था की गई थी, जहां स्ट्रेस्ड एसेट्स मैनेजमेंट फंड बनाया गया था। कोविड महामारी के परिणामस्वरूप रिटेल कर्ज पर 90 दिन की रोक और वर्किग कैपिटल मानदंडों में ढील देने जैसे कदमों के बावजूद बैंकों के एनपीए में वृद्धि होने की उम्मीद है।

2018 में एक समिति ने पेश की थी रिपोर्ट

बता दें कि यस बैंक के वर्तमान अध्यक्ष सुनील मेहता की अध्यक्षता में जुलाई 2018 में एक समिति ने स्ट्रेस्ड एसेट्स (सशक्त पैनल) के समाधान पर एक रिपोर्ट पेश की थी। इस समिति ने मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से खराब कर्ज को प्राप्त करने के लिए एक स्वतंत्र एआरसी के गठन की सिफारिश की है। टर्नअराउंड की संभावना वाले 500 करोड़ रुपए से ऊपर के एक्सपोजर वाली बड़ी एसेट्स का प्रबंधन एएमसी द्वारा किया जाना था, जबकि एआईएफ फंड जुटाएगा और एआरसी की प्रतिभूतियों में निवेश करेगा।

दिसंबर 2019 तक 9 ट्रिलियन था एनपीए

इस तरह के टूल बनाने के पीछे उद्देश्य यह है कि वित्तीय क्षेत्र में रेगुलेशन सेंटीमेंट और शर्तों को ध्यान में रखते हुए काम करना है। इससे रिस्पांस टाइम कम करने में मदद मिलेगी। केयर रेटिंग्स के मुताबिक, कमर्शियल बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) दिसंबर 2019 मेंघटकर 9 ट्रिलियन रुपये हो गईं। यह दिसंबर 2018 में 9.7 ट्रिलियन रुपए थी। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कुल एनपीए पूल का बड़ा हिस्सा (दिसंबर 2019 में 7.2 खरब रुपए) रहा।

एसबीआई चेयरमैन ने पिछले हफ्ते की थी वकालत

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष रजनीश कुमार ने पिछले सप्ताह कहा था कि यही सही समय है जब खराब बैंक की तर्ज पर नई स्ट्रक्चरिंग की जाए। क्योंकि ज्यादातर बैंक एनपीए की प्रोविजनिंग के बहुत उच्च स्तर पर हैं। 2015-16 में एसेट क्वालिटी की समीक्षा शुरू होने के बाद बैंक एनपीए के लिए भारी प्रोविजन कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, बैंकों के प्रोविजन कवरेज रेशियो में भी दिसंबर 2018 में 65 प्रतिशत से सुधार देखा गया है। यह दिसंबर 2019 में 71.6 प्रतिशत था जो शेड्यूल कमर्शियल बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार को दर्शाता है।



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बैंकर्स ने कहा कि एआरसी को पुराने और नए दोनों मामलों को लेने की उम्मीद है

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